अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़
प्रांत द्वारा विगत ग्यारह माह से प्रतिदिन आयोजित कार्यक्रम की श्रृंखला में 25/12/2021 शनिवार को गूगल मीट पर * *तुलसी पूजन दिवस, सुशासन दिवस, रानी सती दादी मंगल पाठ, क्रिसमस, अटल बिहारी वाजपेई, मदन मोहन मालवीय, क्रांतिकारी शचींद्र नाथ बक्षी, हिंदुत्व के प्रचारक महामनाव्रत जी, संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड पंडित गंगानाथ झा,प्रसिद्ध चिकित्सक, प्रसिद्ध राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता मुख़्तार अहमद अंसारी,प्रसिद्ध चित्रकार सतीश गुजराल,गुनाहोँ के देवता हिन्दी साहित्यकार धर्मवीर भारती जन्म जयंती और गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजागोपालाचारी, हालीवुड के प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता चार्ली चैपलिन , भू.पू. राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ैल सिंह , भीम सेन पान्डे, वेश्विक स्वयंसेवक जगदीश शास्त्री पुण्य तिथि* आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।
कार्यक्रम की संयोजिका और संचालन कर्ता *उमा बंसल* ने कार्यक्रम का श्री गणेश अपने निवास स्थान पर रानी सती मां के फोटो पर रोली अक्षत का तिलक लगा, माल्यार्पण, दीप प्रज्वलित, पूजा अर्चना आरती आराधना कर गणेश वंदना और पितरों जी की स्तुति से किया। उन्होंने जीवन में सतसंग का महत्व बताया।
सरिया इकाई की अध्यक्षा *डिंपल अग्रवाल* ने शनिवार का महत्व बता शनि महाराज जी की कथा सुना गणेश वंदना भजन प्रस्तुत किया।
बाराद्वार इकाई की अध्यक्षा *उषा कलानौरिया* ने पितरों की कृपा के बारे में बता पितरों जी महाराज का भजन कर उनका आशीर्वाद की कामना की।
कोरबा इकाई की अध्यक्षा *भगवती अग्रवाल* ने सभी अतिथियों को तिलक लगा श्री फल और तुलसी मां का पौधा भेट कर स्वागत किया।
रायपुर इकाई की अध्यक्षा *पुष्पा अग्रवाल* ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का संक्षिप्त जीवन परिचय दे उन्हे उनके उद्बोधन के लिए बारी बारी से डिजिटल मंच पर आमंत्रित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष *डॉ अनीता अग्रवाल* ने *तुलसी पूजन दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे और पूजा का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में कोई भी अनुष्ठान, पूजा या शुभ कार्य बिना तुलसी के अधूरी मानी जाती है। तुलसी भगवान विष्णु का अति प्रिय होती है। इसी कारण से भगवान के भोग में तुलसी के पत्तों को अवश्य शामिल किया जाता है। दरअसल तुलसी पूजन दिवस मनाने की शुरुआत साल 2014 से प्रारंभ हुई। इसमें भारत सरकार के कई केंद्रीय मंत्रियों, साधु- संतों और आमजन ने तुलसी के पौधे का औषधीय और धार्मिक महत्व को समझते हुए सोशल मीडिया के जरिए प्रचार और प्रसार किया। तभी हर वर्ष 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जाता है।ऐसी मान्यता है कि जहां तुलसी फलती है, उस घर में रहने वालों को कोई संकट नहीं आते। स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में तुलसी के अनेक गुण के बारे में बताया गया हैं। यह बात कम लोग जानते हैं कि तुलसी परिवार में आने वाले संकट के बारे में सुखकर पहले संकेत दे देती हैं। शास्त्रों में यह बात भली प्रकार से उल्लेख है कि अगर घर पर कोई संकट आने वाला है तो सबसे पहले उस घर से लक्ष्मी यानि तुलसी चली जाती है और वहां दरिद्रता का वास होने लगता है।
मुख्य अतिथि मुख्य वक्ता *नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने *सुशासन दिवस* पर अपने उद्बोधन में बताया था दिवस सरकार में जवाबदेही के भारतीय लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देकर प्रधान मंत्री वाजपेयी को सम्मानित करने के लिए 2014 से सुशासन दिवस सरकार के लिए कार्य दिवस के रूप मनाया जाता है।इस दिन को मनाने का उद्देश्य देश के छात्रों और नागरिकों को सरकार के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में बताना है जिसे उन्हें पूरा करने की आवश्यकता है। सुशासन दिवस सरकार को उनकी जिम्मेदारियों के बारे में एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है और सरकार को निष्पक्ष, पारदर्शी और विकासोन्मुख होना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि *विजया डालमिया हैदराबाद* ने *भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया अटल बिहारी वाजपेई भारत के तीन बार के प्रधानमंत्री थे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 मे और फिर19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।वे हिंदी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे, और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
