अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत फरवरी माह से चल रहे नित्य आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की श्रृंखला में 26/11/2021 शुक्रवार को *राष्ट्रीय कानून दिवस, संविधान दिवस, महान गोभक्त लाला हरदेवसहाय की जन्म तिथि,सतसंग* आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम। डॉ अनीता अग्रवाल अपने निवास पर श्री राम दरबार के छाया चित्र पर दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण के साथ श्रीगणेश किया।
गणेश वंदना गिरजा गोयल एवं पितर वंदना डिंपल अग्रवाल तथा गुरु वंदना सरला दोपहर लोहिया द्वारा प्रस्तुति दी गई
कार्यक्रम का संचालन *उमा बंसल* महासचिव कोरबा ने किया उन्होंने सभी अतिथियों और सदस्यों का डिजिटल मंच पर रोली अक्षत का तिलक लगा श्री फल और बुके भेंट कर स्वागत किया।अतिथियों का परिचय दे वक्तत्व के लिए आमंत्रित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष *डॉ अनीता अग्रवाल* ने *महान गोभक्त लाला हरदेवसहाय* की जन्म तिथि पर अपने उद्बोधन में बताया लाला जी बचपन में ही वेद, उपनिषद, पुराण आदि ग्रन्थ पढ़ डाले थे। उन्होंने स्वदेशी व्रत धारण किया था। अतः आजीवन हाथ से बुने सूती वस्त्र ही पहने।लाला जी के मन में निर्धनों के प्रति बहुत करुणा थी।लाला जी ने ‘भारत सेवक समाज’ तथा सरकारी संस्थानों के माध्यम से भी गोसेवा का प्रयास किया।उन्होंने जनजागरण तथा आन्दोलन का मार्ग अपनाया। इस हेतु फरवरी 1955 में प्रयाग कुम्भ में ‘गोहत्या निरोध समिति’ बनाई गयी।
लाला जी ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक देश में पूरी तरह गोहत्या बन्द नहीं हो जायेगी, तब तक मैं चारपाई पर नहीं सोऊंगा तथा पगड़ी नहीं पहनूंगा। उन्होंने आजीवन इस प्रतिज्ञा को निभाया। उन्होंने गाय की उपयोगिता बताने वाली दर्जनों पुस्तकंे लिखीं। उनकी ‘गाय ही क्यों’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक की भूमिका तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने लिखी थी। लाला जी के अथक प्रयासों से अनेक राज्यों में गोहत्या-बन्दी कानून बने।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि *नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने *संविधान दिवस* पर अपने उद्बोधन में बताया हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है। दरअसल यही वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
विशिष्ट अतिथि *कमलेश बोंदिया झारखंड* ने *राष्ट्रीय कानून दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति 26 नवंबर को राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 26 नवंबर, 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था। हालांकि इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। अपने जीवन में प्रतिदिन के कार्य में भगवान का स्मरण करते हुए करें वह सत्संग से बड़ा पुण्य काम है।
विशिष्ट अतिथि *रंजना गर्ग गुजरात गांधीग्राम* ने 26 नवंबर 2008 को हुए दिल दहलाने वाले हमले के बारे में बताया कैसे समुद्री रास्ते से भारत में घुसे जैश-ए-मोहमद कोके आंतकियों ने ताज होटल में कई बेगुनाहों के खून बहाए थे. बेरहम हत्यारों ने पूरे इलाके को भारी बमबारी और अंधाधुन गोलीबारी से दहला कर रख दिया था।उन्होंने मंच के माध्यम से दो मिनट कामों रख सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
विशिष्ट अतिथि *निधि बिंजराजका कोलकाता* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया मन बीमार होता है तब उसकी दावा डॉक्टर से करवाते है ठीक वैसे ही मन की बीमारी की ठीक करने के लिए सतसंग ही सबसे अच्छी दवाई है।
पलाश के पत्ते का कोई स्वयं का अस्तित्व अकेले में नही होता परंतु जब माला में गूंथा जाता है तब वो पत्ता भगवान के चरणों में पहुंच जाता है। ठीक इसी तरह मनुष्य भी सतसंग से ईश्वर प्राप्ति कर सकता है।
विशिष्ट अतिथि *विजया डालमिया हैदराबाद* ने गुरु वंदना का भजन कही मैं तुम्हे क्या बाबा जुबा से कह नही पाती हू तेरी सौगात को पा कर ये आंखे ही छलकाती हू प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की संयोजिका *सुलोचना धनावत* ने सतसंग में बताया निष्काम कर्म करना चाहिए। सत्कर्म का फल मिलता है पर ईश्वर प्राप्ति नहीं होती। उन्होंने प्रेरक प्रसंग सुनाया की एक बार चार मित्र भगवान की आराधना कर रहे थे।अति तीव्र उपासना स्वरूप भगवान प्रकट हुए बोले मांगो क्या मांगते हो।पहले मित्र ने
