बिलासपुर। 2023 विधानसभा चुनाव पास आने के बाद दोनों पार्टियों में टिकट को लेकर सर गर्मी बढ़ गई है
खबर है कि भारतीय जनता पार्टी ने अलग-अलग पांच सर्वे कर आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की तलाश के आंकड़े हासिल कर लिए हैं । बताया जा रहा है कि बिलासपुर जिले के बिल्हा, बिलासपुर और मस्तूरी के विगत भाजपा उम्मीदवारों को ही पार्टी रिपीट कर सकती है ,ऐसा सर्वे रिपोर्ट के आधार पर किया जा रहा है। अगर यह खबर सच है तो फिर जाहिर है एक बार फिर से मस्तूरी से डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी, बिल्हा से धरम लाल कौशिक,बिलासपुर से अमर अग्रवाल को पार्टी चुनाव में उतरेगी। पिछले दिनों दैनिक भास्कर के सर्वे रिपोर्ट में भी डॉ कृष्णमूर्ति बांधी, धरम लाल कौशिक अमर अग्रवाल को ही सर्वाधिक पसंद किया गया। और यह बात केवल सर्वे रिपोर्ट तक ही सीमित नहीं है। जमीनी हकीकत भी यही है।
15 साल तक प्रदेश पर शासन करने के बाद 2018 में मिली अप्रत्याशित हार के बाद भाजपा एक बार फिर खुद को झाड़ पोछ कर पूरी मजबूती के साथ चुनाव मैदान में दो दो हाथ करने को तैयार है।
एक तरफ देश में वन नेशन, वन इलेक्शन की चर्चा है, जिसके तहत एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं । और अगर ऐसा हुआ तो फिर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखें भी आगे बढ़ जाएगी। इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी पहले ही 21 प्रत्याशियों की सूची जारी कर चुकी है और संभव है कि अगले 3 दिनों में दूसरी सूची भी जारी कर दे।
पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी की जबरदस्त लहर देखी गई, लेकिन इस मुश्किल समय में भी भाजपा के 15 विधायक चुनकर आए। जाहिर है उनकी अपनी व्यक्तिगत छवि, जमीन पर पकड़ और मतदाताओं के साथ प्रगाढ़ संबंध ने उस विपरीत परिस्थितियों में भी काम किया था, तभी तो उस जबरदस्त लहर के बावजूद भी भाजपा के गिनती के विधायक चुन कर आ पाए थे जिसमें से मस्तूरी विधानसभा से डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी और बिल्हा से धरम लाल कौशिक भी एक है।
अपने विधानसभा क्षेत्र में अजातशत्रु माने जाते हैं विधायक बांधी ।
2004 में पहली बार मस्तूरी विधानसभा से जीत कर विधायक बने डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी मस्तूरी के तीन बार विधायक रहे हैं। वे अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहे हैं ।इसके अलावा डॉक्टर बांधी अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष, अनुसूचित जाति मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष, 2004 में प्रदेश के स्वास्थ्य एवं उच्च शिक्षा मंत्री रहे हैं । विपरीत परिस्थितियों में भी मस्तूरी में कमल खिलने वाले डॉक्टर बांधी अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष रहने के अलावा वर्तमान में उप नेता प्रतिपक्ष है। सक्रिय राजनीति में आने से पहले ही कई सालों तक पेशे से चिकित्सक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में चिकित्सकीय सेवा दी है। इस दौरान उन्होंने गरीब, लाचार, बीमारो की दुर्गम , दूरदराज के क्षेत्रो में पहुंचकर सेवा की, जिस कारण से वे आज भी अपने विधानसभा क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय है।
पिछले विधानसभा चुनाव में की जबरदस्त वापसी
