अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा 3/1/2022 सोमवार को गूगल मीट पर *शाकंभरी जयंती, सामाजिक कार्यकर्त्ता, भारत में पहली महिला शिक्षक, और मराठी भाषा में पहली महिला कवयित्री सावित्रीबाई फुले, एशिया की सबसे पुरानी प्रिंटिंग प्रेस के संस्थापक मुंशी नवल किशोर, * पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।

अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़

प्रांत द्वारा विगत ग्यारह माह से प्रतिदिन आयोजित कार्यक्रम की श्रृंखला में 3/1/2022 सोमवार को गूगल मीट पर *शाकंभरी जयंती, सामाजिक कार्यकर्त्ता, भारत में पहली महिला शिक्षक, और मराठी भाषा में पहली महिला कवयित्री सावित्रीबाई फुले, एशिया की सबसे पुरानी प्रिंटिंग प्रेस के संस्थापक मुंशी नवल किशोर, प्रख्यात कलाकार नंदलाल बोस, मशहूर स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस, भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक जयपाल सिंह मुंडा, भारतीय पार्श्वगायक नरेश अय्यर, प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद की जन्म तिथि और केरल के सीरियन कैथॉलिक संत तथा समाज सुधारक कुरिआकोसी इलिआस चावारा, लेखक व नाटककार मोहन राकेश, विद्वान् शोधकर्मी समीक्षक परशुराम चतुर्वेदी, भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन की पुण्य तिथि* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।

कार्यक्रम की संचालन कर्ता *उमा बंसल* ने कार्यक्रम का श्री गणेश अपने निवास स्थान पर शंकर भगवान के फोटो पर रोली अक्षत का तिलक लगा, माल्यार्पण, दीप प्रज्वलित, पूजा अर्चना आरती आराधना कर गणेश वंदना और पितरों जी की स्तुति से किया। उन्होंने जीवन में सतसंग का महत्व बताया।

सरिया इकाई की अध्यक्षा *डिंपल अग्रवाल* ने सोमवार का महत्व बता शंकर पार्वती जी की पौराणिक कथा सुना गणेश वंदना भजन प्रस्तुत किया।

बाराद्वार इकाई की अध्यक्षा *उषा कलानौरिया* ने पितरों की कृपा के बारे में बता पितरों जी महाराज का भजन कर उनका आशीर्वाद की कामना की।

कोरबा इकाई की अध्यक्षा *भगवती अग्रवाल* ने सभी अतिथियों को तिलक लगा श्री फल और तुलसी मां का पौधा भेट कर स्वागत किया।

रायपुर इकाई की अध्यक्षा *पुष्पा अग्रवाल* ने मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का संक्षिप्त जीवन परिचय दे उन्हे उनके उद्बोधन के लिए बारी बारी से डिजिटल मंच पर आमंत्रित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्ष *डॉ अनीता अग्रवाल* ने *शकमभरी जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया यह पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को खत्म होते हैं। इस दिन को शाकम्भरी जयंती के नाम से जाना जाता है। आज शाकम्भरी जयंती मनाई जा रही है। इसी तिथि पर ही मां दुर्गा ने मां शाकम्भरी का अवतार मानव कल्याण के लिए लिया था।मान्यता है कि मां दुर्गा ने धरती से अकाल और गंभीर खाद्य संकट से पृथ्वी को निजात दिलाने के लिए शाकम्भरी माता का अवतार लिया था। जब इनकी पूजा की जाती है तो उन्हें सब्जियों और फल चढ़ाए जाते हैं। इन्हें सब्जियों और फलों की देवी कहा जाता है। इस दिन व्यक्ति अगर अपने सार्म्थयनुसार गरीबों को अन्न, कच्ची सब्जी, फल व जल दान करता है तो इससे देवी दुर्गा प्रसन्न होती है।

मुख्य अतिथि मुख्य वक्ता *लक्ष्मी सोनी समाज सेवक बिलासपुर* ने *सामाजिक कार्यकर्त्ता, भारत में पहली महिला शिक्षक, और मराठी भाषा में पहली महिला कवयित्री सावित्रीबाई फुले जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया सावित्रीबाई फुले महाराष्ट्र की एक भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद और कवियत्री थीं । उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है। अपने पति, ज्योतिराव फुले के साथ , उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारतीय नारीवाद की जननी माना जाता है। सावित्री बाई और उसके पति में पहले भारतीय लड़कियों का विद्यालय में से एक की स्थापना की पुणे भिडे पर, वाडा 1848 में [एक] वह भेदभाव और आधार पर लोगों के अनुचित व्यवहार को समाप्त करने के लिए काम किया जाति और लिंग। उन्हें महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार आंदोलन की एक महत्वपूर्ण शख्सियत के रूप में माना जाता है।भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।

