राजपूत समाज करणी सेना का आंदोलन रोकने प्रशासन ने झोंकी पूरी ताकत, संगठन के सभी बड़े पदाधिकारी घर पर ही नजर बंद

रायपुर में तोमर परिवार कि महिलाओं के साथ पुलिस द्वारा हुई बर्बरता और अपमान के खिलाफ 7 दिसंबर को आयोजित क्षत्रिय स्वाभिमान न्याय महा पंचायत को विफल करने पुलिस प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी, कार्यक्रम के एक दिन पहले साइंस कॉलेज मैदान में प्रदर्शन करने से रोक दिया परमिशन रद्द कर दी गई एवं सुबह से ही राजपूत करणी सेना के बड़े पदाधिकारी को नजर बंद कर दिया गया इतना ही नहीं कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे हजारों कार्यकर्ताओं को रायपुर पहुंचने से पहले ही रोक लिया गया। जो लोग रायपुर पहुंचे उन्हें कार्यक्रम स्थल नहीं जाने दिया गया।
बावजूद इसके बड़ी संख्या में क्षत्रिय समाज के कार्यकर्ता कार्यक्रम स्थल पहुंचे और प्रशासन के विरुद्ध आवाज बुलंद की।

संगठन ने अपनी 8 सूत्रीय मांगों को लेकर भाटा गांव रायपुर में प्रदर्शन किया और राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ, लेकिन पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रखी गई थी।

धरना स्थल पर प्रशासन और संगठन के बीच करीब एक घंटे तक हाई लेवल बैठक चली। इस बैठक में एएसपी लखन पटले, एडीएम यूएस बांदे और शहर के 4 से 5 थानों के थाना प्रभारी मौजूद रहे।


इसके अलावा रायपुर प्रवेश करने वाले सभी मुख्य मार्गों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था।
रायपुर सहित बिलासपुर के बड़े पदाधिकारी को घर पर ही नजर बंद कर दिया गया था,


करणी सेना के इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तोमर परिवार की महिलाओं के साथ हुई बर्बरता के खिलाफ जांच और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करना था, करणी सेना ने थाना प्रभारी उमेश कश्यप और दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही करने की मांग की है ।
प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर मौजूद पदाधिकारियों से विस्तार से बातचीत की और पूरे मामले की जानकारी ली।

क्षत्रिय करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने बैठक के बाद कहा कि प्रशासन ने उनकी मांगों पर विचार करने के लिए 15 दिन का समय मांगा था, लेकिन संगठन ने जनहित और न्याय की प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हए 30 दिन का समय देने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से तोमर परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन भी दिया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर तय समय सीमा के भीतर मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो संगठन बड़े स्तर पर आंदोलन करेगा और गृह मंत्री के बंगले का घेराव किया जाएगा।

इस पूरे घटनाक्रम के दौरान हरियाणा से आए ओकेंद्र सिंह राणा का बयान भी सामने आया, जिसमें उन्होंने सरकार के खिलाफ तीखी राजनीतिक भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि जहां-जहां भाजपा की सरकार है, वहां वोट के माध्यम से जवाब दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन अपनी माताओं और बहनों के सम्मान को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगा और जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेगा।

वहीं प्रशासन की ओर से एडीएम यूएस बांदे ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि करणी सेना ने 8 बिंदुओं में अपनी मांगें लिखित रूप में सौंपी हैं। इन मांगों को संबंधित उच्चाधिकारियों तक भेजा जाएगा और सरकार स्तर से जो भी दिशा-निर्देश मिलेंगे, उन्हें संगठन को अवगत कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि धरना प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना सामने नहीं आई और स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में रही। पुलिस बल लगातार मौके पर तैनात रहा और यातायात व्यवस्था को भी सुचारू बनाए रखा गया। स्थानीय प्रशासन ने आम नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
कुल मिलाकर फिलहाल रायपुर में हालात सामान्य हैं, लेकिन संगठन द्वारा दी गई चेतावनी के बाद आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक हलचल और तेज होने की संभावना जताई जा रही है

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