प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण प्राथमिक आवश्यकता – द्विवेदी

प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण प्राथमिक आवश्यकता – द्विवेदी


राजनांदगांव. देश-धरती में बढ़ते एकल उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण की गहन समस्या के परिप्रेक्ष्य में नगर के पर्यावरण विज्ञ प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने विशिष्ट सामयिक विचार विमर्श में बताया कि प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण प्राथमिक आवश्यकता है। चतुर्दिक गहराते प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभावों एवं घातक परिणामों विशेषकर एकल उपयोग प्लास्टिक और इसके अपशिष्ट के कारण ठप्प पड़ती सीवेज व्यवस्था, नालियों, नालों के अवरूद्ध होने से वर्षाकाल में गंदे पानी की बाढ़ आ जाने तथा फैलती सड़ांध और गंदगी के कारण डेंगू, पेचिस, मलेरिया और प्राणघातक बीमारियों का बढ़ता प्रकोप तथा इसका दुष्प्रभाव विशेषकर पॉलिथीन थैलियों के खाकर बहुसंख्यक गौवंश, पशु, जीव-जन्तु मर रहे हैं जो पारिस्थितिक संतुलन की दृष्टि से अत्यधिक चिंतनीय है। इसलिए 20 माईक्रोन की मोटाई से कम तथा 8 इंच & 12 इंच की प्लास्टिक थैलियों तथा अन्य एकल उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं को आम जनता के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित करना ही प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण का प्राथमिक एवं कारगर उपाय है। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण के अन्य उपायों पर चर्चा करते हुए कहा कि सर्वप्रथम जन साधारण को प्लास्टिक से उत्पन्न खतरों के प्रति अभियान चलाकर जागरूक करना होगा। साथ ही प्रत्येक व्यक्ति नित्य जीवनचर्या में प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग को न्यूनतम स्तर पर लाने का प्रयास करें तथा प्लास्टिक अपशिष्ट कचरे का निस्तारण करने में अपनी सक्रिय अनिवार्य भूमिका भी निभायें। वस्तुत: प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण के लिए पुन:चक्रण प्रक्रिया को तीव्रता के साथ लागू करते हुए प्लास्टिक वस्तुओं के बजाय प्राकृतिक रूप से विघटित होने वाले थैली जिसमें स्टार्च थैले, ग्रीन एवं कैलिको कपास से बने थैलों के उपयोग को बढ़ावा देना होगा। श्रेष्ठ सार्थक अर्थो में प्लास्टिक प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था को सफल बनाने के लिए व्यक्ति-व्यक्ति को एकल उपयोग प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभावों को ध्यान में रखकर व्यक्तिगत स्तर पर पहल करनी होगी। तभी इस वैश्विक समस्या विशेषकर बंजर पड़ती भूमि, घटती खाद्य फसलें तथा जल संकट पर नियंत्रण संभव होगा।