पिछले विधानसभा में डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी को 67, 950 वोट मिले थे और जीत का अंतर 14,107 था। इतना ही नहीं उन्होंने तत्कालीन विधायक कांग्रेस के दिलीप लहरिया को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था।
इसलिए पूरी संभावना है कि भारतीय जनता पार्टी मस्तूरी विधानसभा सीट में कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं लेगी और यहां प्रत्याशी रिपीट होगा।
मस्तूरी में भी कांग्रेस से दावेदारी की होड़
पिछले विधानसभा चुनाव में दिलीप लहरिया कांग्रेस का प्रत्याशी, जो उस समय विधायक भी थे, बसपा प्रत्याशी से भी पीछे रह गए थे, बावजूद इसके इस बार कांग्रेस में भी मस्तूरी विधानसभा सीट को लेकर घमासान तेज है। कांग्रेस की नई पॉलिसी के तहत यहां 65 से अधिक दावेदार सामने आए हैं। कांग्रेस के लिए मस्तूरी से प्रत्याशी चयन जाहिर है, टेढ़ी खीर साबित होने जा रही है, फिर भी दिलीप लहरिया लिस्ट में सबसे ऊपर और लोकप्रियता में आगे है , कॉन्ग्रेस इस पसोपेश में है कि अगर भाजपा बांधी को प्रत्यासी बनांती है तो कौन सा प्रत्यासी उनसे टक्कर ले पाएगा और मस्तुरी जीत कर देगा ।
कांग्रेस के मुकाबले भाजपा के लिए कम से कम यहां प्रत्याशी चयन को लेकर अधिक माथापच्ची की आवश्यकता नहीं है ,
क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में वर्तमान में डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी के मुकाबले ऐसा कोई कद्दावर नेता दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा जो वर्तमान परिस्थितियों में कांग्रेस को परास्त कर सके। मस्तूरी से जनपद अध्यक्ष रही चांदनी भारद्वाज को कुछ मीडिया सर्वे टिकट का दावेदार जरूर मान रहे हैं लेकिन उनकी जमीनी हकीकत कुछ और है चांदनी भारद्वाज क्षेत्र क्रमांक 13 से जिला पंचायत सदस्य चुनकर आई है लेकिन उनकी निष्क्रियता के चर्चे मस्तूरी में आम हो गए हैं एक राजनीतिक घराने से संबंध रखने के कारण क्षेत्र में उनके कुछ समर्थक मैडम चांदनी दावे को मजबूत मान रहे है लेकिन पीछे कुछ वर्षो में उनका जनता से संपर्क और संवाद बिल्कुल भी नहीं है वहीं भाजपा संघठन के कार्यक्रमो में लगातार उनका अनुपस्थित रहना उनकी कमजोरी साबित होगी ।
वही चांदनी भारद्वाज का नाम देख कर अन्य दावेदार चंद्रप्रकाश सूर्या,रामनारायण भारद्वाज आदि इस बात से दुखी और परेशान हैं कि फील्ड में पसीना बहाने के बाद भी किसी भी सर्वे में उनका नाम दूर दराज तक नजर नहीं आ रहा है मैडम का नाम उनके आगे चल रहा है ।
5 साल की सक्रियता ने बढ़ाई लोकप्रियता
सरकार में न होने के बावजूद पिछले 5 सालों में डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी अपने विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह से लगातार सक्रिय रहे हैं, उसका जाहिर तौर पर उन्हें लाभ मिलना तय है। भाजपा सरकार में मंत्री रहने के दौरान उन्होंने बेहद पिछड़े मस्तूरी विधानसभा का अभूतपूर्व विकास किया। आज जो कुछ मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में विकास के तौर पर नजर आता है, वह सब कुछ उनके ही कार्यकाल की देन है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकाल में भी जब मस्तूरी से दिलीप लहरिया कांग्रेस से चुनकर आए तो वे अपने विधानसभा के लिए कुछ भी उल्लेखनीय नहीं कर पाए । उन पांच सालों में भी हार के बावजूद डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी अपने विधानसभा में लगातार सक्रिय रहे, इसी का परिणाम है कि अगली बार भारी अंतर से जीत दर्ज कर उन्होंने ऐतिहासिक वापसी की।
