पं. मालवीय राष्ट्रसेवा अभिप्रेरणा के महामना – द्विवेदी
राजनांदगांव. देश-धरती में प्रसिद्ध बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक पं.मदन मोहन मालवीय जी की शुभमंगल जयंती परिप्रेक्ष्य में नगर के विचारप्रज्ञ प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने सामयिक विचार-विमर्श में कहा कि पं.मालवीय राष्ट्रसेवा अभिप्रेरणा के महामना व्यक्तित्व थे। विशुद्ध सनातनधर्मी पं.मावलीय बाल्यकाल से ही संस्कार, संस्कृति, संस्कृत प्रेमी थे, जिन्होंने वैदिक ग्रंथों के विशुद्ध-अध्ययन-मनन-चितंन कर उनके सार संदेश का उत्कृष्टीय प्रचार-प्रसार किया। श्रेष्ठ अध्यापकीय कार्य के साथ-साथ हिन्दुस्तान, अभ्युदय एवं लीडर जैसे लोकप्रिय समाचार पत्रों का श्रेष्ठतम-कुशल संपादन किया एवं तत्समय संचालित अस्पृश्यता निवारण आंदोलन में भी सक्रिय सहभागिता की। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने विशेष रूप से बताया कि बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए पं.मालवीय जी ने एक भिक्षुक के रूप में संपूर्ण देश में घूम-घूम कर समाज के प्रत्येक वर्ग के छोटे-बड़े सभी व्यक्तियों से छोटी से छोटी धनराशि और बड़ी से बड़ी धनराशि प्राप्त कर देश में अद्वितीय विश्वविद्यालय स्थापित किया। जो आज भी उत्कृष्ट उच्च शिक्षा के लिए अखिल विश्व में अपनी अनुपम अनूठी पहचान रखता है। उल्लेखनीय है कि लोक कल्याण के लिए धन राशि संग्रह करने का पं.मालवीय ने विशेषकर वर्तमान-युवा-किशोर-प्रबुद्ध पीढ़ी के साथ-साथ प्रत्येक राष्ट्र सेवाधर्मी व्यक्ति को अद्भुत प्रेरणा का उदाहरण प्रस्तुत किया। विशेषकर उनकी निर्मल-धवल, श्वेत भारतीय वस्त्रावली मंडित वेश-भूषा तथा अत्यंत मीठी-सरल-सरस मनोहारिणी वाणी से धनराशि दान का आग्रह करना संभवत: इसीलिए उस समय के सैकड़ों विद्वानों ने पं. मालवीय को राष्ट्रहितकारी ”भिक्षुक सम्राटÓÓ की पदवी दी थी। आइये हम सभी भी धर्म-प्राण महामना व्यक्तित्व और उनके अतीव लोककल्याणकारी कृतित्व को सदैव स्मृत रखकर राष्ट्रसेवा के लिए संकल्पित हों। यही महामना पं.मालवीय के प्रति सच्ची सार्थक श्रद्धांजलि समर्पण होगी।
