राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत
द्वारा प्रतिदिन आयोजित कार्यक्रम की श्रंखला में 30/11 /2021 मंगलवार को *उत्पन्ना एकादशी, सेंट एंड्रयू डे, भूषणलाल जन्म तिथि, वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस की जन्म तिथि, राजीव दीक्षित का पुन्य स्मरण दिवस, रमेशचंद्र दत्त की पुण्य तिथि* पर आयोजित कार्यक्रम।
कार्यक्रम का संचालन *प्रेमलता गोयल* उपाध्यक्ष अंबिकापुर ने किया।उन्होंने सभी अतिथियों को डिजिटल प्लेटफार्म पर रोली अक्षत का तिलक लगा श्री फल भेट कर स्वागत किया। अतिथियों का जीवन परिचय प्रस्तुत कर उन्हे बारी बारी से उनके उद्बोधन के लिए आमंत्रित किया।
कार्यक्रम का श्री गणेश कार्यक्रम की संयोजिका *शीतल लाठ* ने अपने निवास स्थान पर विष्णु भगवान के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर पूजा अर्चना आरती आराधना, गणेश वंदना, पितरों जी की स्तुति से किया।
*शक्ति* की शकुंतला शर्मा ने गणेशजी का भजन और पितरों जी का भजन सिया अग्रवाल अंबिकापुर, कृष्ण भजन निशा गोयल पत्थलगांव, कुसुम अग्रवाल ने एकादशी का भजन प्रस्तुत किया।
डॉ अनीता अग्रवाल अध्यक्ष ने अपने उद्बोधन में *विज्ञान की अमर विभूति जगदीश चंद्र बसु की जन्म तिथी* पर बताया विज्ञान की अमर विभूति जगदीश चंद्र बसु का जन्म 30 नवंबर, 1858 को बिक्रमपुर हुआ था, जो अब ढाका , बांग्लादेश का हिस्सा है । आपके पिता भगवान सिंह बसु डिप्टी कलेक्टर थे। पेङ-पौधों के बारे में जब उनके सवालों का उत्तर बचपन में स्पष्ट नही मिला तो वे बङे होने पर उनकी खोज में लग गये। बचपन के प्रश्न जैसेः- माँ पेङ के पत्ते तोङने से क्यों रोकती थी? रात को उनके नीचे जाने से क्यों रोकती थी? अपनी जिज्ञासु प्रवृत्ति के कारण आगे चलकर उन्होंने अपनी खोजों से पूरे संसार को चकित कर दिया।उन्होंने सिद्ध कर दिया कि पौधे भी सजीवों के समान सांस लेते हैं, सोते जागते हैं और उन पर भी सुख-दुख का असर होता है। उन्होने ऐसा यंत्र बनाया, जिससे पेङ-पौधों की गति अपने आप लिखी जाती थी।इस यंत्र को क्रेस्कोग्राफ कहा जाता है ।जगदीशचंद्र बसु निरंतर नई खोज करते रहे, 1915 में उन्होने कॉलेज से अवकाश लेकर लगभग दो साल बाद “बोस इन्स्ट्यूट” की स्थापना की। जो ‘बोस विज्ञान मंदिर’ के नाम से प्रख्यात है। 1917 में सरकार ने उन्हे सर की उपाधी से सम्मानित किया।जगदीश चंद्र बसु केवल महान वैज्ञानिक ही नही थे, वे बंगला भाषा के अच्छे लेखक और कुशल वक्ता भी थे। विज्ञान तो उनके सांसो में बसता था।आज भी वैज्ञानिक जगत में भारत का गौरव बढाने वाले जगदीसचन्द्र बसु का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है। ऐसी विभूतियाँ सदैव अमर रहती हैं।
*मुख्य अतिथि नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने *सेंट एंड्रयू डे* पर बताया हर साल 30 नवंबर को, सेंट एंड्रयूज दिवस स्कॉटलैंड और विशेष रूप से उन देशों में मनाया जाता है जहां सेंट एंड्रयू जैसे संरक्षक संत हैं जैसे- बारबाडोस, बुल्गारिया, कोलंबिया, साइप्रस, ग्रीस, रोमानिया, रूस, स्कॉटलैंड और यूक्रेन। यह दिन एंड्रयू द एपोस्टल का पर्व है। बर्न्स नाइट और हॉगमैन के बाद स्कॉटिश कैलेंडर में यह महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है, जो हर साल स्कॉटलैंड के शीतकालीन महोत्सव की शुरुआत का संकेत देता है।
*विशिष्ट अतिथि विजया डालमिया हैदराबाद* ने *राजीव दीक्षित का पुन्य स्मरण* करते हुए बताया राजीव दीक्षित का जन्म 30 नवम्बर 1967 और मृत्यु 30 नवम्बर 2010 को हुई। दीक्षित जी एक भारतीय वैज्ञानिक, प्रखर वक्ता और आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक थे। बाबा रामदेव ने उन्हें भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा था।एक विद्वान, महापुरुष और स्वदेशी के महान समर्थक थे।