विशिष्ट अतिथि *सुशीला अग्रवाल शांतिनिकेतन* ने *मदन मोहन मालवीय जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया मदन मोहन मालवीय एक भारतीय विद्वान, शिक्षा सुधारक और राजनीतिज्ञ थे, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपनी भूमिका के लिए उल्लेखनीय थे , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीन बार अध्यक्ष और संस्थापक थे। के अखिल भारतीय हिंदू महासभा । मालवीय ने भारतीयों के बीच आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने का प्रयास किया और अंततः 1916 में वाराणसी में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की सह-स्थापना की , जिसे बीएचयू अधिनियम, 1915 के तहत बनाया गया था। यह एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है और सबसे बड़े में से एक है। दुनिया भर से कला, वाणिज्य, विज्ञान, इंजीनियरिंग, भाषाई, अनुष्ठान, चिकित्सा, कृषि, प्रदर्शन कला, कानून और प्रौद्योगिकी में 40,000 से अधिक छात्र हैं। वह 1919 से 1938 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति रहे।उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
विशिष्ट अतिथि *रंजना गर्ग* ने *शचीन्द्रनाथ बख्शी जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया शचीन्द्रनाथ बख्शी भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध सशस्त्र क्रान्ति के लिये गठित हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य होने के अलावा इन्होंने रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी काण्ड में भाग लिया था और फरार हो गये।स्वतन्त्र भारत में काँग्रेस से उनका मोहभंग हुआ और वे जनसंघ में शामिल हो गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश विधान सभा का चुनाव जीता और लखनऊ जाकर रहने लगे। अपने जीवन काल में उन्होंने दो पुस्तकें भी लिखीं। सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) में 80 वर्ष का आयु में 23 नवम्बर 1984 को उनका निधन हुआ।
विशिष्ट अतिथि *पूजा अग्रवाल मलेशिया* ने *क्रिसमस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया क्रिसमस या बड़ा दिन ईसा मसीह या यीशु के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला पर्व है। यह 25 दिसंबर को पड़ता है और इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व मे अवकाश रहता है।[5] क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था। 25 दिसंबर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं हैं और लगता है कि इस तिथि को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति (शीत अयनांत) से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है। आधुनिक क्रिसमस की छुट्टियों मे एक दूसरे को उपहार देना, चर्च मे समारोह और विभिन्न सजावट करना शामिल हैं। इस सजावट के प्रदर्शन मे क्रिसमस का पेड़, रंग बिरंगी रोशनिमयाँ, बंडा, जन्म के झाँकी और हॉली आदि शामिल हैं। सांता क्लॉज़ (जिसे क्रिसमस का पिता भी कहा जाता है हालांकि, दोनों का मूल भिन्न है) क्रिसमस से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिक परंतु कल्पित शख्सियत है जिसे अक्सर क्रिसमस पर बच्चों के लिए उपहार लाने के साथ जोड़ा जाता है। सांता के आधुनिक स्वरूप के लिए मीडिया मुख्य रूप से उत्तरदायी है।
*निशा गोयल* ने *गंगा नाथ झा* पर अपने उद्बोधन में बताया गंगानाथ झा संस्कृत, हिन्दी, मैथिली एवं अंग्रेजी के विद्वान एवं शिक्षाशास्त्री थे। वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति भी हुए। उनके अनेक स्मारकों में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का ‘गंगानाथ झा रिसर्च इंस्टीट्यूट’ है। इन्हे मुख्य सम्मान प्राप्त हुई है महामहोपाध्याय, सदस्य, राज्य परिषद (1920-1923) एशियाटिक सोसाइटी के मानद फेलो, कैंपबेल मेमोरियल गोल्ड मेडल, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी की बॉम्बे ब्रांच, मानद सदस्य, रॉयल एशियाटिक सोसाइटी, लंदन नाइट बैचलर।
