अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़
प्रांत द्वारा विगत ग्यारह माह से प्रतिदिन आयोजित कार्यक्रम की श्रृंखला में 24/12/2021 शुक्रवार को गूगल मीट पर *राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस, कर्तव्यनिष्ठ तथा सेवाभावी कृष्ण चंद्र भारद्वाज जन्म जयंती, स्वातंत्र्य सैनिक पांडुरंग सदाशिव साने जन्म जयंती, नीरज चोपड़ा एथलीट जन्म दिवस, अनिल कपूर अभिनेता जन्म दिवस, मोहम्मद रफी जन्म जयंती, उषा प्रियवंदा, नारायणभाई देसाई, राजनीतिज्ञ पी शीलू एओ जन्म दिवस, बाबा आमटे जन्म दिवस, पत्रकार बनरसीदास चतुर्वेदी जन्म जयंती, स्वतंत्रता सेनानी भोगराजू पट्टाभि सीतारमैया जन्म तिथि* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।
कार्यक्रम की संयोजिका एवम संचालन कर्ता *सुलोचना धनावत* ने करते हुए कार्यक्रम का श्री गणेश अपने निवास स्थान पर गणेश भगवान के फोटो पर रोली अक्षत का तिलक लगा, माल्यार्पण, दीप प्रज्वलित, पूजा अर्चना आरती आराधना कर गणेश वंदना और पितरों जी की स्तुति से किया। उन्होंने जीवन में सतसंग का महत्व बताया।
सरिया इकाई की अध्यक्षा *डिंपल अग्रवाल* ने शुक्रवार का महत्व बता मां संतोषी जी की कथा सुना गणेश वंदना भजन प्रस्तुत किया।
बाराद्वार इकाई की अध्यक्षा *उषा कलानौरिया* ने पितरों की कृपा के बारे में बता पितरों जी महाराज का भजन कर उनका आशीर्वाद की कामना की।
कोरबा इकाई की अध्यक्षा *भगवती अग्रवाल* ने सभी अतिथियों को तिलक लगा श्री फल और तुलसी मां का पौधा भेट कर स्वागत किया।
रायपुर इकाई की अध्यक्षा *पुष्पा अग्रवाल* ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का संक्षिप्त जीवन परिचय दे उन्हे उनके उद्बोधन के लिए बारी बारी से डिजिटल मंच पर आमंत्रित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष *डॉ अनीता अग्रवाल* ने *राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया आज भारत में उपभोक्ता अधिकारों का जश्न मनाने का दिन है. आज ही के दिन 24 दिसंबर, 1986 को राष्ट्रपति से सहमति मिलने के बाद इसकी शुरुआत की गई थी. इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना है। 24 दिसंबर को भारत में प्रतिवर्ष राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस भी कहा जाता है. इसकी शुरुआत 24 दिसंबर, 1986 को हुई थी. इसी दिन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को भारत के राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई थी. राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस का उद्देश्य उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करना है।
मुख्य अतिथि मुख्य वक्ता *नंदिनी चौधरी सिंगापुर* जन्म-दिवस *कर्तव्यनिष्ठ व सेवाभावी श्रीकृष्णचंद्र भारद्वाज जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया संघ के प्रचारक का अपने घर से मोह प्रायः छूट जाता है; पर 24 दिसम्बर, 1920 को पंजाब में जन्मे श्रीकृष्णचंद्र भारद्वाज के एक बड़े भाई नेत्रहीन थे. जब वे वृद्धावस्था में बिल्कुल अशक्त हो गये, तो श्रीकृष्णचंद्र जी ने अंतिम समय तक एक पुत्र की तरह लगन से उनकी सेवा की. इस प्रकार उन्होंने संघ और परिवार दोनों के कर्तव्य का समुचित निर्वहन किया।बिहार क्षेत्र का बौद्धिक प्रमुख रहे।नित्य शाखा को श्रद्धा का विषय मानकर वे इसके प्रति अत्यधिक आग्रही रहते थे।निर्णय करने के बाद उसे निभाना उनके स्वभाव में था. नब्बे के दशक में जब श्रीराम मंदिर आंदोलन ने गति पकड़ी, तो उन्हें बिहार में विश्व हिन्दू परिषद का संगठन मंत्री बनाया गया. इस दौरान हुए सब कार्यक्रमों में बिहार की भरपूर सहभागिता में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा।
