अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़
प्रांत द्वारा विगत ग्यारह माह से प्रतिदिन आयोजित कार्यक्रम की श्रृंखला में गूगल मीट पर प्रांतीय अग्रवाल संगठन के संयुक्त तत्वावधान में *प्रेरणादायक मोटिवेशनल काउंसलर डॉ संतोष पाण्डेय और महावीर प्रसाद द्विवेदी , तेजी बच्चन की पुण्यतिथि* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम ।
कार्यक्रम का संचालन *डॉ अनीता अग्रवाल* ने करते हुए कार्यक्रम का श्री गणेश अपने निवास स्थान पर महाराजा अग्रसेन के फोटो पर रोली अक्षत का तिलक लगा, माल्यार्पण, दीप प्रज्वलित, पूजा अर्चना आरती आराधना से किया। डिंपल अग्रवाल ने गणेश वंदना और उषा कलानौरिया ने पितरों जी की स्तुति प्रस्तुत की।
*हेमलता मित्तल और भगवती अग्रवाल* ने सभी अतिथियों को तिलक लगा श्री फल और तुलसी का पौधा भेट कर स्वागत किया।
*उमा बंसल* ने मुख्य वक्ता *डॉ संतोष पाण्डेय* का संक्षिप्त जीवन परिचय दे उन्हे उनके उद्बोधन के लिए डिजिटल मंच पर आमंत्रित किया।
*डॉ अनीता अग्रवाल* ने *महावीर प्रसाद द्विवेदी की पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग ‘द्विवेदी युग’ के नाम से जाना जाता है।उन्होंने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती का सम्पादन किया। हिन्दी नवजागरण में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। उन्होंने हिन्दी साहित्य के अमर कलाकार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के लेखन शैली पर प्रकाश डाल उनके निबंध, काव्य संग्रह पर प्रकाश डाला।
*नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने अपने उद्बोधन में बताया द्विवेदी जी का जन्म जिला रायबरेली में दौलतपुर नामक गाँव में हुआ था। पहले घर पर ही संस्कृत पढ़ते रहे, बाद में रायबरेली, फतेहपुर तथा उन्नाव के स्कूलों में पढ़े, परन्तु निर्धनता ने पढ़ाई छोड़ने के लिए विवश कर दिया।द्विवेदी जी पढ़ाई छोड़कर बम्बई चले गये। वहाँ तार का काम सीखा। तत्पश्चात् जी०आई०पी० रेलवे में 22 रु० मासिक की नौकरी कर ली। अपने कठोर परिश्रम तथा ईमानदारी के कारण इनकी निरन्तर पदोन्नति होती गयी। धीरे-धीरे ये 150 रु० मासिक पाने वाले हैड क्लर्क बन गये। नौकरी करते हुए भी आपने अध्ययन जारी रखा। संस्कृत, अंग्रेजी तथा मराठी का-भी इन्होंने गहरा ज्ञान प्राप्त कर लिया। उर्दू और गुजराती में भी अच्छी गति हो गयी। बम्बई से इनका तबादला झाँसी हो गया। द्विवेदी जी स्वाभिमानी व्यक्ति थे। अचानक एक अधिकारी से झगड़ा हो जाने पर नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया। इसके पश्चात् आजीवन हिन्दी साहित्य की सेवा में लगे रहे।
*पूजा अग्रवाल मलेशिया* ने अपने उद्बोधन में *तेजी बच्चन की पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया तेजी बच्चन एक सामाजिक कार्यकर्ता, प्रसिद्ध हिन्दी कवि हरिवंश राय बच्चन की पत्नी तथा सुप्रसिद्ध हिन्दी फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन की माँ थीं।एक सोशल एक्टिविस्ट थीं और इंदिरा गांधी के बहुत करीब मानी जाती थीं।
*मुख्य वक्ता कैरियर काउंसलर डॉ संतोष पांडे* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया जीवन कैसे जीते खुश कैसे रहे खुशियां कैसे बाटे, सफल कैसे होए के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया सफल होना सब चाहते है सभी सफल व्यक्ति बनना चाहते है जब हम बहुत छोटे होते है कलेक्टर का मतलब नही जानते थे हिम्मत करते थे बताते थे हम बड़े होकर कलेक्टर बनेंगे। जब बड़े हो उसके बारे में जानने लगते है तब हिम्मत नही करते ना प्रयास करते है बनने का। हमे सबसे पहले
*डिस्क्राइब योर फाइनल गोल* करना चाहिए। आप जीवन से क्या चाहते है।क्या बनना चाहते है स्पष्ट होना चाहिए। जिंदगी एक एक दिन आगे बढ़ने लगी, जो हम बचपन में सोचते थे तो क्या हम उस डेस्टिनेशन तक पहुंच पाए नही सोचते कुछ और थे बन कुछ और गए। जीवन में आया है वो जाएगा ये निश्चित है।कुछ ऐसा करे की जब जाए तो लोग याद करे की इन्होंने समाज के लिए बहुत किया। आप जो चाहेंगे वो ही प्राप्त करते है।पहले सोचा फिर किया जैसे जो पडंड है यो कपड़ा पहले खरीदा फिर पहना, प्लॉट लिया फिर घर बनाया। सारी चीजे पहले सोचा फिर वो ही वैसे ही हो गई। पहले सोचे फिर आप देखेंगे वो प्राप्त होगा ।सोचने में पैसा भी नहीं लगता फिर भी लोग नही सोचते। पहले ही डरते है मेरे बस का नही है पहले से ही सोच लेते है। पहले अपनी जिन्दगी में सोचिए कारण उम्मीद ही खुशियां लाती है।सब थॉट प्रोसेस है हम समझे की पृथ्वी में सर्व प्रथम मनु क्षतृपा दो ही धरती पर आए थे।हम सभी उनकी संतान है। ऐसे विचार से आपसी सामंजस्य स्थापित करना, खुश रहना सरल हो जाएगा।
