सैकड़ों वाहन और बस रोके गए, कई सामाजिक नेता हाउस अरेस्ट

राजधानी रायपुर में रविवार को प्रस्तावित करणी सेना की “न्याय महापंचायत” से पहले जिले में अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था देखी गई। रायपुर की ओर आने वाले प्रमुख मार्गों पर पुलिस तैनाती बढ़ा दी गई। कई रूटों पर बैरिकेडिंग कर वाहनों की आवाजाही सीमित की गई, जिसके चलते सैकड़ों वाहनों को पुलिस द्वारा रोका गया।
पुलिस की इस कार्रवाई से करणी सेना और राजपूत क्षत्रिय समाज के कार्यकर्ताओं में नाराज़गी देखी गई। समाज के अनुसार, प्रशासन ने जानबूझकर कार्यक्रम में शामिल होने वालों की संख्या कम करने की रणनीति अपनाई।

प्रमुख सामाजिक नेताओं को घरों में रोका गया
सूत्रों के मुताबिक करणी सेना से जुड़े कई प्रमुख क्षत्रिय सामाजिक नेताओं को घर पर ही नज़रबंद कर दिया गया। इनमें जिला स्तर पर सक्रिय पदाधिकारी और विभिन्न संगठन प्रमुख शामिल हैं।
करणी सेना का कहना है यह शांतिपूर्ण महापंचायत थी, जिसे रोकने के लिए प्रशासन ने अनुचित शक्ति का प्रयोग किया।
धमतरी रोड, दुर्ग–भिलाई मार्ग, बिलासपुर मार्ग, आरंग व अभनपुर रूट सहित अन्य एंट्री प्वाइंट्स पर पुलिस ने वाहनों को रोकने की व्यवस्था की
कई कार्यकर्ताओं को वापस लौटने की सलाह दी गई।
इससे कई जिलों से रायपुर आने वाले समाजजनों को रास्तों में लंबा जाम और देर का सामना करना पड़ा।
अनौपचारिक रूप से अधिकारियों ने बताया कि बड़ी संख्या में लोगों के अचानक पहुंचने की संभावना के मद्देनज़र सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन के लिए कड़े कदम उठाए गए यह सुरक्षा मानकों के अनुसार किया गया ताकि किसी भी तरह की अवांछित स्थिति न बने।
समाज का आरोप – “आवाज़ दबाने का प्रयास”
क्षत्रिय समाज के पदाधिकारियों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताते हुए कहा कि सरकार पहली बार छत्तीसगढ़ में इतने बड़े राजपूत समाज की सामाजिक एकजुटता से भयभीत है। पहले जगह की परमिशन रद्द की अब वाहनों को रोकना हाउस अरेस्ट आदि ।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे जल्द ही प्रेस वार्ता कर आगे की रणनीति तय करेंगे।
अगले कदम पर निगाह
महापंचायत को सीमित करने के बावजूद, समाज के प्रतिनिधियों की रणनीति जारी है। करणी सेना प्रमुख अभी भी धरने पर बैठे हुए हैं