विशिष्ट अतिथि *विजया डालमिया हैदराबाद* ने *स्वातंत्र्य सैनिक पांडुरंग सदाशिव साने जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया
पांडुरंग सदाशिव साने मराठी के प्रसिद्ध लेखक, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे साने गुरूजी के नाम से अधिक प्रसिद्ध हैं।साने गुरुजी हे मराठीतले एक श्रेष्ठ गांधीवादी शिक्षक, समाजसुधारक आणि प्रतिभावंत लेखक होते।साने गुरुजी की माँ के मुँह के ये शब्द साने गुरुजी ने जीवन भर बोले और अंत तक अमल में रहे। हम देख सकते हैं कि श्याम द्वारा अपनी मां पर लिखी गई पुस्तक के कारण यह संस्कार कई पीढ़ियों तक चला। पांडुरंग सदाशिव साने जिन्हें हम साने गुरुजी के नाम से जानते हैं, मराठी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी थे।
विशिष्ट अतिथि *सुशीला अग्रवाल शांतिनिकेतन* ने *बाबा आमटे की जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया डॉ॰ मुरलीधर देवीदास आमटे जो कि बाबा आमटे के नाम से ख्यात हैं, भारत के प्रमुख व सम्मानित समाजसेवी थे। समाज से परित्यक्त लोगों और कुष्ठ रोगियों के लिये उन्होंने अनेक आश्रमों और समुदायों की स्थापना की। इनमें चन्द्रपुर, महाराष्ट्र स्थित आनंदवन का नाम प्रसिद्ध है।बाबा आम्टे को उनके इन महान कामों के लिए बहुत सारे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया. बाबा आमटे को 1971 में पद्मश्री, 1978 में राष्ट्रीय भूषण, 1986 में पद्म विभूषण और 1988 में मैग्सेसे पुरस्कार मिला।उन्होंने कुष्ठ रोगियों के बारे में जानकारी इकट्ठा की और एक आश्रम स्थापित किया जहां कुष्ठ रोगियों की सेवा अब भी निःशुल्क की जाती है. इस आश्रम का नाम है आनंद वन. यहां आने वाले रोगियों को उन्होंने एक मंत्र दिया ‘श्रम ही है श्रीराम हमारा’. जो रोगी कभी समाज से अलग-थलग होकर रहते भीख मांगते थे उन्हें बाबा आमटे ने श्रम के सहारे समाज में सर उठाकर जीना सीखाया. बाबा आम्टे ने “आनन्द वन” के अलावा और भी कई कुष्ठरोगी सेवा संस्थानों जैसे, सोमनाथ, अशोकवन आदि की स्थापना की है जहाँ हजारों रोगियों की सेवा की जाती है और उन्हें रोगी से सच्चा कर्मयोगी बनाया जाता है. इसके अलावा बाबा आमटे को भारत जोड़ो आंदोलन के लिए भी याद किया जाता है. बाबा आम्टे ने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए 1985 में कश्मीर से कन्याकुमारी तक और 1988 में असम से गुजरात तक दो बार भारत जोड़ो आंदोलन चलाया. नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध निर्माण और इसके फलस्वरूप हजारों आदिवासियों के विस्थापन का विरोध करने के लिए 1989 में बाबा आम्टे ने बांध बनने से डूब जाने वाले क्षेत्र में निजी बल (आंतरिक बल) नामक एक छोटा आश्रम बनाया।पण्डित बनारसीदास चतुर्वेदी प्रसिद्ध हिन्दी लेखक एवं पत्रकार थे। वे राज्यसभा के सांसद भी रहे। उनके सम्पादकत्व में हिन्दी में कोलकाता से ‘विशाल भारत नामक हिन्दी मासिक निकला। बनारसीदास चतुर्वेदी जैसे सुधी चिंतक ने ही साक्षात्कार की विधा को पुष्पित एवं पल्लवित करने के लिए सर्वप्रथम सार्थक कदम बढ़ाया था। उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
वे अपने समय का अग्रगण्य संपादक थे तथा अपनी विशिष्ट और स्वतंत्र वृत्ति के लिए जाने जाते हैं। उनके जैसा शहीदों की स्मृति का पुरस्कर्ता (सामने लाने वाला) और छायावाद का विरोधी समूचे हिंदी साहित्य में कोई और नहीं हुआ। उनकी स्मृति में बनारसीदास चतुर्वेदी सम्मान दिया जाता है।