भाजपा के अन्य दावेदार डॉक्टर बांधी से कोसों पीछे
इधर भारतीय जनता पार्टी में भी कुछ एक ऐसे दावेदार हैं जो सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से अपनी लॉबिंग करने में जुटे हुए हैं , लेकिन इनमें से किसी की भी छवि गंभीर राजनेता की नहीं है, ना ही उनका कद विधानसभा चुनाव लड़ने लायक बन पाया है। बेहद सीमित व्यक्तित्व और संसाधन के साथ अपनी दावेदारी पेश करने वाले ऐसे भाजपा नेताओं पर जाहिर है पार्टी दाव नहीं खेलना चाहेगी, क्योंकि इस बार मुकाबला कांटे का होना तय है और एक-एक सीट भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण होगी, इसलिए कम से कम भाजपा उन सीटों पर जरा भी जोखिम लेने के मूड में नहीं है जहां पिछले विधानसभा में उनके विधायक चुनकर आए हैं। इस पैमाने पर देखा जाए तो इस बार भी मस्तूरी विधानसभा में डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी और बिल्हा में धरम लाल कौशिक का टिकट फाइनल नजर आ रहा है।
दोनो ही पार्टी में कुछ ऐसे नेता भी सक्रिय बताये जा रहे हैं जो अपनी पार्टी को अपने बूथ में भी जीत दिलाने में सक्षम नहीं हुए, बरसाती कुकुरमुत्ते की तरह उग आए ऐसे दावेदारों को ना तो स्थानीय कार्यकर्ता ही व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं और ना ही ऐसे नेता ही क्षेत्र के संगठन से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से वाकिफ है। पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा भी संदेह से परे नहीं है ।
सर्वे ने भी दिए हैं संकेत
भारतीय जनता पार्टी ने हाल फिलहाल जितने भी सर्वे किए हैं, उनमें पार्टी के वर्तमान विधायकों और करीब 45 पूर्व विधायकों को जनता का समर्थन मिलता दिख रहा है, इसलिए राजनीति के जानकार बता रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी के जो विधायक पिछले विधानसभा चुनाव में चुनकर आए हैं, उनकी टिकट पक्की है, जिनमें से डॉ बांधी भी एक है। यही वजह है कि डॉ बांधी फिलहाल पूरी तरह से चुनावी मोड पर नजर आ रहे हैं और उन्होंने अभी से चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। उनके साथ एक बेहद मजबूत टीम भी है जो उनकी ताकत को दुगनी कर रही है। हर दिन अपने विधानसभा क्षेत्र का दौरा, लगातार विकास कार्यों का भूमि पूजन और लोकार्पण, साथ ही साथ मतदाताओं से सतत जनसंपर्क का ही प्रभाव है कि मस्तूरी में लगातार दूसरी पार्टी और संगठनों के लोग भाजपा की सदस्यता लेकर पार्टी से जुड़ रहे हैं।
कांग्रेस के 5 साल के कार्यकाल में अधिकांश जगह कांग्रेस मजबूत हुई है लेकिन डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी ने जिस तरह से अपने क्षेत्र में इन 5 सालों में अपनी सक्रियता बढ़ाई और लगातार अपने विधानसभा क्षेत्र में काम किया, उससे मस्तूरी में उलटी गंगा बहती दिख रही है। यहां पिछले 5 सालों में भाजपा पहले से अधिक मजबूत बन कर उभरी है,
यही कारण है कि अधिकांश सर्वे यही बता रहे हैं कि इस बार भी मस्तूरी विधानसभा सीट बीजेपी की झोली में जाने वाली है और ऐसा तभी संभव होगा जब यहां भाजपा किसी तरह का प्रयोग ना कर पूर्व विधायक डॉक्टर कृष्णमूर्ति बांधी को ही चुनाव मैदान में उतारे।
