प्रदेश में कोरोना ने 14,000 से अधिक लोगों की जान
ले ली इनमें से शायद ही किसी मृतक का अंतिम संस्कार उनके परिजन पूरे रीति रिवाज के साथ कर पाए क्योंकि दहशत के साथ-साथ अंतिम संस्कार के लिए भी गाइडलाइन सख्त थी अंतिम संस्कार किया और अस्थियां एकत्र भी कर ली लेकिन दूसरे राज्यों में जाने पर सख्ती के कारण अधिकांश लोग गंगाजी जा ही नहीं पाए
दसगात्र और तेरहवीं जैसे कार्यक्रम भी नहीं हुए अब जब करोना पाबंदी लगभग खत्म है अपनों को खोने वाले ऐसे ही परिवार मृत आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए भागवत कथाएं करवा रहे हैं हालात यह हैं कि केवल राजधानी में ही 12 सौ से ज्यादा भागवत कथाएं चल रही है जिसका नतीजा यह हुआ है कि भागवत कथा चार्य नहीं मिल पा रहे हैं भागवत चारियों ने बताया कि पिछले 2 माह से भागवत कथाएं बढ़ गई हैं कुछ जगह एडवांस बुकिंग है तो कई जजमान को समय भी नहीं दे पाए हैं उन्होंने कहा कि भागवत कथाएं हर साल होती हैं मगर इस साल सबसे ज्यादा हो रही हैं अगले 3 माह में 200 से अधिक कथाएं राजधानी रायपुर में हो रही है अगले 3 माह में 200 से अधिक मृतकों के नाम पर उनके परिजन कथा करवाने जा रहे हैं कुछ यही हाल बिलासपुर का भी है
जहाँ सतीश तिवारी जी की पुण्य समृति में व मोक्ष कामना के लिये भागवत कथा का सुंदर आयोजन संम्पन्न हुआ जिसमें पंडित नागेन्द्र शर्मा बीरकोना वाले महाराज ने भागवत को मोक्ष का मार्ग बताया
दरअसल आषाढ़ ,सावन भादो और कुंवार में इस अनुष्ठान का अधिक महत्व इसलिए होता है क्योंकि यह पितरों के नाम होती है भागवत मोक्ष प्रदायनी है कोरोना से जिन लोगों की मृत्यु हुई और प्रोटोकॉल के चलते उनका सनातन धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार नहीं हो सका आज हालात सामान्य हैं इसलिए लोग भागवत कथा करवा रहे हैं क्योंकि मोक्ष का यही एकमात्र जरिया है
इस साल अधिकांश कथाएं
मृत आत्मा की मुक्ति भागवत जी से ही होती है वह अपनी-अपनी आस्था का विषय है लोग सनातन धर्म को मानते हैं अनुष्ठान करवाते हैं इस साल अधिकांश भागवत कथाएं वही लोग करवा रहे हैं जिन्होंने करोना काल में अपनों को इस बीमारी में खोया है