*कुसुम अग्रवाल* ने *डॉ॰ मुख़्तार अहमद अंसारी जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया डॉ॰ मुख़्तार अहमद अंसारी एक भारतीय राष्ट्रवादी और राजनेता होने के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के पूर्व अध्यक्ष थे। वे जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक थे, 1928 से 1936 तक वे इसके कुलाधिपति भी रहे।डॉ. मुख़्तार अहमद अंसारी एक प्रसिद्ध चिकित्सक, प्रसिद्ध राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लिया और वाराणसी (भूतपूर्व बनारस) में राष्ट्रवादी विश्वविद्यालय काशी विद्यापीठ और दिल्ली में जामिया मिलिया स्थापित करने में योगदान दिया।
*सरोज अग्रवाल* ने *सतीश गुजराल जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया सतीश गुजराल का जन्म 25 दिसम्बर, 1925 को ब्रिटिश इंडिया के झेलम (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने लाहौर स्थित मेयो स्कूल ऑफ आर्ट में पाँच वर्षों तक अन्य विषयों के साथ-साथ मृत्तिका शिल्प और ग्राफिक डिज़ायनिंग का अध्ययन किया। इसके पश्चात सन 1944 में वे बॉम्बे चले गए जहाँ उन्होंने प्रसिद्ध सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट में दाखिला लिया पर बीमारी के कारण सन 1947 में उन्हें पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। बचपन में इनका स्वास्थ्य काफ़ी अच्छा था। आठ साल की उम्र में पैर फिसलने के कारण इनकी टांगे टूट गई और सिर में काफी चोट आने के कारण इन्हें कम सुनाई पड़ने लगा। परिणाम स्वरूप लोग सतीश गुजराल को लंगड़ा, बहरा और गूंगा समझने लगे। सतीश चाहकर भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। ख़ाली समय बिताने के लिए चित्र बनाने लगे। इनकी भावना प्रधान चित्र देखते ही बनती थी। इनके अक्षर एवं रेखाचित्र दोनों ही ख़ूबसूरत थी।
*मंजू गोयल* ने *धर्मवीर भारती जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया धर्मवीर भारती का जन्म २५ दिसम्बर १९२६ को तथा मृत्यु ४ सितम्बर १९९७ को हुई थी। आधुनिक हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार धर्मवीर भारती जी को उनके साहित्यिक जीवन में अनेकों पुरस्कार मिले थे। सन १९७२ में उन्हें पद्मश्री सम्मान सम्मानित किया गया था। डॉ धर्मवीर भारती जी का उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ उनकी सदाबहार रचना मानी जाती है। उनका उपन्यास ‘गुनाहों का देवता’ सबसे पहले १९५९ में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास की अपार लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि विगत ५६ सालों में इस उपन्यास के विभिन्न भाषाओँ में सौ से अधिक संस्करण छप चुके हैं। युवा वर्ग में ये उपन्यास आज तक बहुत लोकप्रिय है। धर्मवीर भारती जी अपने जीवनकल में कभी ये नहीं समझ पाये कि ये उपन्यास इतना लोकप्रिय क्यों हुआ ? आदर्शवाद के दौर में ये उपन्यास प्रकाशित हुआ था। लोंगो में उस समय क़ुरबानी देने का जोश और जुनून था।
*राखी गोयल* ने *चक्रवर्ती राजगोपालाचारी पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारत के वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे। वे राजाजी नाम से भी जाने जाते हैं। वे स्वतन्त्र भारत के द्वितीय गवर्नर जनरल और प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल थे। १० अप्रैल १९५२ से १३ अप्रैल १९५४ तक वे मद्रास प्रान्त के मुख्यमंत्री रहे। वे दक्षिण भारत के कांग्रेस के प्रमुख नेता थे, किन्तु बाद में वे कांग्रेस के प्रखर विरोधी बन गए तथा स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की। वे गांधीजी के समधी थे। (राजाजी की पुत्री लक्ष्मी का विवाह गांधीजी के सबसे छोटे पुत्र देवदास गांधी से हुआ था।) उन्होंने दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए बहुत कार्य किया।
*सिया अग्रवाल* ने *होलीहुड प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता चार्ली चैपलिन पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया चैप्लिन, मूक फिल्म युग के सबसे रचनात्मक और प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक थे जिन्होंने अपनी फिल्मों में अभिनय, निर्देशन, पटकथा, निर्माण और अंततः संगीत दिया। मनोरंजन के कार्य में उनके जीवन के 75 वर्ष बीते, विक्टोरियन मंच और यूनाइटेड किंगडम के संगीत कक्ष में एक बाल कलाकार से लेकर 88 वर्ष की आयु में लगभग उनकी मृत्यु तक। उनकी उच्च-स्तरीय सार्वजनिक और निजी जिंदगी में अतिप्रशंसा और विवाद दोनों सम्मिलित हैं। 1919 में मेरी पिकफोर्ड, डगलस फेयरबैंक्स और डी.