भाजपा – कांग्रेस सरकारों के असहमति के कुचक्र में उलझ गया है दोनों राज्य के पेंशनरों का महंगाई राहत*

*भाजपा – कांग्रेस सरकारों के असहमति के कुचक्र में उलझ गया है दोनों राज्य के पेंशनरों का महंगाई राहत*

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*धारा 49 को विलोपित करने की बात को चुनावीं घोषणा पत्र में शामिल करें राजनैतिक दल*
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*छ ग- म प्र के मुख्यमन्त्री को ट्वीट किया*
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*मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य की सरकारें,म.प्र.राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 के 6वीं अनुसूची में दिए उपबन्धों की गलत व्याख्या कर छत्तीसगढ़ – मध्यप्रदेश के पेंशनरों के साथ पिछले 22 सालों से छलावा करती आ रही है,भाजपा – कांग्रेस सरकारों के असहमति के कुचक्र में उलझ गया है दोनों राज्य के पेंशनरों का महंगाई राहत उक्त आरोप जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री व छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने लगाते हुए “सभी राजनैतिक दलों से धारा 49 को विलोपित” करने की बात को चुनावीं घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की है और दोनों राज्य के मुख्यमन्त्री को ट्वीट कर इस मांग पर ध्यान आकर्षित किया है.*
*जारी विज्ञप्ति में आगे बताया है कि मध्यप्रदेश राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों को अपने – अपने पेंशनरों को पेंशन देने के लिए 6वीं अनुसूची में दिए गए प्रावधानों के तहत दायित्वाधीन बनाती है । धारा 49 और 6वीं अनुसूची की पांचों कंडिकाओं तथा पांचवीं कंडिका की दोनों उपकंडिकाओं में कहीं भी नहीं लिखा है कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित मंहगाई राहत (डी आर) छत्तीसगढ़ अथवा मध्यप्रदेश सरकार अपने पेंशनरों को देने के लिए दोनों राज्य सरकार की स्वीकृति प्राप्त करने के बाद जारी करेगी लेकिन आपसी सहमति के नाम पर केंद्र के समान 42% प्रतिशत महंगाई राहत को दोनों सरकार लंबित रखे हुए हैं जबकि धारा 49 के 6वीं अनुसूची में दिये गए प्रावधान केवल इतना कहते हैं कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार पेंशन भुगतान का दायित्व अपनी जनसंख्या के अनुपात में उठाएंगे । धारा 49 में दिये प्रावधानों के तहत दोनों राज्य सरकारों के पेंशन शेयर भी तय है । जिसके अनुसार मध्यप्रदेश सरकार 76 फीसदी और छत्तीसगढ़ सरकार 24 फीसदी के अनुपात में शेयर करेंगे और दोनों सरकारें वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर अर्थात 31 मार्च को अपने – अपने शेयर का समायोजन करेंगी परंतु छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश दोनों सरकार राज्य के पेंशनरों को मंहगाई राहत देने के लिए पिछले 22 साल से राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 और 6वीं अनुसूची में दिए गए प्रावधानों की गलत व्याख्या कर नियमों का लगातार दुरुपयोग कर रही है ।*
*वर्तमान में जहां केन्द्र सरकार अपने पेंशनर्स को 42% फीसदी मंहगाई राहत दे रही है वहीं छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश सरकार अभी जुलाई 23 से 38%फीसदी मंहगाई राहत दे रही है बकाया 4% प्रतिशत महंगाई राहत देने के मामलें में दोनों सरकार सहमति के एक दूसरे को पत्र भेज कर खेला कर रहें है ।*

*जब दोनों सरकार के उपेक्षित रवैये से नाराज छत्तीसगढ़ के हजारों पेंशनरों ने इसे लेकर 10 अगस्त 23 को नवा रायपुर में 3 घण्टे तक जंगी प्रदर्शन कर मंत्रालय का घेराव किया. तब सरकार की आँख खुली और चुनावी समीकरण के चलते पेंशनर्स की नाराजगी को दूर कर उनसे विधान सभा चुनाव में वोट लेने के खातिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमन्त्री ने मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री के नाम पत्र लिखकर केन्द्र के समान 4% प्रतिशत महंगाई राहत देने हेतु अपने पुरे कार्य काल में पहली बार सहमति मांगा है.उसमें भी एरियर देने का कोई उल्लेख नही है*

*जारी विज्ञप्ति में पेन्शनर फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव तथा फेडरेशन से जुड़े विभिन्न संघो के प्रांताध्यक्ष क्रमश: डॉ डी पी मनहर, आर पी शर्मा,जे पी मिश्रा,यशवन्त देवान ने दोनों राज्य के प्रमुख राजनैतिक दलों से धारा 49(6) को विलोपित करने की मांग को विधान सभा चुनाव 2023 के लिए जारी होने वाली घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग की है.*