भूकम्प सर्वाधिक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा – द्विवेदी
राजनांदगांव. चतुर्दिक बढ़ते प्राकृतिक प्रकोप विशेषकर देश-धरती में आ रहे भूकंप के सामयिक संदर्भ में शासकीय कमला देवी राठी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान संस्था प्राचार्य डॉ. आलोक मिश्रा के प्रमुख संरक्षण में आयोजित किया गया। गहन प्राकृतिक प्रकोप और अतिशय विनाश को पर्याय भूकम्प पर प्रमुख वक्ता के रूप में विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने विषयक छात्राओं को बताया कि जब धरातलीय चट्टानों में आकस्मिक हलचल होती है तो उससे पैदा होने वाला कंपन ही भूकंप कहलाता है। भूकंप के कारणों में प्रमुख रूप से भू-प्लेटों के स्थानांतरण के फलस्वरूप परस्पर टकराने से, ज्वालामुखी, भू-स्खलन, वलन, घर्षण तथा मानवीय गतिविधियों में अत्यधिक खनन, बड़े बांध निर्माण, परमाणु परीक्षण एवं बम विस्फोटों आदि के कारण असंतुलन होने से ही कमजोर क्षेत्रों में मुख्य रूप से भूकंप आते हैं। भूकंप की तीव्रता का आकंलन रिक्टर पैमाने से होता है। 2.0 रिक्टर वाला सामान्य भूकंप 4.9 से 5.4 रिक्टर वाला प्रबल भूूकंप और इससे अधिक रिक्टर वाले भूकंप जिनकी तीव्रता 6.0 से अधिक होती है तथा 7.4 से 8.1 की गहनता वाले भूकंप अति विनाशकारी होते हैं जिनसे वृहद स्तर पर भारी जन-धन की हानि होती है। जैसा कि वर्तमान में आए भूकंप – टर्की, सीरिया में हुआ है। मुख्य रूप से अत्यधिक संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्रों ूमें ही ऐसे महाविनाशकारी भूकंप आते हैं। हमारे देश में इस दृष्टि से उत्तरी भारत, हिमालयीन क्षेत्र, उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र बिहार, उत्तराखंड, पश्चिमी हिमांचल, कश्मीरघाटी कच्छ आदि भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में आते हैं। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने उल्लेखनीय रूप से स्पष्ट किया कि भूकंप पर मानव का नियंत्रण नहीं होता हैं और न ही इसके आने की पूर्व घोषणा की जा सकती है। फिर भी कुछ विशेष सावधानियाँ अपनाकर भूकंप के विनाशकारी प्रभाव को कम किया जा सकता है। मुख्यत: प्रकृति संरक्षण के द्वारा तथा भूकंप संवेदनशील क्षेत्रों में भूकंप रोधी भवन निर्माण कार्य को प्राथमिकता देकर तथा भूकंप आने पर किस प्रकार बचाव किया जाये इसके लिए पूर्व में भूकंपीय क्षेत्र में निवासित आम जनों को जागरूक कर तथा ऐसे क्षेत्रों में भूकंप राहत बचाव केन्द्रों की स्थापना करके पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था की जाकर सुरक्षा प्रदान की जा सकती है। इस समसामयिक व्याख्यान में विषयक छात्राओं द्वारा सक्रिय प्रश्न-उत्तर के माध्यम से व्याख्यान को रोचक और द्विपक्षीय बनाया।
