वैवाहिक जीवन के स्वर्णिम सफर तय कर चुके 72 वयोवृद्ध जोड़ें हुए सम्मानित..लाहोटी मित्र मंडल का शहर में हुआ प्रथम अनोखा आयोजन

“जिंदगी का सफर मानो तो मौज है, वरना समस्या तो रोज है”

रायपुर/ अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस पर रविवार को सिविल लाइन स्थित वृंदावन हॉल में लाहोटी मित्र मंडल की ओर से अपने वैवाहिक जीवन के 50 से 70 वर्ष पूर्ण कर चुके 72 सौभाग्यशाली वयोवृद्ध जोड़ों को “दांपत्य का स्वर्णिम सफर सम्मान” से नवाजा गया।
संस्था के संस्थापक व संयोजक लक्ष्मीनारायण लाहोटी एवं मीडिया प्रभारी चेतन चंदेल ने बताया कि छ.ग. के अनेकों जिलों के ऐसे दाम्पत्य जोड़े जिनका विवाह सन् 1975 के पूर्व हुआ था ऐसे विभिन्न वर्गों के 72 चिन्हाकित जोड़ो को परात में पवित्र जल से सर्वप्रथम उनके चरणों को पखारने के बाद मंच पर ले जाया गया जंहा उन्हें पगड़ी व पीली चुनरी पहनाने के बाद प्रत्येक दंपत्ति ने एक दूसरे को वरमाला डालकर आपस में लड्डू से मुंह मीठा ‌करवाया तत्पश्चात अतिथियों ने उन्हें शिवजी की चांदी पत्रक मूर्ति, भागवत गीता व सुंदरकांड की पत्रिका,तांबे का कछुआ, चांदी की बिछिया,साल,श्रीफल ,मोमेंटो , अभिनंदन पत्र सहित सुहागन की सामग्री चूड़ी, सिंदूर, बिंदी,आलता, मेहंदी जैसे अनेकों उपहार सप्रेम भेंट दिये जिनमें विवाह के 50 से 60 वर्ष पूर्ण कर चुके 53 जोड़े तथा 60 से 70 वर्ष पूर्ण कर चुके 19 जोड़े शामिल थे।

बुजुर्गों ने किया अनुभव साझा

भिलाई निवासी सबसे अधिक उम्र वाले हनुमानदास लाहोटी एवं श्रीमती कलावती का विवाह 05 मई 1955 को हुआ था अपनी विवाह के 70 वर्ष पूर्ण कर चुके इस दंपति ने कहा कि “जिंदगी का सफर मानो तो मौज है, वरना समस्या तो रोज है”
इसी तरह 3 दिसंबर 1960 को दांपत्य सूत्र में बंधे गुरमुखदास कुकरेजा/ कौशल्या देवी ने अपने 65 वर्ष विवाह के पूर्ण करने पर कहा कि एक दूजे के प्रति समर्पण की भावना के कारण जीवन का लंबा सफर संभव हो सका।
इसी तरह राजेंद्र त्रिपाठी/ उषा देवी का विवाह 18 मई 1969 को हुआ था जिन्होंने संपूर्ण भारत का भ्रमण करने के साथ ही दो बार चारों धाम की यात्रा और अमरनाथ की पैदल यात्रा करने का संस्मरण सुनाया।
रमेश केला/ चंद्रादेवी ने बैलगाड़ी से लेकर हवाई जहाज तक के सफर का अनुभव साझा किया।
नंदकिशोर सोनी/ कौशल्या देवी ने कहा कि 55 वर्षों में कई बार नोक-झोक हुई लेकिन 5 मिनट में ही स्थिति सामान्य होते आई।
वंही दिनेश गुप्ता/ गीता गुप्ता ने रोचक किस्सा सुनाते हुए बताया कि वह विवाह के 28 वर्षों बाद पहली बार सिनेमा देखने गए थे।

दो जोड़े अपनी वर्षों पुरानी विवाह पोशाक में सम्मान लेने पहुंचे

शंकर नगर निवासी रत्नेश अग्रवाल व श्रीमती लक्ष्मी अग्रवाल जिन्होंने अपने 51 वर्ष पूर्व वैवाहिक पोशाक को पहनकर सम्मान लेने पहुंचे थे उसी प्रकार गुढ़ियारी निवासी नंदकिशोर बुब व श्रीमती बादामी बुब भी 53 वर्ष पहले की वेशभूषा में थे

अतिथियों ने दी शुभकामनाएं

कार्यक्रम में उपस्थित समाजसेवी चिरंजीव लाल लाहोटी (कोंडागांव), श्रीमती सविता जग्गी, अजंता चौधरी, दीपिका वैष्णव, राजेश सिंह तथा हीरानंद (पप्पू) दुल्हानी आदि ने एक स्वर में सभी जोड़ों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी एक दूसरे का मनोबल बढ़ाकर रखना जरूरी होता है। सुख-दुख की नैय्या पार करने में सहनशक्ति की परीक्षा होती है। इस उम्र में एक दूजे के सहारे बगैर जीना मुश्किल होता है।इसलिए हंसते-हंसते कट जाए रस्ते.. जिंदगी यूं ही चलती रहे…। इस पूरे कार्यक्रम में संस्थापक लक्ष्मीनारायण लाहोटी ,संरक्षक छबिलाल सोनी, जे.एस. ठाकुर, चेतन चंदेल, अन्नपूर्णा शर्मा, रिया तिवारी,वीणा रावत, खुशबू शर्मा,अनीता चौहान, हेतल चौहान, अरुणा यादव, कृष्णा लाहोटी ,शिफा सोनम, शुभांगी आप्टे ,सुषमा ध्रुव, सुषमा तिवारी, अदिती तिवारी, आरती, मनोज पांडे, गौरव दुबे सहित अनेको लोग उपस्थित थे।

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