डब्ल्यू.ग्रिफ़िथ के साथ चैप्लिन ने यूनाइटेङ आर्टिस्टस की सह-स्थापना की।चैप्लिन: अ लाइफ (2008) किताब की समीक्षा में, मार्टिन सिएफ्फ़ ने लिखा कि: “चैप्लिन सिर्फ ‘बड़े’ ही नहीं थे, वे विराट् थे। 1915 में, वे एक युद्ध प्रभावित विश्व में हास्य, हँसी और राहत का उपहार लाए जब यह प्रथम विश्व युद्ध के बाद बिखर रहा था। अगले 25 वर्षों में, महामंदी और हिटलर के उत्कर्ष के दौरान, वह अपना काम करते रहे। वह सबसे बड़े थे। यह संदिग्ध है की किसी व्यक्ति ने कभी भी इतने सारे मनुष्यों को इससे अधिक मनोरंजन, सुख और राहत दी हो जब उनको इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।
अंबिकापुर की अध्यक्षा *प्रेमलता गोयल* ने *भू पू राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह पुण्य तिथि* पर अपने उद्बोधन में बताया ज्ञानी ज़ैल सिंह (5 मई 1916 – 25 दिसंबर 1994) कार्यकाल 25 जुलाई 1982 से 25 जुलाई 1987 भारत के सातवें राष्ट्रपति थे। सिख धर्म के विद्वान पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके ज्ञानी जी अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति, सत्यनिष्ठा के राजनीतिक कठिन रास्तों को पार करते हुए 1982 में भारत के गौरवमयी राष्ट्रपति के पद पर आसीन हुए। 1987 तक के अपने कार्यकाल के दौरान इन्हें ‘आपरेशन ब्लूस्टार’ एवं इंदिरा गांधी की हत्या जैसी दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों से गुजरना पड़ा।
*गिरिजा गोयल* ने *वैश्विक स्वयं सेवक जगदीश शास्त्री पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया शास्त्री जी 1940 में अमृतसर में स्वयंसेवक बने और 1942 में संघ शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे प्रसिद्धि से दूर रहकर दूसरों को श्रेय देते थे। अतः हर जगह नये और युवा कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी हो गयी। 96 वर्ष की भरपूर आयु में 25 दिसम्बर, 2017 को कनाडा में उनका निधन हुआ। संघ के वैश्विक विस्तार में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
*उमा बंसल महासचिव कोरबा* ने आज के मुख्य समाचार और इतिहास की मुख्य घटना पर प्रकाश डाला।
1763 – भरतपुर के महाराजा सूरजमल की हत्या।
1771 – मुग़ल शासक शाह आलम द्वितीय मराठाओं के संरक्षण में दिल्ली के सिंहासन पर बैठे।
1892 – स्वामी विवेकानंद ने कन्याकुमारी में समुद्र के मध्य स्थित चट्टान पर तीन दिन तक साधना की।
1946 – ताईवान में संविधान को अंगीकार किया गया।
1962 – सोवियत संघ ने नोवाया जेमल्या क्षेत्र में परमाणु परीक्षण किया।
1974 – राेम जा रहे एयर इंडिया के विमान बोइंग 747 का अपहरण।
1991 – राष्ट्रपति मिखाइल एस. गोर्बाचोव के त्यागपत्र के साथ ही सोवियत संघ का विभाजन एवं उसका अस्तित्व समाप्त।
1998 – रूस एवं बेलारूस द्वारा एक संयुक्त संघ बनाये जाने संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर।
2002 – चीन और बांग्लादेश के बीच रक्षा समझौता।
2005 – मारीशस में 400 वर्ष पूर्व विलुप्त ‘डोडो’ पक्षी का दो हज़ार वर्ष पुराना अवशेष मिला।
2008 – भारत के द्वारा अंतरिक्ष में भेजे गये चन्द्रयान-1 के 11 में से एक पेलोडर्स ने चन्द्रमा की नई तस्वीर भेजी।
*बिलासपुर इकाई की अध्यक्षा शीतल लाठ* ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेट कर सम्मानित किया
*हेमलता बंसल कोषाध्यक्ष* ने सभी सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।
*रानी सती मंगल पाठ, भजन, आरती, भोग, स्तुति* में भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, गिरिजा गोयल, उषा कलानौरिया, सिया अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, उमा बंसल, सुलोचना धनावत, प्रेमलता गोयल, पुष्पा अग्रवाल, नंदिनी चौधरी, रंजना गर्ग, विजया डालमिया, सुशीला अग्रवाल, हेमलता मित्तल,सरिता गोयल, सुनीता गोयल, मंजू गोयल, निशा गोयल, पूजा अग्रवाल, राजबाला गर्ग, रेखा गर्ग, राखी गोयल, निशा गोयल, शीतल लाठ, यश अग्रवाल,विनीता अग्रवाल, वंदना अग्रवाल, सुशीला अग्रवाल, सरिता अग्रवाल, शारदा सिंघानिया, विजया डालमिया,हेमलता बंसल, मंजिरी पालीवाल, बबली सतीश अग्रवाल, संगीता पालीवाल, गंगा अग्रवाल, प्रिय गोयल, प्रीति मोदी, राजबाला अग्रवाल, किरण अग्रवाल, संध्या सापरिया, ने भजन प्रस्तुति से भक्तिमय वातावरण बना सभी सदस्यों को झूमने गाने के लिए प्रेरित किया। अपनी अपनी अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
