10 साल की उम्र से ट्रेनिंग, पिता रोज 40 किमी दूर दूध-फल देने आते थे, जानें कौन हैं रवि दहिया

भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ने टोक्यो ओलंपिक में अपने अभियान की शुरुआत जीत के साथ कर दी है. उन्होंने मंगलवार को प्री-क्वार्टर फाइनल और क्वार्टर फाइनल दोनों में ही जीत हासिल कर ली है. अब वो सेमीफाइनल में पहुंच गए है

  • महज 23 साल के हैं रवि दहिया
  • कठिनाइयों से गुजरा है जीवन

भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया (Ravi Dahiya) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में अपने अभियान की शुरुआत जीत के साथ कर दी है. मंगलवार को उन्होंने पहले प्री-क्वार्टर फाइनल में कोलंबिया के रेसलर ऑस्कर टिगरेरोस उरबानो को मात दी. उसके बाद 57 किलो कैटेगरी के क्वार्टर फाइनल मैच में बुल्गारिया के जॉर्डी वैंगेलोव को 14-4 से हरा दिया. इसी के साथ रवि कुमार (Ravi Kumar) अब सेमीफाइनल में पहुंच गए हैं.

रवि दहिया ने 2019 में कजाखिस्तान के नूर सुल्तान में हुई वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था. 5 फीट 7 इंच की लंबाई वाले दहिया अपनी कैटेगरी में सबसे लंबे पहलवानों में से एक हैं.

बेहद कठिनाइयों से गुजरा है जीवन…

1997 में रवि दहिया का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में हुआ था. उनके पिता एक किसान थे, लेकिन उसके पास अपनी जमीन तक नहीं थी. वो किराए की जमीन पर खेती किया करते थे. 10 साल की उम्र से ही रवि ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह से ट्रेनिंग ली है.

रवि दहिया को पहलवान बनाने में उनके पिता का बहुत बड़ा हाथ है. आर्थिक तंगी होने के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की ट्रेनिंग में कोई कसर नहीं छोड़ी. उनके पिता राकेश हर रोज अपने गांव से छत्रसाल स्टेडियम तक की 40 किलोमीटर की दूरी तय कर रवि तक दूध और फल पहुंचाते थे. हालांकि, जब रवि ने 2019 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज जीता था, तब भी उनके पिता उनके इस मैच को नहीं देख सके थे, क्योंकि वो उस वक्त भी अपना काम कर रहे थे, ताकि रवि को अपने सपने पूरे करने में कोई दिक्कत न हो.

चोट ने भी किया परेशान, लेकिन नहीं मानी हार…

2015 जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में रवि की प्रतिभा नजर आई. उन्होंने 55 किलो कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता, लेकिन सेमीफाइनल में चोटिल भी हो गए. उसके बाद सीनियर वर्ग में करियर बनाने के दौरान चोट के कारण उन्हें पीछे भी हटना पड़ा. 2017 के सीनियर नेशनल्स में चोट ने उन्हें परेशान किया. इस कारण उन्हें कुछ समय मैट से दूर रहना पड़ा.उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में करीब एक साल लगा. हालांकि, चोट के कारण लगे ब्रेक के बाद उन्होंने उसी जगह से वापसी की जहां से छोड़ा थ. रवि ने बुखारेस्ट में 2018 वर्ल्ड अंडर 23 रेसलिंग चैम्पियनशिप में 57 किलो कैटेगरी में सिल्वर पर कब्जा जमाया.उन्होंने 2019 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप के सिलेक्शन ट्रायल में सीनियर रेसलर उत्कर्ष काले और ओलंपियन संदीप तोमर को हराया. 2020 भी रवि के लिए काफी अच्छा रहा. कोरोना से पहले मार्च में दिल्ली में हुई एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने गोल्ड जीता था.