*जन्म जयंती और पुण्य तिथि मनाने से हमे प्रेरणा मिलती है _ डॉ अनीता*
राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत 14 माह से प्रतिदिन आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की श्रृंखला में 25 मार्च 2022 शुक्रवार को दोपहर 3:00 बजे से गूगल मीट पर *प्रदोष, मेला पूरमंडल जम्मू, गुलामी व्यापार पीड़ित स्मरण दिवस, तेज राम शर्मा, भारतिय कवि,महादेवी वर्मा, गणेशशंकर विद्यार्थी प्रसिद्ध समाज-सेवी, स्वतंत्रता सेनानी जन्म तिथि और कुशल राजनीतिज्ञ, देइवा ज़िवारात्तीनम, भारतीय राजनीतिज्ञ, कमला प्रसाद- हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक, नन्दा- प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेत्री, धीरेंद्र नाथ गांगुली पुण्य तिथि* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।
कार्यक्रम का श्रीगणेश डॉ अनीता अग्रवाल ने अपने निवास स्थान पर मंदिर में भगवान को रोगी चावल का तिलक लगा पुष्प श्री फल चढ़ा माल्यार्पण कर मंत्रोचार से दीप प्रज्वलित किया उन्होंने अपने स्वागत उद्बोधन में सभी अतिथियों और सदस्यों का स्वागत किया
तारा बेरीवाल ने गणेश वंदना, डिंपल अग्रवाल अध्यक्ष सरिया इकाई ने संचालन करते हुए पितृ जी की वंदना, मंजू अग्रवाल अध्यक्ष अंबिकापुर इकाई ने गुरु वंदना प्रस्तुत की।
सुलोचना धनावत ने सतसंग भजन गाया।
मुख्य अतिथि *नंदिनी चौधरी* सिंगापुर ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया आज के दिन 1552 में *गुरू अमरदास* सिखों के तीसरे गुरू बने। 1668: इंग्लैंड ने बंबई पर अधिकार कर लिया। 1780 : ब्रिटेन के अखबार ब्रिट गैजेट और संडे मॉनीटर पहली बार रविवार के दिन प्रकाशित हुए। 1799 : नेपोलियन बोनापार्ट ने जापां फिलिस्तीन पर कब्जा किया। 1812: वेनेजुएला के काराकास में भीषण भूकंप आया जिसमे 20 हजार लोगों की मौत हुई। 1971: 26 मार्च को बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हो गया. 26 मार्च को बांग्लादेश स्वंतत्रता दिवस मनाता है। 1973: लंदन स्टॉक एक्सचेंज में 200 साल पुराने इतिहास को तोड़ते हुए पहली बार महिलाओं की भर्ती की। 1972 : भारत के राष्ट्रपति वी वी गिरि ने पहले अंतर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का उद्घाटन किया। 1979: 30 साल से जारी युद्ध विराम के लिए इसराइल और मिस्र ने शांति समझौते पर हाथ मिलाए, यह समझौता अमेरिका द्वारा करवाया गया।
मुख्य वक्ता *सुमित्रा मोर जामगांव गुजरात* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया महादेवी वर्मा (२६ मार्च 1907 — 11 सितम्बर 1987) हिन्दी भाषा की कवयित्री थीं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है। महादेवी ने स्वतन्त्रता के पहले का भारत भी देखा और उसके बाद का भी। वे उन कवियों में से एक हैं जिन्होंने व्यापक समाज में काम करते हुए भारत के भीतर विद्यमान हाहाकार, रुदन को देखा, परखा और करुण होकर अन्धकार को दूर करने वाली दृष्टि देने की कोशिश की। न केवल उनका काव्य बल्कि उनके सामाजसुधार के कार्य और महिलाओं के प्रति चेतना भावना भी इस दृष्टि से प्रभावित रहे। उन्होंने मन की पीड़ा को इतने स्नेह और शृंगार से सजाया कि दीपशिखा में वह जन-जन की पीड़ा के रूप में स्थापित हुई और उसने केवल पाठकों को ही नहीं समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित किया।
विशिष्ट अतिथि *पूजा अग्रवाल बैंगलोर* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया धीरेन्द्र नाथ गांगुली (जन्म: 26 मार्च 1893 – मृत्यु: 18 नवम्बर 1978) बंगाली सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। *धीरेन्द्र नाथ गांगुली* को ‘धिरेन गांगुली’ या डी.जी. के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय सिनेमा में इनके अभूतपूर्व योगदान के लिए इन्हें सन् 1975 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
विशिष्ट अतिथि *रंजना गर्ग गुजरात* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया अनिल बिस्वास (जन्म: 7 जुलाई, 1914; मृत्यु: 31 मई, 2003) बॉलीवुड के प्रसिद्ध संगीतकार थे। हिन्दी फ़िल्मों के गीत-संगीत के स्वर्ण-युग के सारथी अनिल बिस्वास रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ अपने संगीत से फ़िल्म संगीत को शास्त्रीय, कलात्मक और मधुर बनाया बल्कि अनेक गायक-गायिकाओं को तराशकर हीरे-जवाहरात की तरह प्रस्तुत किया। इनमें तलत महमूद, मुकेश, लता मंगेशकर, सुरैया के नाम प्रमुखता से गिनाए जा सकते हैं। अनिल बिस्वास शास्त्रीय संगीत के निष्णात होने के साथ लोक-संगीत के अच्छे जानकार थे। उनकी धुनों में जो संगीत है, वह अब हमारी विरासत बन गया है।
*भगवती अग्रवाल* अध्यक्ष कोरबा इकाई ने *अंतर्राष्ट्रीय गुलामी व्यापार पीड़ित संस्मरण दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया प्रतिवर्ष 25 मार्च को मनाया जाता है. यह दिन उन लोगों को सम्मानित करने और याद करने का अवसर प्रदान करता है जो क्रूर गुलामी प्रणाली के हाथों पीड़ित हुए और मारे गए. अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्देश्य आज नस्लवाद और पूर्वाग्रह के खतरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।प्रति वर्ष 25 मार्च को गुलामी का शिकार हुए लोगों और खरीदे या बेचे गए गुलाम पीड़ितों की याद में इस दिन मनाए जाने की घोषणा की थी। यह दिन उन लोगों की स्मृति में मनाया जाता है जिनकी ट्रांसलेटैटिक स्लेव ट्रेड के परिणामस्वरूप प्रताड़ित किए गए या जिनकी मृत्यु को हो गई थी, जिसे “इतिहास में मानव अधिकारों का सबसे काला दिन” कहा गया है।
*उमा बंसल* महासचिव ने सभी अतिथियों और सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति और प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया।
कार्यक्रम में नंदिनी चौधरी, कमलेश बोंदिया, पूजा अग्रवाल, सुमित्रा मोर, तारा बेरीवाल, पार्वती अग्रवाल, सबिता अग्रवाल, अंशु अग्रवाल, कीर्ति अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, पुष्पा अग्रवाल, भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, गिरिजा गोयल, रेखा गर्ग, रंजना गर्ग, सुमित्रा मोर, सुलोचना धनावत, उषा कलानोरिया, शीतल लाठ, मंजू गोयल, सिया अग्रवाल ने अपनी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
