*गणित की प्रथम पाठशाला गणित की सृजनकर्ता मां ही है गणितज्ञ डॉ जी एस सिंह*
अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत ग्यारह माह से प्रतिदिन आयोजित कार्यक्रम की श्रृंखला में 22/12/2021 बुधवार को गूगल मीट पर *राष्ट्रीय गणित दिवस,श्रीनिवास स्मृति दिवस, गुरु गोविंद सिंह जन्म जयंती मौलाना मज़हरुल हक़ जन्म तिथि, गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन जन्म तिथि, कवि पंकज सिंह जन्म तिथि, मां शारदा देवी जयंती, तारकनाथ दास पुण्य तिथि* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।
कार्यक्रम का संचालन अंबिकापुर इकाई की अध्यक्षा *प्रेमलता गोयल* ने करते हुए कार्यक्रम का श्री गणेश अपने निवास स्थान पर लक्ष्मी मां, गणेश भगवान के फोटो पर रोली अक्षत का तिलक लगा, माल्यार्पण, दीप प्रज्वलित, पूजा अर्चना आरती आराधना कर गणेश वंदना और पितरों जी की स्तुति से किया।
सरिया इकाई की अध्यक्षा *डिंपल अग्रवाल* ने बुधवार का महत्व बता गणेश जी की कथा सुना गणेश वंदना भजन प्रस्तुत किया।
बाराद्वार इकाई की अध्यक्षा *उषा कलानौरिया* ने पितरों की कृपा के बारे में बता पितरों जी महाराज का भजन कर उनका आशीर्वाद की कामना की।
कोरबा इकाई की अध्यक्षा *भगवती अग्रवाल* ने सभी अतिथियों को तिलक लगा श्री फल और तुलसी मां का पौधा भेट कर स्वागत किया।
रायपुर इकाई की अध्यक्षा *पुष्पा अग्रवाल और वरिष्ट उपाध्यक्ष सुलोचना धनावत* ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का संक्षिप्त जीवन परिचय दे उन्हे उनके उद्बोधन के लिए बारी बारी से डिजिटल मंच पर आमंत्रित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष *डॉ अनीता अग्रवाल* ने *मां शारदा देवी की जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया सारदा देवी भारत के सुप्रसिद्ध संत स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी थीं। रामकृष्ण संघ में वे ‘श्रीमाँ’ के नाम से परिचित हैं।श्री शारदा देवी या श्री श्री मां उन्नीसवीं शताब्दी की उल्लेखनीय महिला संतों और मनीषियों में से एक हैं। उन्होंने महिलाओं की भावी पीढ़ी के लिए मठवास को साधन और जीवन के अंत के रूप में लेने का मार्ग प्रशस्त किया।श्री श्री मां सारदा देवी को आदि पराशक्ति या दिव्य माँ का अवतार माना जाता है। वह आध्यात्मिक संत रामकृष्ण परमहंस की पत्नी थीं। सारदा देवी को क्षेमंकारी, ठाकुरमणि, शारदामणि मुखोपाध्याय के नाम से भी जाना जाता है। आज उनके ब्रह्मलीन होने की पूर्व संध्या पर हम आपको उन्नीसवीं सदी के श्री रामकृष्ण परमहंस की पत्नी और आध्यात्मिक पत्नी के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि हिंदू रहस्यवादी संत थे। श्री रामकृष्ण मठवासियों और अनुयायियों द्वारा सारदा देवी को श्रद्धापूर्वक पवित्र माता (श्री श्री मां) के रूप में भी संबोधित किया जाता है।
*मुख्य अतिथि मुख्य वक्ता गणितज्ञ डॉ जी एस सिंह* प्रोफेसर गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज कोनी ने *राष्ट्रीय गणित दिवस* पर अपने उद्बोधन में बताया जन्म लेते ही आंख खोलते ही जन्म तारीख से मृत्यु होने पर आंख बंद होने पर अंतिम तारीख तक गणित ही है। गणित की प्रथम पाठशाला मां ही है।मां ही गणित की सृजनकर्ता है। मां गृहमंत्री होती है वो घर को जीवन को मैनेज करती है उनका हर पल उनका गणित से ही साक्षात्कार होता है। जीवन जीने की कला, व्यवहारिक जीवन को मैनेज करने की कला वह गणित के जरिए ही दिखती है।शिशु की नख से लेकर शीश तक मालिश करते है उसमे भी हायर मैथमेटिक्स का लापलास समीकरण लगता है।
