राजनांदगांव. अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के महत्तम
परिप्रेक्ष्य में नगर के विचारप्रज्ञ प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने समसामयिक ऑनलाईन चिंतन विमर्श उदबोधन में कहा कि साक्षरता, सुशिक्षा विस्तार की प्रथम सीढ़ी है। साक्षर-शिक्षित समाज ही स्वावलंबी होकर राष्ट्र के समग्र विकासीय आयामों में प्रत्यक्ष रूप से सहभागी होता है। बहुसंख्यक लोग साक्षरता अभियान से जुड़कर सामान्य पढऩा-लिखना तो सीखते हैं ही साथ-साथ में दैनिक दिनचर्या के आवश्यक कार्यो विशेषकर बैंक-डाकघर, खाते से लेनदेन, पत्र, सूचनाएं पढऩा-समझना, प्राप्त कर अमल करना तथा लिखकर पत्राचार आवेदन करना और छोटे-मोटे रोजगार के कार्य भी संपन्न करते हैं। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय साक्षरता अभियान का मूल उद्देश्य देश-धरती के सभी लोगों को साक्षर बनाना और उनमें से अधिकांश लोगों को आगे चलकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने की अभिप्रेरणा देना भी होता है। क्योंकि संपूर्ण उन्नति समृद्धि के लिए आवश्यक होता है कि देश-प्रदेश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हों तथा रोजगार परक एवं आत्मनिर्भर करने वाली शिक्षा, प्रशिक्षा में दक्षता भी प्राप्त कर सकें। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने विशेष जोर देकर शिक्षित युवा-किशोर-प्रबुद्ध पीढ़ी को आह्वान्वित करते हुए कहा कि वे अपनी शिक्षा, तकनीकी ज्ञान को समाज सेवा-राष्ट्र सेवा में लगाएं और नगर ग्राम के समस्त निरक्षर व्यक्तियों को पूर्ण साक्षर बनाकर श्रेष्ठ सार्थक अर्थो में अपने आदर्श नागरिक के मौलिक कर्तव्य-दायित्व का निर्वहन करें, उनके लिए यही साक्षरता दिवस का अनुपम, अनुकरणीय संकल्प होगा।