धन मांगा।दूसरे ने स्त्री, तीसरे ने राज्य,
चौथे ने कहा मैं सिर्फ आपके दर्शन की चाहना करता हूं और कुछ नही चाहिए। भगवान ने सभी को उनके अनुसार देकर अंतर्ध्यान हो गए।
तीनों ने चौथे को बोला तुम मूर्ख हो और आगे चलने लगे। तीसरे ने सोचा पहले दोनो को मार दू और ऐसा ही किया दोनो को मार उनके धन, स्त्री पर कब्जा कर लिए। अब सोचा चौथे को मार दू नही तो ये राज खोल देगा ऐसा सोच चौथे को मरने गया तब भगवान आ गए तीसरे को सजा दे सब चौथे निष्काम भक्त को दे दिया।
मोह रूपी दलदल से दूर रह कर्म करे तब ही कल्याण होगा मोक्ष प्राप्त होगा।
*प्रेमलता गोयल उपाध्यक्ष* ने *प्रेरक कहानी* सुनाई दीपावली की शाम दीपक सजा रही थी अचानक दीपो को बात करते सुना पहला दीपक बोला मैं बड़ा सुंदर आकर्षक चिकना घड़ा बनना चाहता था लेकिन छोटा सा दीपक बन गया।
दूसरा दिया बोला मैं भव्य मूर्ति बन किसी अमीर के आलीशान घर को सुशोभित करना चाहता परंतु छोटा सा दीपक बन गया।
तीसरा दीपक बोला मुझे पैसे से प्यार है मैं बड़ा सा गुल्लक बनता तो मेरे पास ढेरों पैसा रहता परंतु छोटा सा दिया बन गया हूं।
चौथे दीपक ने मुस्कुराते हुए कहा हम सभी को उद्देश रख आगे बढ़ना चाहिए यही सही है अगर हम असफल हुए तो भाग्य को कोसना मैं समझदारी नहीं है परंतु हमे ऐसा सोचना चाहिए अवसरों की कमी नही एक गया तो दूसरा रास्ता खुलेगा जीवन में अवसरों की कमी नहीं 1 गया तो अनेक रास्ते खुलेंगे ।यह सोचे हम छोटे दिए जरूर हैं पर आगे दीपावली आ रही है हमें सभी ले खरीदेंगे हम पूजा के मंदिर में पहुंचेंगे हमे जल कर रोशनी फैलाना है। सकारात्मक विचार के साथ हमे भी प्रकाशवान करना चाहिए।
मन बड़ा चंचल है मन पर नियंत्रण करना आना चाहिए।
*नंदिनी चौधरी* ने अपनी अभिव्यक्ति में सतसंग पर बताया एक बार एक भक्त ने संत से पूछा कर्मों का फल कैसे पता चलता है । संत ने कहा आपके कर्मों का फल ईश्वर के पास रहता है ठीक वैसे जैसे बिजली कितनी जलती है मीटर से पता चल जाता है।
*कुसुम अग्रवाल* ने सतसंग पर अपनी अभिव्यक्ति में रामायण की चौपाई बताया बिनु सतसंग बिबेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
सतसंगत मुद मंगल मूला। सोई फल सिधि सब साधन फूला।
सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और श्री रामजी की कृपा के बिना वह सत्संग सहज में मिलता नहीं। सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। सत्संग की सिद्धि (प्राप्ति) ही फल है और सब साधन तो फूल है॥
*सुशीला अग्रवाल* ने सतसंग में बताया एक प्रेरक कहानी बताई एक बस में एक महिला बुजुर्ग महिला के बाजू में बैठ उसे परेशान करने लगी।जब महिला कोई प्रतिक्रिया नहीं की तब उसने पूंछा आप मुझे क्यों नही डाट रहे है।तब उसने कहा मेरे यात्रा का पड़ाव बहुत छोटा है मैं उतर जाऊंगी मैं व्यर्थ में आपसे क्यों उलझू। ठीक इसी प्रकार हमारा जीवन बहुत छोटा है हमे प्रेम से रहना है।
*उमा बंसल* ने एक *प्रेरक कहानी* सुनाई एक यात्रा में एक परिवार को प्यास लगी उन्हे कही पानी नहीं मिला उन्होंने बैठ कर प्रार्थना की ईश्वरीय कृपा से उन्हें दूर एक कुटिया दिखी वहा जा कर प्रणाम कर उनसे पूछा साधु ने बताया नीचे नदी है ये बाल्टी लो पानी ले आया जब वो पानी लेकर आया उसे कुछ लोग मिले उनसे पानी मांगा उसने उन्हें पानी पिला दिया फिर पानी भरता फिर पिलाता ये सिलसिला चलता रहा साधु सोचे बाल्टी लेकर गया अभी तक नही आया जा कर देखना चाहिए देख आश्चर्य हुआ पूछा तुम औरों को पानी पिला रहे हो तुम्हारा परिवार प्यास से मर रहा है व्यक्ति बोला मैं धर्म निभा रहा हु।तुम भी जो तुम्हे मिला है वो प्राप्त करने का रास्ता दिखाओ वही धर्म है जभी तुम पुण्य के भागी बनोगे।
*शीतल लाठ* ने हरे कृष्ण कृष्णा कृष्णा हरे हरे की रोज माला फेरने को कहा।
कोरबा इकाई की अध्यक्षा *भगवती अग्रवाल* मनुष्य जन्म अनमोल है मिट्टी में ना रोल
*मधु अग्रवाल* ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
सभी सदस्यो की उपस्तिथि, अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।
सम्मेलन के सभी सदस्य सुशीला, अनीता गोयल, लता मोदी,अनीता गोयल, , , सरला लोहिया, सिया अग्रवाल,, गिरिजा गोयल, मधु अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, निधि बिंजराजका, शकुन बिंजराजका,
, रंजना गर्ग, सरिता गोयल, , सुशीला अग्रवाल, विजया डालमिया, सरिता अग्रवाल ने कार्यक्रम को सफल बनाया।