हर पल जिए हर पल खुश रहने का नाटक करे हम देखेंगे नाटक करते करते वो हमारी आदत हो जाएगी।खुशी भी अंदर से ही आती है भले दो मिनट के लिए और गम भी अंदर से ही आती है। इसलिए प्रसन्न रहे।कहा भी गया *जाकी जैसी भावना रही वैसे ही प्रभु मुहरत रही* खाली हाथ आए थे खाली हाथ जायेगे ये थोड़ा बदले खाली हाथ आए थे और परिवार में संस्कार, कल्चर, प्रबंधन, प्रसन्न संतुष्ट रहना दिखा कर जाए।समाज को भी जितना अपने लिया है उससे की गुना देकर जाने की सोचे ऐसा करने से आप संतुष्ट प्रदान खुशहाल रहेगी। सप्ताह में एक दिन अपने लिए समय निकले अपने जिन्दगी का कैलकुलेशन करिए।मुस्कुराइए, जीवंत रहिए, हंसिए, रोज पांच लोगो की काम से काम प्रशंसा करिए, अच्छी आदतें सीखना चाहिए।हमेशा याद रखिए हम जो देंगे वो ही प्राप्त होगा और जो है वही देगे इसलिए अच्छा सोचे अच्छा करे अच्छा दे।
मुख्य अतिथि *अशोक मोदी कोरबा* ने अपने उद्बोधन में बताया सर्वप्रथम दिनचर्या व्यवस्थित रखिए अच्छे संस्कार दीजिए , समंजस स्थापित करने की क्षमता बढ़ाइए, हमेशा चिंतन मनन करे जिससे रामराज्य स्थापित कर सके।
*विशिष्ट अतिथि राजू सुल्तानिया* ने कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की।कार्यक्रम को सार्थक बताया।
*विशिष्ट अतिथि नित्यानंद अग्रवाल* ने जीवन के मूल सिद्धांत खुश संतुष्ट रह खुशी फैलाने के बारे में सरल शब्दों में बताया।
*चेयरमैन अशोक सीयाराम अग्रवाल* ने अपने उद्बोधन में वेबिनार को सार्थक बता एक कहानी सुनाई की रोटी चार प्रकार की होती है प्रथम रोटी *पहली स्वादिष्ट रोटी* मां के हाथ की होती है जो वात्सल्य और प्रेम से भरी होती है जिससे पेट तो भरता है पर मन नहीं भरता है।
*दूसरी रोटी* पत्नी के हाथ की होती है जो अपनेपन समर्पण की होती है।
*तीसरी रोटी* बहु के हाथ की होती है जो कर्तव्य के भाव से भरी होती है।
*चौथी रोटी* कर्मचारी सहयोगी के हाथ की होती है जो वृद्धाश्रम जाने से बचाती है। इससे पेट तो भरता है पर मन नहीं भरता।पेट भरने की व्यवस्था होती है इससे तृप्ति नहीं मिलती।
*इस कहानी* से हमे यह सीख मिलती है कि हमे क्या करना चाहिए मां की पूजा करनी चाहिए, पत्नी को दोस्त रूप में स्वीकार करना, बहु को बेटी रूप में, अगर बहु खुश रहेगी तो बेटा खुश रहेगा और चौथी स्तिथि हालात नही बनेंगे।ईश्वर को धन्यवाद दे।भगवान का शुक्र करो जीवन दिया स्वाद भूल जाओ सोचो रोटियां तो मिल रही है।ऐसा सोचने से प्रसन्नता ही प्राप्त होगी।
*प्रेमलता गोयल* ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेट कर सम्मानित किया।
*गंगा अग्रवाल* ने सभी सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति, उद्बोधन के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
*सिया अग्रवाल* ने विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया।
*कार्यक्रम में* डॉ संतोष पाण्डेय, सियाराम अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, अशोक मोदी, नित्यानंद अग्रवाल, राजू सुल्तानिया, भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, गिरिजा गोयल, कविता जिंदल, नंदिनी चौधरी, पूजा अग्रवाल, पूजा, कविता जिंदल, शिव अग्रवाल, सुशीला अग्रवाल, विजया डालमिया, विजय अग्रवाल, शारदा वस्तावितीया, शालू, सिद्धार्थ अग्रवाल, पुष्पा अग्रवाल, राजबाला गर्ग, रेखा गर्ग, राखी गर्ग, प्रेमा अग्रवाल, प्रेमलता गोयल, उषा कलानौरिया, उमा बंसल, सुलोचना धनावत, नंदिनी चौधरी, हेमलता मित्तल, किशोर धनावत, निर्मला अग्रवाल, कृति छापारिया, मोक्ष गर्ग,सरिता गोयल, सुनीता गोयल, निशा गोयल, प्रीति मोदी, पूजा अग्रवाल, राखी गोयल, शीतल लाठ, सिया अग्रवाल, शिव अग्रवाल, सुशीला अग्रवाल, विजया डालमिया, नंदिनी चौधरी,कविता जिंदल, सीता सिंघल ने अपनी प्रस्तुति, अभिव्यक्ति से डिजिटल वातावरण को आनंदमय बना सभी सदस्यों को प्रसन्न रहने के लिए प्रेरित कर कार्यक्रम को सफल बनाया।