मां ही प्रथम गणित गुरु है स्कूल जाने से पहले ही मां अपने बच्चो को पहाड़ा, गिनती सिखाती है। संपूर्ण जीवन ही गणित है जो गणित सिख गया वो जीवन प्रबंधन भी सिख गया और एक सफलव्यक्ति के रूप में निखार कर सामने आएगा। उन्होंने जीवन के कई जटिल समस्याओं पहलुओं को गणित के समीकरण सरलता से हल करने के तरीकों को सरल भाषा में समझाया।
विशिष्ट अतिथि *रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ जितेंद्र कौर चावला* रसायन शास्त्र शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय बिलासपुर ने *गुरु गोविंद सिंह जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया श्री गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरू हैं। इनका जन्म पौष सुदी 7वीं सन 1666 को पटना में माता गुजरी जी तथा पिता श्री गुरु तेगबहादुर जी के घर हुआ. उस समय गुरु तेगबहादुर जी बंगाल में थे. उन्हीं के वचनानुसार बालक का नाम गोविंद राय रखा गया और सन 1699 को बैसाखी वाले दिन गुरुजी पंज प्यारों से अमृत छक कर गोविंद राय से गुरु गोविंद सिंह जी बन गए. इनका बचपन बिहार के पटना में ही बीता। जब 1675 में श्री गुरु तेगबहादुर जी दिल्ली में हिंन्दु धर्म की रक्षा के लिए शहीद हुए तब गुरु गोबिंद साहब जी गुरु गद्दी पर विराजमान हुए।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही 1699 ई. में खालसा पंथ की स्थापना की. ख़ालसा यानि ख़ालिस (शुद्ध) जो मन, वचन एवं कर्म से शुद्ध हो और समाज के प्रति समर्पण का भाव रखता हो. पांच प्यारे बनाकर उन्हें गुरु का दर्जा देकर स्वयं उनके शिष्य बन जाते हैं और कहते हैं-जहां पाँच सिख इकट्ठे होंगे, वहीं मैं निवास करूंगा. उन्होंने सभी जातियों के भेद-भाव को समाप्त करके समानता स्थापित की और उनमें आत्म-सम्मान की भावना भी पैदा की. गोबिंद सिंह जी ने एक नया नारा दिया था – वाहे गुरु जी का ख़ालसा, वाहे गुरु जी की फतेह. दमदमा साहिब में आपने अपनी याद शक्ति और ब्रह्मबल से श्री गुरुग्रंथ साहिब का उच्चारण किया और लिखारी (लेखक) भाई मनी सिंह जी ने गुरुबाणी को लिखा।
विशिष्ट अतिथि *संतोषी चौधरी कटक ओडिसा* ने *राष्ट्रीय गणित दिवस* के अवसर पर मंच से गणित से सम्बन्धित विभिन्न प्रश्नोत्तरी पहेली के ज्ञानवर्धक कार्यक्रमों के आयोजन को सरहाते हुए भूरी भूरी प्रशंसा की।
विशिष्ट अतिथि *कमलेश बोंदिया सिमगेडा झारखंड* ने गुरु गोविंद सिंह जन्म जयंती पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया सिख संप्रदाय की स्थापना का उद्देश्य मुख्य रूप से हिन्दुओं की रक्षा करना था. इस संप्रदाय ने भारत को कई अहम मौकों पर मुगलों और अंग्रेजों से बचाया है. सिखों के दस गुरु माने गए हैं जिनमें से आखिरी गुरु थे गुरु गोबिंद सिंह. खालसा पंथ के संस्थापक दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को एक महान स्वतंत्रता सेनानी और कवि माना जाता है. गुरु गोबिंद सिंह जी को त्याग और वीरता की मूर्ति भी माना जाता है *सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊँ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊँ* गुरु गोविंद साहब को सिखों का अहम गुरु माना जाता है. उनकी सबसे बड़ी विशेषता उनकी बहादुरी थी. उनके लिए यह शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं *सवा लाख से एक लड़ाऊँ* उनके अनुसार शक्ति और वीरत के संदर्भ में उनका एक सिख सवा लाख लोगों के बराबर है।
