विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठन से जुड़े लोगों ने रतनपुर थाने का किया घेराव ,पुलिस को भेंट की चूड़ियां ,नगर बंद का भी किया आव्हान

शनिवार शाम को विश्व हिंदू परिषद के साथ अलग-अलग हिंदू संगठन से जुड़े सैकड़ों लोगों ने रतनपुर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया इन लोगों ने रतनपुर महामाया चौक से पैदल मार्च करते हुए रतनपुर थाने पहुंचे जहां थाने के सामने ही सड़क जाम कर पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई पुलिस केस कायरता पूर्ण हरकत की वजह से पुलिसकर्मियों को चूड़ियां भेंट की गई दरअसल यह पूरा मामला विधवा ब्राह्मणी को षडयंत्र पूर्वक झूठे मामले में फंसाने के विरोध में था इस दौरान भारतीय राष्ट्रवादी समाज के समीर शुक्ला ने कहा कि पुलिस को लगा था कि हिंदू बिखरे हुए हैं इसलिए एक विशेष संप्रदाय के दबाव में हिंदू एकाकी ब्राह्मण के विरुद्ध कुछ भी झूठा मामला लगा दिया जाएगा और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा समीर शुक्ला ने कहा कि अब हालात बदल गए हैं हिंदू अपनी आवाज रखना सीख गया है और इस मामले में जब तक न्याय नहीं मिल जाता तब तक सभी हिंदू संगठन चुप नहीं बैठेंगे इस दौरान समीर शुक्ला ने भाजपा पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि भाजपा खुद को हिंदू हितेषी बताती है और यहां उनका ही एक पार्षद रेप पीड़ित युवती की लाचार बुजुर्ग मां के खिलाफ षड्यंत्र रचने में लिप्त है समीर शुक्ला ने ऐसे षड्यंत्रकारी भाजपा पार्षद को अविलंब पार्टी से बाहर करने की मांग की है इस पूरे मुद्दे में रतनपुर बंद का भी आह्वान किया गया रविवार को व्यापारियों ने अपना कारोबार बंद रखकर विरोध प्रदर्शन  करने की अपील की गई विरोध  इधर महिला के खिलाफ जल्दबाजी में जेल भेजने पर  हिंदू संगठनों ने सवाल खड़ा करते हुए थाना प्रभारी कृष्णकांत सिंह और मामले के विवेचक मुंशी सत्येंद्र सिंह को तुरंत रतनपुर थाने से हटाने की मांग की है

रतनपुर पुलिस ने 10 साल के बच्चे की शिकायत पर विधवा ब्राम्हण अधेड़ महिला पर अप्राकृतिक कृत्य करने का हैरान करने वाला आरोप लगाते हुए धारा 377, 506 और 4 -12 पास्को एक्ट की कार्रवाई की कार्रवाई करने में जैसी जल्दबाजी दिखाई वहीं जल्दबाजी शक पैदा कर रही है बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के पीछे की वजह कुछ और बताई जा रही है इसी साल 4 मार्च को रतनपुर के करैया पारा में रहने वाला 19 वर्षीय ताप मोहम्मद मोहल्ले की एक लड़की को लेकर खुटाघाट गया था जहां उसके साथ रेप करने के बाद उसे मारपीट कर सड़क पर छोड़ कर भाग गया पुलिस पेट्रोलिंग टीम को रोती बिलखती लड़की ग्राम भरारी के पास मिली थी पूछताछ में उसने बताया कि करिया पारा निवासी आफताब मोहम्मद ने उसके साथ दुष्कर्म किया है वैसे यह पहली मर्तबा नहीं था जब आफताब ने हिंदू ब्राह्मण लड़की के साथ दुष्कर्म किया था पिछले 4 सालों से जब लड़की स्कूल में पढ़ती थी तब से वह लव जिहाद के तहत लड़की को झांसा देते हुए उसके साथ लगातार शारीरिक संबंध बना रहा था बदनामी के डर से लड़की ने किसी को कुछ नहीं बताया लेकिन मामला उजागर होने पर उसने आफताब के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया आफताब के खिलाफ बलात्कार और पोस्ट को एक्ट की कार्यवाही हुई और उसे जेल भेज दिया गया इधर आफताब की जमानत खारिज हो गई आफताब मोहम्मद के रिश्तेदार स्थानीय भाजपा पार्षद है बताया जा रहा है उसी के इशारे पर पूरी साजिश रची गई आफताब की बुआ का बेटा रायपुर में रहता है जो 5 से 10 मई के बीच रतनपुर आया था जिसका दावा है कि जब वह मोहल्ले की दुकान से फ्रूटी लेने जा रहा था तो तभी रेप पीड़िता की विधवा मां ने उसे चॉकलेट देने के बहाने अपने घर बुलाया और उसके साथ अश्लील हरकत की इसके बाद वह लड़का रायपुर भी चला गया जब वापस लौट कर वही लड़का महिला पर गंभीर आरोप लगा रहा है शुक्रवार को बड़ी संख्या में उस लड़के के साथ उसके ही मजहब के लोग रतनपुर थाने पहुंच गए और दबाव बनाकर महिला की गिरफ्तारी कराई इधर पीड़ित महिला की बेटी और रेप पीड़िता ने बताया कि आफताब मोहम्मद के जेल जाने के बाद से ही उस पर केस वापस लेने लगातार दबाव बनाया जाता रहा है महिला के पति की मौत हो चुकी है महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है महिला के भी जेल चले जाने से उसकी बेटी बिल्कुल अकेली हो गई है जिससे स्पष्ट बताया कि रेप का केस वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए ही यह पूरी साजिश रची गई है इसी मुद्दे पर ब्राह्मण समाज बिलासपुर में एसपी को ज्ञापन सौंपते हुए पूरे मामले का खुलासा किया विधवा महिला को झूठे मामले में फंसाकर बदले की भावना से जेल भेजने का आरोप लगाते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए गए हैं ब्राह्मण समाज ने कहा कि साजिश का एकमात्र उद्देश्य पुरानी रेप के मामले में मुस्लिम युवक को बरी कराना है ब्राह्मण समाज ने बताया कि आरोप लगाने वाला बच्चा आरोपी युवक आफताब के पिता की बहन का बेटा है जो भाजपा पार्षद हकीम मोहम्मद के दुकान में ही रहता है ब्राह्मण समाज ने स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी संदेह जताते हुए जांचकर्ता मुंशी सत्येंद्र सिंह पर सवाल खड़े किए हैं