विशिष्ट अतिथि *सुशीला अग्रवाल शांतिनिकेतन* ने अपनी अभिव्यक्ति में रमेशचंद्र दत्त की पुण्य तिथि पर बताया दत्त जी भारत के प्रसिद्ध प्रशासक, आर्थिक इतिहासज्ञ तथा लेखक तथा रामायण व महाभारत के अनुवादक थे। भारतीय राष्ट्रवाद के पुरोधाओं में से एक रमेश चंद्र दत्त का आर्थिक विचारों के इतिहास में प्रमुख स्थान है। दादाभाई नौरोज़ी और मेजर बी. डी. बसु के साथ दत्त तीसरे आर्थिक चिंतक थे जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान के प्रामाणिक विवरण पेश किये और विख्यात *ड्रेन थियर*’ का प्रतिपादन किया। इसका मतलब यह था कि अंग्रेज अपने लाभ के लिए निरंतर निर्यात थोपने और अनावश्यक अधिभार वसूलने के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को निचोड़ रहे हैं।
विशिष्ट अतिथि *अन्नपूर्णा अग्रवाल कोलकाता* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया *भूषणपाल जन्म तिथि* पर बताया 30 नवम्बर, 1954 को जम्मू-कश्मीर राज्य के किश्तवाड़ नामक नगर में इनका जन्म हुआ था। आप एक समाजसेवी और आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे।मन में भारत माता के प्रति प्रेम का भाव कूट-कूट कर भरा हुआ था और मातृभूमि के लिए कुछ और अधिक करने की इच्छा के चलते 1981 में वे प्रचारक बन गये।इस अवसर को प्रेरक बनाने के लिए उन्होंने एक विशाल यज्ञ कियाइस पवित्र पथ पर जाने का आशीर्वाद दिया। इसके बाद भी जब तक वे जीवित रहे, अपने पुत्र का मनोबल बनाये रखा।परिश्रमी स्वभाव एवं मधुर व्यवहार के कारण उन्होंने शीघ्र ही पूरे प्रान्त में सैकड़ों नये कार्यकर्ता खड़े कर लिये। उनका कंठ बहुत मधुर था। इसका उपयोग कर उन्होंने पुरुषों एवं महिलाओं की कई भजन मंडली एवं सत्संग मंडल गठित कर डाले।
*कार्यक्रम की संयोजिका पुष्पा अग्रवाल और शीतल लाठ* ने अपनी अभिव्यक्ति में हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का महत्व बताया। इस दिन श्री हरि का पूजन किया जाता है। व्रत रखा जाता है व्रत का विधान बता इस व्रत को हिंदू धर्म के सर्वश्रेष्ठ व्रतों में से एक बताया।उन्होंने उत्पन्ना एकादशी की कथा सुना पूजा का विधि विधान बताया। रामजी, हनुमान जी की आरती कर भोग लगा सभी के मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना की।
*उमा बंसल महासचिव* ने करोना की तीसरी लहर से बचने के लिए प्राथमिक सावधानियों के बारे ने बताया।
सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेट कर सम्मानित किया। सभी सदस्यों की उपस्तिथि अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का समापन किया।
उन्होंने मंच से दो मिनट का मौन रखवा सभी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की । इस अवसर पर उपस्थित वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उनके द्वारा किए गए कार्य को भुलाया नहीं जा सकता।
सम्मेलन के सभी सदस्य भगवती अग्रवाल, नंदिनी चौधरी, गिरिजा गोयल, कृष्णा अग्रवाल, उमा बंसल, उषा कलानौरिया, विजया डालमिया, मधु अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, रेखा गर्ग, कीर्ति अग्रवाल, मंजू गोयल, निशा गोयल, प्रेमलता गोयल, पुष्पा अग्रवाल, शीतल लाठ, सिया अग्रवाल, सुशीला अग्रवाल, शकुंतला अग्रवाल, लक्ष्मी देवी अग्रवाल, शकुंतला शर्मा शक्ति ने अपनी अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति से पूरे मंच को भक्तिमय बना सभी को भक्तिरस का रसपान करवा आयोजन को आनंदमय रूप से सफल बनाया।