विशिष्ट अतिथि *नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने *रामानुजन स्मृति दिवस* पर अपने उद्बोधन में बताया : देश में हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस रामानुजन स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के सम्मान में मनाया जाता है।राष्ट्रीय गणित दिवस हमारे देश के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जन्म-दिवस को राष्ट्रीय गणित दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा गणितज्ञ एस.रामानुजन के जन्म-दिवस को राष्ट्रीय गणित दिवस के तौर पर मनाए जाने की घोषणा 26 फरवरी 2012 को की थी। इसके बाद से इसके बाद से हर वर्ष 22 दिसंबर को इसे मनाया जाता है।
विशिष्ट अतिथि *सुशीला अग्रवाल शांतिनिकेतन कोलकाता* ने गणितज्ञ *श्रीनिवास रामानुजन जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया श्रीनिवास रामानुजन् का जन्म 22 दिसम्बर, 1887 को तमिलनाडु में इरोड जिले के कुम्भकोणम् नामक प्रसिद्ध तीर्थस्थान पर हुआ था। वहाँ कुम्भ की तरह हर 12 वर्ष बाद विशाल मेला लगता है। इसीलिए उस गाँव का नाम कुम्भकोणम् पड़ा।वास्तव में वह कागज और कलम के बिना मन में ही सूत्रों को हल कर चुका था। संख्याओं के सिद्धान्त पर उसकी पकड़ कमाल की थी। इन्हें हल करने में उसे कोई बौद्धिक प्रयास नहीं करना पड़ता था। अन्य प्राध्यापकों का भी ऐसा ही मत था।1936 में हावर्ड विश्वविद्यालय में भाषण देते हुए प्रोफेसर हार्डी ने रामानुजन् को एक ऐसा योद्धा बताया, जो साधनों के अभाव में भी पूरे योरोप की बौद्धिक शक्ति से लोहा लेने में सक्षम था। आज भी उनके अनेक सूत्रों को हल करने के लिए गणितज्ञ प्रयासरत हैं।
विशिष्ट अतिथि *रंजना गर्ग गुजरात* ने *अंतर्राष्ट्रीय मानव एकता दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया मौलाना मज़हरुल हक़ देश के समर्पित स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर शिक्षाविद, बिहार के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। ये असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन के समर्थक थे।एक शिक्षाविद्, एक वकील, स्वतंत्रता कार्यकर्ता और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के एक स्वतंत्रता सेनानी थे।मौलाना मजहरुल हक: तन-मन-धन से समर्पित आज़ादी का गुमनाम सिपाही!ऐसे ही एक आज़ादी के सिपाही मौलाना मजहरुल हक का नाम भी शामिल है. जिन्होंने आज़ादी के साथ-साथ हिन्दू-मुस्लिम एकता व शिक्षा व्यवस्था पर प्रबल जोर दिया था. यही नहीं मौलाना मजहरुल के घर पर महात्मा गाँधी, सुभाष चंद्र बोस जैसे कई क्रांतिकारी आया करते थे।उन्होंने आज़ादी के साथ शिक्षा की बेहतरी के लिए कई बड़े दान भी किए. ऐसे में हमारे लिए महान स्वतंत्रता सेनानी व समाजिक कार्यकर्ता मौलाना मजहरुल हक से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में जानना दिलचस्प रहेगा।सामाजिक कार्यों के साथ ही मौलाना राजनीतिक व क्रांतिकारी गतिविधियों में भी रूचि लेने लगे. बिहार में जब प्रथम राजनैतिक सम्मेलन हुआ तो ये उसके प्रमुख नेता रहे।मौलाना मजहरुल हक आज़ादी की क्रान्ति में लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहे थे।इसी स्थान पर सदाकत आश्रम व शिक्षा के लिए विद्यापीठ कॉलेज की स्थापना हुई. उसी आश्रम से मौलाना ने 1921 में ‘द मदरलैंड’ नामक साप्ताहिक पत्रिका की भी शुरुआत की।