*निशा गोयल* ने *नीरज चोपड़ा जन्म दिवस* पर अपने उद्बोधन में बताया नीरज चोपड़ा ट्रैक और फील्ड एथलीट प्रतिस्पर्धा में भाला फेंकने वाले खिलाड़ी हैं। नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंककर टोक्यो ओलंपिक 2021 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है |अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद किसी विश्व चैम्पियनशिप स्तर पर एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक को जीतने वाले वह दूसरे भारतीय हैं।नीरज चोपड़ा एक भारतीय एथलिट हैं जो ट्रैक एंड फील्ड के जेवलिन थ्रो नामक गेम से जुड़े हुए हैं तथा राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। नीरज एक एथलीट होने के साथ-साथ भारतीय सेना में सूबेदार पद पर भी तैनात हैं और सेना में रहते हुए अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बदौलत इन्हे सेना में विशिस्ट सेवा मैडल से भी सम्मानित किया जा चूका है।
*कुसुम अग्रवाल* ने *अभिनेता अनिल कपूर जन्म दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया अनिल कपूर भारतीय फिल्म अभिनेता और निर्माता हैं जो कि बाॅलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में अपने अभिनय और डॉयलाग बोलने के अंदाज से भी जाने जाते है। वे मुख्यत: हिन्दी फिल्मों में ही काम करते हैां वे हर शैली की फिल्मों में काम कर चुके हैं और उन्हें काफी सराहना भी मिली हैाकपूर के फिल्मी करियर की शुरूआत फिल्म ‘हमारे तुम्हारे’ से एक छोटे के किरदार से हुई थी लेकिन फिल्म ‘वो सात दिन’ में उनकी पहली अग्रणी भूमिका थीा इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में छोटी-बड़ी भूमिकाएं निभाईं और आलोचकों के साथ साथ दर्शकों का काफी मनोरंजन किया। प्रसिद्ध फिल्में-मेरी जंग, चमेली की शादी, जांबाज, कर्मा, मि.इंडिया, तेजाब, रामलखन, घर हो तो ऐसा, बेटा, 1942 ए लव स्टोरी, विरासत, हम आपके दिल में रहते हैं, ताल, बुलंदी, पुकार, नायक, वेलकम, रेस, स्लमडॉग मिलेनियर जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय का जलवा बिखेराा फिल्म बेटा में निभाए गए उनके किरदार ने सभी को भावनात्मक कर दिया था और ऐसा कहा जाने लगा था कि बेटा हो तो ऐसाा वहीं फिल्म ‘नायक’ में निभाए गए उनके 1 दिन के मुख्यमंत्री के किरदार को खूब प्रशंसा मिलीा
*पूजा अग्रवाल* ने क्रांतिकारी *गायक मोहमाद रफी जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया मोहम्मद रफ़ी जिन्हें दुनिया रफ़ी या रफ़ी साहब के नाम से बुलाती है, हिन्दी सिनेमा के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में से एक थे। अपनी आवाज की मधुरता और परास की अधिकता के लिए इन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई। इन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था। मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ ने अपने आगामी दिनों में कई गायकों को प्रेरित किया। इनमें सोनू निगम, मुहम्मद अज़ीज़ तथा उदित नारायण का नाम उल्लेखनीय है – यद्यपि इनमें से कइयों की अब अपनी अलग पहचान है। 1940 के दशक से आरंभ कर 1980 तक इन्होने कुल 26,000 गाने गाए।इनमें मुख्य धारा हिन्दी गानों के अतिरिक्त ग़ज़ल, भजन, देशभक्ति गीत, क़व्वाली तथा अन्य भाषाओं में गाए गीत शामिल हैं। जिन अभिनेताओं पर उनके गाने फिल्माए गए उनमें गुरु दत्त, दिलीप कुमार, देव आनंद, भारत भूषण, जॉनी वॉकर, जॉय मुखर्जी, शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, जीतेन्द्र तथा ऋषि कपूर के अलावे गायक अभिनेता किशोर कुमार का नाम भी शामिल है। 24 दिसंबर 2017 को मोहम्मद रफी जी के 93वें जन्मदिवस पर गूगल ने उन्हें सम्मानित करते हुए उनकी याद में गूगल डूडल बनाकर उनके गीतों को और उनकी यादों को समर्पित किया | इस डूडल को मुंबई के चित्रकार साजिद शेख द्वारा बनाया गया।
