वन्य जीवन ही पर्यावरण पारिस्थितिक संतुलन का आधार – द्विवेदी

राजनांदगांव. विश्व वन्य जीव दिवस के अतीव पर्यावरर्णीय महत्तम परिप्रेक्ष्य में नगर के पर्यावरण विज्ञ प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने विशेष रूप से आयोजित ऑनलाईन व्याख्यान में छात्रों को बताया कि वन्य जीवों से ही पर्यावरण, पारिस्थितिक संतुलन होता है। देश-धरती में फैले गहन, वन प्रांतरों में निवासित वन्य प्राणी ही बहुमूल्य जैव विविधता को बनाये रखने के साथ-साथ प्राकृतिक पर्यावरण के मूल तत्वों, जल-मिट्टी-वायु के संरक्षण, संवर्धन में भी मुख्य भुमिका निभाते हैं और इसी से पृथ्वी पर जीवन के आधार ऑक्सीजन चक्र, जल चक्र, नाईट्रोजन चक्र तथा पारिस्थितिक तंत्र को जीवंत बनाने वाले खाद्य श्रृंखला को विनिर्मित करते हैं। प्रत्यक्ष रूप से वन्य जीवन ही समग्र मानवीय सभ्यता के विस्तार-विकास एवं संवर्धन को आधार देकर समृद्ध रखते हैं। वर्तमान समय में वन्य-जीवों के अत्यधिक विनाश एवं बढ़ते प्रदूषण के कारण प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में समाप्त होती वन्य-जीव प्रजातियों के कारण वन-घास-जल पारिस्थितिक तंत्रों को छिन्न-भिन्न कर दिया है जिससे ही भू-मण्डलीय तापन एवं जलवायु परिवर्तन जैसी अतिगहन पर्यावरर्णीय संकट उत्पन्न हुए हैं। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने विशेष रूप से स्पष्ट किया कि इसी संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आम लोगों को वन्य-जीवन की महत्ता, उपयोगिता को बताकर उसकी संरक्षा के लिए जागरूक करने हेतु वन्य-जीव जीवन दिवस घोषित किया है। विशेषकर छात्र-युवा एवं प्रबुद्ध पीढ़ी को प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण, पारिस्थितिक संतुलन में वन्य जीवों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए उनकी संरक्षा तथा संवर्धन हेतु संकल्पित होकर व्यवहारिक पहल करने की आवश्यकता है। वस्तुत: सभी को वन्य जीवन दिवस के अवसर पर समझना होगा कि वन है तो जीव है और जीव है तो वन्य जीवन है और इससे ही मानव सभ्यता संरक्षित है एवं संवर्धित रहेगी। यही वन्य जीव दिवस का श्रेष्ठ, सार्थक संदेश है, जिसका परिपालन जन-जन, सर्व-जन का मौलिक दायित्व भी है।