विशिष्ट अतिथि *विजया डालमिया हैदराबाद* ने *कवि पंकज सिंह की जन्म तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया पंकज सिंह समकालीन हिन्दी कविता के महत्त्वपूर्ण कवि थे। हिन्दी कविता के क्षेत्र में बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाले महत्वपूर्ण कवियों में वे गिने जाते थे। नक्सलबाड़ी दौर में उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से उस यथार्थ को प्रकट किया था। काफ़ी समय उन्होंने जर्मनी में भी बिताया। पंकज सिंह ने अनेक पत्रिकाओं का संपादन सफलतापूर्वक किया था।
विशिष्ट अतिथि *पूजा अग्रवाल मलेशिया* ने क्रांतिकारी *तारक नाथ दास पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया तारकनाथ दास या तारक नाथ दास एक ब्रिटिश-विरोधी भारतीय बंगाली क्रांतिकारी और अंतर्राष्ट्रवादी विद्वान थे। वे उत्तरी अमेरिका के पश्चमी तट में एक अग्रणी आप्रवासी थे और टॉल्स्टॉय के साथ अपनी योजनाओं के बारे में चर्चा किया करते थे, जबकि वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पक्ष में एशियाई भारतीय आप्रवासियों को सुनियोजित कर रहे थे। वे कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर थे और साथ ही कई अन्य विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रोफेसर के रूप में भी कार्यरत थे।
तारकनाथ दास भारत के प्रसिद्ध क्रान्तिकारियों में से एक गिने जाते हैं। अरविन्द घोष, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी तथा चितरंजन दास इनके घनिष्ठ मित्रों में से थे। क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण इन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी, लेकिन बाद में पुन: अध्ययन प्रारम्भ कर इन्होंने पी.एच. डी. की उपाधि प्राप्त की थी। तारकनाथ दास पर अमेरिका में मुकदमा चला था, जहाँ इन्हें क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी।
*उमा बंसल महासचिव कोरबा* ने आज के मुख्य समाचार और इतिहास की मुख्य घटना पर प्रकाश डाला।1851 में देश में पहली मालगाड़ी रुड़की से चलायी गयी।1957 में ओहायो के कोलंबो चिड़िया घर में कोलो नामक गुरिल्ला के बच्चे का जन्म हुआ जो चिड़िया घर में पैदा होने वाला पहला गुरिल्ला था।
1966 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू.), नई दिल्ली की स्थापना ‘जेएनयू अधिनियम के अन्तर्गत भारतीय संसद द्वारा की गई थी।
1972 में तत्कालीन सोवियत संघ ने जमीन के नीचे परमाणु परीक्षण किया।
1901 में शांतिनिकेतन में ब्रह्मचर्य आश्रम को औपचारिक रूप से खोला गया
*बिलासपुर इकाई की अध्यक्षा शीतल लाठ* ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेट कर सम्मानित किया
*हेमलता बंसल कोषाध्यक्ष* ने सभी सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया।
डॉ जी एस सिंह, गिरिजा शंकर सिंह, संतोषी चौधरी, डॉ जितेंद्र कौर चावला, भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, गिरिजा गोयल, उषा कलानौरिया, सिया अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, उमा बंसल, सुलोचना धनावत, प्रेमलता गोयल, पुष्पा अग्रवाल, नंदिनी चौधरी, हेमलता मित्तल, किशोर धनावत, कृति छपारिया, सरिता गोयल, सुनीता गोयल, मंजू गोयल, निशा गोयल, पूजा अग्रवाल, राजबाला गर्ग, रेखा गर्ग, राखी गोयल, शीतल लाठ, सिया अग्रवाल, शिव अग्रवाल, सुशीला अग्रवाल, विजया डालमिया, नंदिनी चौधरी, कमलेश बोंदिया, बिना अग्रवाल, विकास अग्रवाल, हेमलता बंसल, ने भजन प्रस्तुति से भक्तिमय वातावरण बना सभी सदस्यों को झूमने गाने के लिए प्रेरित किया। अपनी अपनी अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