*मंजू गोयल* ने पत्रकार और साहित्यकार उषा प्रितम्वदा जन्म पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया उषा प्रियंवदा हिंदी की उन कथाकारों में से एक हैं, जिनके उल्लेख के बिना हिंदी साहित्य का इतिहास पूरा नहीं होता। वे आज की एक सशक्त कहानी लेखिका हैं।अंग्रेज़ी की अध्येता रहीं उषा जी की लेखनी से हिंदी साहित्य कोश हमेशा समृद्ध होता रहा। उषा प्रियंवदा की गणना उन कथाकारों में होती है, जिन्होंने आधुनिक जीवन की ऊब, छटपटाहट, संत्रास और अकेलेपन की स्थिति को पहचाना और व्यक्त किया है। यही कारण है कि उनकी रचनाओं में एक ओर आधुनिकता का प्रबल स्वर मिलता है तो दूसरी ओर उसमें विचित्र प्रसंगों तथा संवेदनाओं के साथ हर वर्ग का पाठक तादात्म्य का अनुभव करता है।
*राखी गोयल* ने स्वतंत्रता सेनानी एवम महादेव देसाई के पुत्र नारायण भाई देसाई की जन्म पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया नारायण भाई देसाई भारतीय गांधीवादी और लेखक थे। वह महात्मा गाँधी के विश्वसनीय सचिव महादेव हरिभाई देसाई के पुत्र थे। महात्मा गाँधी की वाणी, लेखनी और क्रिया-कलाप को 25 वर्षों तक महादेव देसाई ने अपनी डायरी में दर्ज किया था। गाँधीजी की आत्मकथा का अंग्रेज़ी अनुवाद भी उनके द्वारा किया गया था। यह उम्मीद की जाती थी कि महादेव देसाई गाँधीजी की एक वृहत जीवनी भी लिखेंगे, जो जेल में हुई मौत के कारण वे न लिख सके। इस पृष्ठभूमि में महादेव देसाई के बेटे नारायण भाई देसाई ने ‘मारू जीवन आज मारी वाणी‘ शीर्षक से चार वृहत खण्डों में गाँधीजी की जीवनी लिखी। इस ग्रन्थ के लिए उन्हें 2004 में ‘मूर्ति देवी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
*सिया अग्रवाल* ने भारतीय राजनीतिज्ञ पी शीलू एओ के जन्म तिथि पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया पी. शीलू एओ एक नागा राजनेता थे, जो दिसंबर में भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से में, भारत के राज्यों और क्षेत्रों में से एक के रूप में, नागालैंड के निर्माण के लिए बातचीत में शामिल थे। 1963। एओ ने अगस्त 1966 तक नागालैंड के पहले मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। एओ ने भारत सरकार और लोकसभा को नागालैंड को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए राजी करने में एक भूमिका निभाई, लेकिन कई नागा राष्ट्रवादियों को समेटने में सक्षम नहीं थे, जो उन्हें और उनकी पार्टी को मानते थे, केंद्र सरकार के कठपुतली के रूप में।
अंबिकापुर की अध्यक्षा *प्रेमलता गोयल* ने *पंडित बनारसी दास चतुर्वेदी जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया पण्डित बनारसीदास चतुर्वेदी प्रसिद्ध हिन्दी लेखक एवं पत्रकार थे। वे राज्यसभा के सांसद भी रहे। उनके सम्पादकत्व में हिन्दी में कोलकाता से ‘विशाल भारत नामक हिन्दी मासिक निकला। बनारसीदास चतुर्वेदी जैसे सुधी चिंतक ने ही साक्षात्कार की विधा को पुष्पित एवं पल्लवित करने के लिए सर्वप्रथम सार्थक कदम बढ़ाया था। उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।वे अपने समय का अग्रगण्य संपादक थे तथा अपनी विशिष्ट और स्वतंत्र वृत्ति के लिए जाने जाते हैं। उनके जैसा शहीदों की स्मृति का पुरस्कर्ता (सामने लाने वाला) और छायावाद का विरोधी समूचे हिंदी साहित्य में कोई और नहीं हुआ। उनकी स्मृति में बनारसीदास चतुर्वेदी सम्मान दिया जाता है।
*गिरिजा गोयल* ने *भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया भोगराजू पट्टाभि सीतारामैया भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, गाँधीवादी और पत्रकार थे। इन्होंने दक्षिण भारत में स्वतंत्रता की अलख जगाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आपने राष्ट्रीय हितों को दूसरे हितों के मुकाबले हमेशा प्राथमिकता में रखा। सीतारामैया राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के प्रमुख सहयोगियों में से एक थे। जब सन 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष के निर्वाचन में पट्टाभि सीतारामैया सुभाषचन्द्र बोस से पराजित हो गए, तब महात्मा गाँधी ने उनकी हार को अपनी हार कहा था। भारत की आज़ादी के बाद वर्ष 1952 से 1957 तक वे मध्य प्रदेश राज्य के राज्यपाल रहे थे। सीतारामैया एक लेखक के तौर पर भी जाने जाते थे। उन्होंने ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ का इतिहास भी लिखा था।
