अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत साढ़े सात माह से गूगल मीट पर चल रहे कार्यक्रम में आज 22 सितंबर 2021 बुधवार को *अष्टावक्र जयंती, विश्व रोज डे* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।
कार्यक्रम का श्री गणेश डॉ अनीता अग्रवाल अध्यक्ष ने संत अष्टावक्र को नमन कर उनके जैसे दुर्लभ प्रतिभा के धनी बनने और बनाने का आह्वान किया।
डिजिटल तिलक लगा श्रीफल, रोस गुलाब का पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह भेंट कर *मुख्य अतिथि मुख्य वक्ता डॉ राज कुमार सचदेव* का स्वागत वंदन अभिनंदन कर उन्हे डिजिटल माइक सोपते हुए उन्हें उनके वक्तत्व के लिए डिजिटल मंच पर आमंत्रित किया।
*डॉ सचदेव सहायक प्राध्यापक हिंदी शासकीय महामाया महाविद्यालय रतनपुर, पूर्व कुलसचिव*, पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्व विद्यालय बिलासपुर ने अपने वक्तत्व में संत अष्टावक्र और अष्टावक्र गीता को विस्तार से सरल भाषा में बताया।
उन्होंने बताया अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दूज को इस महान संत का जन्म हुआ। जन्म से पहले माता सुजाता पुत्री उद्वालक ऋषि के गर्व में अपने पिता को वेद पाठन करते समय हुई त्रुटियों का गर्भ से ही माता द्वारा संकेत देने पर उनके पिता कहोड़ ने उन्हें श्राप दिया श्राप फलीभूत हुआ वे जन्म से ही आठ अंगो से टेडे हुए।
उनके पिता कहोड़ राजा जनक मिथिला नरेश के आश्रम गए शास्त्रार्थ करने वहा हारने पर नियमानुसार मृत्यु को प्राप्त हुए।
अपने नाना के आश्रम में सुसंकार वान होते हुए अपनी सोच की ज्ञान वह शक्ति है जो किसी को भी निराश और परास्त नहीं करती, शास्त्रार्थ की विद्या ज्ञान से स्वयं को परिपूर्ण किया।
राजा जनक के आश्रम में शास्त्रार्थ के लिए गए द्वारपाल से संदेश भिजवा अनुमति मिलने पर सभा में गए जहा उन्हे देख सभी हंस रहे थे ऐसा होते देख वे स्वयं भी जोर जोर से हंसने लगे राजा जनक के पूछने पर बताया आपके सभा में विद्वान नहीं चर्मकार रहते हैं जो शारीरिक संरचना को देखकर अपने अल्प ज्ञान छोटी बुद्धि पर हंस रहे हैं वे विद्वान नहीं है ऐसा सटीक उत्तर सुनकर राजा जनक ने उन्हें कहा आप अभी सिर्फ 12 बरस के हैं शास्त्रार्थ करने के लिए तैयार नहीं है जब अष्टावक्र ने कहा मेरी उम्र और शारीरिक बनावट से मेरे ज्ञान को मत परखो मैं शास्त्रार्थ के लिए पूर्ण तैयार हूं । राजा जनक ने उनसे 4 प्रश्न पूछे बोले इसके उत्तर अगर सही दोगे तभी आप शास्त्र कर सकते हैं पहला प्रश्न वह कौन है जो छुपा वस्था में अपनी आंखें बंद नहीं करता है अष्टावक्र ने इसका उत्तर मछली दिया जो जागते हुए ही सोती है दूसरा प्रश्न जन्म लेने के बाद कौन चलने में असमर्थ होता है इस पर उन्होंने उत्तर दिया जन्म के बाद अंडा वह वस्तु है वह है जो चल नहीं सकता तीसरा प्रश्न वह कौन है जो हिर्दय विहीन है इसका उत्तर उन्होंने पत्थर दिया चौथा और अंतिम प्रश्न था वह क्या है जो शीघ्रता से मरने वाला नहीं है इस पर उत्तर उन्होंने दिया नदी का वेग वेग से बहने वाली नदी होती है चारों उत्तर सही सुनकर अष्टावक्र को शास्त्रार्थ करने की अनुमति मिल गई राजा जनक के विद्वान ने अष्टावक्र को कहा अगर आप परास्त हुए तो आपको भी नदी में डूबा कर मृत्यु का दंड दिया जाएगा उन्होंने पूछा इस बात को सार्थक करिए कि ब्रह्मांड में एक ही सूरज एक केंद्र और एक यमराज है अष्टावक्र ने कहा नहीं इंद्र और अग्नि देवता है नारद और पर्वत देव श्री है पति पति पत्नी सहचर है रथ के दो पहिया होते हैं फिर तीन लोक पर चर्चा हुई चार वर्ण पर चार आश्रम चार दिशाएं दसों दिशाएं ऐसे चलता गया दोनों सामान रहे ब्राह्मण 13 वे श्लोक में कुछ भूल गए अष्टावक्र ने उसे पूरा कर उन्हें पराजित कर दिया ।
राजा जनक की सभी सभा इस विद्वान के उत्तर देने के तरीके से आश्चर्यचकित हुई तब अष्टावक्र ने अपना पूरा परिचय दिया उनसे कहा गया अब आपने जिसे पराजित किया है उन्हें मृत्यु दंड दिया जाए अष्टावक्र ने कहा मैं मृत्युदंड नहीं दूंगा आज तक इस ब्राह्मण से जो भी परास्त हुआ है वह मृत्यु को प्राप्त किए हैं मेरा इन से विनम्र निवेदन है अपनी शक्ति से अपने ज्ञान से अपने प्रार्थना से उन सभी को सशरीर यहां उपस्थित करें जहां भेजा है वापस बुलाए। ब्राह्मण ने ऐसा ही किया जब सभी शरीर वापिस आए तो उसमें उनके पिता भी थे जब उन्हें अपने पुत्र के बारे में पता चला उन्हें अपने भूल का अहसास हुआ और उन्होंने अपने पुत्र को आशीर्वाद दिया कि समीप में नदी है उसमें स्नान करोगे तो आप पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाओगे अष्टावक्र ने स्नान किया और उन्होंने सुंदर पूर्ण शरीर की प्राप्ति हुई। फिर उन्होंने राम चरित्र मानस में राम का चरित्र का व्याख्यान किया अष्टावक्र गीता लिखा जिसमें राजा जनक और अष्टावक्र के श्लोकों का संपूर्ण जानकारी है।
तुलसीदास जी ने अपने दोहे में कहा है *तनय मातु-पिता तोष निहारा दुर्लभ जननी सकल संसारा* इस श्लोक का अर्थ यह है कि अष्टावक्र ही एक ऐसे दुर्लभ पुत्र हैं जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को पूर्ण रूप से संतुष्ट किया है साथ-साथ में राजा जनक और उनकी सभा को भी।
डॉक्टर सचदेव ने कहा अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा आज इस ऑनलाइन वेबीनार में ऐसे पुत्र का संस्मरण करना उनकी ज्ञान और भक्ति का विस्मरण करना बहुत बड़ी बात है यह हमारे अंदर मातृ, परिवार, समाज और राष्ट्रप्रेम की भावना का संचार करती है।
कार्यक्रम का संचालन उमा बंसल महासचिव कोरबा ने किया प्रेमलता गोयल उपाध्यक्ष ने आज का इतिहास बताया आज के विशेष दिन *इक्विनोक्स* दिन और रात बराबर होने का भौगोलिक ज्ञान दिया।
कार्यक्रम में सभी सदस्य डिंपल अग्रवाल कुसुम अग्रवाल नीलिमा गोयल रंजना गर्ग सरला लोहिया सुलोचना बनावत उमा बंसल उषा कला डोरिया पुष्पा अग्रवाल हेमलता मित्तल प्रेमलता गोयल राजबाला गर्ग सिया अग्रवाल भगवती अग्रवाल गिरिजा गोयल मीरा अग्रवाल ने अपने-अपने भजन और अभिव्यक्ति द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाया।
संपूर्ण विश्व में एकता और शांति की भावना हो ऐसे विचार से गायत्री मंत्र, राम राम का सत्संग कर शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।