*उमा बंसल महासचिव कोरबा* ने आज के मुख्य समाचार और इतिहास की मुख्य घटना पर प्रकाश डाला।24 दिसंबर
ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार 24 दिसंबर वर्ष का 358 वाँ (लीप वर्ष में यह 359 वाँ) दिन है। साल में अभी और 7 दिन शेष हैं।
24 दिसंबर की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ
2014 – अटल बिहारी वाजपेयी और मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने की घोषणा हुई।
2011 – क्यूबा की सरकार ने 2900 कैदियों को रिहा करने की घोषणा की।
2008 – जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के अन्तिम चरण में 55% वोट पड़े।
2007 – मंगल ग्रह के रहस्यों की खोज करने के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी यान मार्स ने मंगल ग्रह की कक्षा में अपने चार हज़ार चक्कर पूरे किये।
2006 – शिखर बैठक में फ़िलिस्तीन को इस्रायल कई सुविधाएँ देने के लिए तैयार।
2005 – यूरोपीय संघ ने ‘खालिस्तान ज़िन्दाबाद फ़ोर्स’ नामक संगठन को आतंकी सूची में शामिल किया।
2003 – अमेरिकी विदेश विभाग ने 30 जून, 2004 को इराक में सत्ता सौंपने की तैयारी शुरू की।
2002 – दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ शहादरा तीस हज़ारी लाईन से हुआ था।
2000 – विश्वनाथन आनंद विश्व शतरंज चैंपियन बने।
1996 – तज़ाकिस्तान में गृहयुद्ध को समाप्त करने के लिए समझौता सम्पन्न।
1989 – देश का पहला अम्यूजमेंट पार्क ‘एसेल वर्ल्ड’ महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में खोला गया।
1986 – लोटस टैंपल श्रद्धालुओं के लिए खोला गया था।
1967 – चीन ने लोप नोर क्षेत्र में परमाणु परीक्षण किया।
1962 – सोवियत संघ ने नोवाया जेमल्या में परमाणु परीक्षण किया।
1954 – दक्षिण पूर्वी एशियाई देश लाओस ने स्वतंत्रता हासिल की।
1921 – नोबेल पुरस्कार विजेता रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की गई।
1894 – कलकत्ता में पहले मेडिकल कांफ्रेस का आयोजन।
1889 – भारत में पहला मनोरंजन पार्क एसेल वर्ल्ड मुम्बई में खोला गया।
1798 – रूस और ब्रिटेन के बीच दूसरे फ्रांस विरोधी गठबंधन पर हस्ताक्षर।
1715 – स्वीडन की सेना ने नार्वे पर क़ब्ज़ा किया।
1524 – यूरोप से भारत तक पहुँचने के समुद्री मार्ग का पता लगाने वाले पुर्तग़ाली खोजी नाविक वास्को डी गामा का कोच्चि (भारत) में निधन हो गया।
*बिलासपुर इकाई की अध्यक्षा शीतल लाठ* ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेट कर सम्मानित किया
*हेमलता बंसल कोषाध्यक्ष* ने सभी सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया।
भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, गिरिजा गोयल, उषा कलानौरिया, सिया अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, उमा बंसल, सुलोचना धनावत, प्रेमलता गोयल, पुष्पा अग्रवाल, नंदिनी चौधरी, हेमलता मित्तल,सरिता गोयल, सुनीता गोयल, मंजू गोयल, निशा गोयल, पूजा अग्रवाल, राजबाला गर्ग, रेखा गर्ग, राखी गोयल, निशा गोयल, शीतल लाठ, सिया अग्रवाल, सुशीला अग्रवाल, विजया डालमिया,हेमलता बंसल, ने भजन प्रस्तुति से भक्तिमय वातावरण बना सभी सदस्यों को झूमने गाने के लिए प्रेरित किया। अपनी अपनी अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