विशिष्ट अतिथि *नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने *एशिया की सबसे पुरानी प्रिंटिंग प्रेस के संस्थापक मुंशी नवल किशोर का जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया नंदलाल बोस आधुनिक भारतीय कला के अग्रदूतों में से एक थे और प्रासंगिक आधुनिकतावाद के एक प्रमुख व्यक्ति थे ।अबनिंद्रनाथ टैगोर के शिष्य , बोस को उनकी पेंटिंग की “भारतीय शैली” के लिए जाना जाता था। वे 1922 में कला भवन , शांतिनिकेतन के प्राचार्य बने । वे टैगोर परिवार और अजंता के भित्ति चित्रों से प्रभावित थे ; उनकी क्लासिक कृतियों में भारतीय पौराणिक कथाओं, महिलाओं और ग्रामीण जीवन के दृश्यों के चित्र शामिल हैं।आज, कई आलोचक उनके चित्रों को भारत के सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक चित्रों में से एक मानते हैं। 1976 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण , संस्कृति विभाग, सरकार। भारत ने “नौ कलाकारों” के बीच अपने कार्यों की घोषणा की, जिनके काम, “प्राचीन वस्तुएं नहीं हैं”, अब से “उनके कलात्मक और सौंदर्य मूल्य के संबंध में कला खजाने के रूप में” माना जाना था। उन्हें भारत के संविधान को चित्रित करने का काम दिया गया था।

विशिष्ट अतिथि *विजया डालमिया हैदराबाद* ने *मशहूर स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया खुदीराम बोस भारतीय स्वाधीनता के लिये मात्र 19 साल की उम्र में भारतवर्ष की स्वतन्त्रता के लिए फाँसी पर चढ़ गये।कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे। लेकिन खुदीराम से पूर्व 17 जनवरी 1872 को 68 कूकाओं के सार्वजनिक नरसंहार के समय 13 वर्ष का एक बालक भी शहीद हुआ था। उपलब्ध तथ्यानुसार उस बालक को, जिसका नंबर 50वाँ था, जैसे ही तोप के सामने लाया गया, उसने लुधियाना के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर कावन की दाढ़ी कसकर पकड़ ली और तब तक नहीं छोड़ी जब तक उसके दोनों हाथ तलवार से काट नहीं दिये गए बाद में उसे उसी तलवार से मौत के घाट उतार दिया गया था।

विशिष्ट अतिथि *सुशीला अग्रवाल शांतिनिकेतन* ने *भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ियों में से एक जयपाल सिंह मुंडा की जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया जयपाल सिंह मुंडा भारतीय आदिवासियों और झारखंड आंदोलन के एक सर्वोच्च नेता थे। वे एक जाने माने राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद् और 1925 में ‘ऑक्सफोर्ड ब्लू’ का खिताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे।उनकी कप्तानी में 1928 के ओलिंपिक में भारत ने पहला स्वर्ण पदक प्राप्त किया। ओपनिवेशिक भारत में जयपाल सिंह मुंडा सर्वोच्च सरकारी पद पर थे ।

विशिष्ट अतिथि *पूजा अग्रवाल बैंगलोर* ने *प्रख्यात कलाकार नंदलाल बोस की जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया नन्दलाल बोस भारत के आधुनिक कलाकारों में अग्रणी थे।नन्दलाल बसु का जन्म दिसंबर 1882 में बिहार के हवेली खडगपुर, जिला मुंगेर में हुआ। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस ऑर्किटेक्ट तथा दरभंगा के महाराजा की रियासत के मैनेजर थे। 16 अप्रैल 1966 कोलकाता में उनका देहांत हुआ। उन्होंने 1905 से 1910 के बीय कलकत्ता गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ़ आर्ट में अबनीन्द्ननाथ ठाकुर से कला की शिक्षा ली, इंडियन स्कूल ऑफ़ ओरियंटल आर्ट में अध्यापन किया और 1922 से 1951 तक शान्तिनिकेतन के कलाभवन के प्रधानाध्यापक रहे।

कीर्ति अग्रवाल ने *भारतीय पार्श्वगायक नरेश अय्यर का जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया नरेश अय्यर एक भारतीय पार्श्व गायक हैं। मुंबई में जन्मे अय्यर मलयालम, तमिल, कन्नड़, हिंदी और मराठी में पारंगत हैं। नरेश अय्यर ने कई भारतीय भाषाओं में 2000 फ़िल्मों के गाने गाए हैं और उनके खाते में कई चार्ट हिट हैं । एआर रहमान द्वारा रचित फिल्म रंग दे बसंती से “रूबरू” का उनका गायन 2006 में कई हफ्तों तक संगीत चार्ट में शीर्ष पर रहा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्वगायक का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला । उन्होंने आरडी बर्मन संगीत प्रतिभा श्रेणी में फिल्मफेयर पुरस्कार जीता।

*पुष्पा अग्रवाल* ने *प्रसिद्ध फ़िल्म निर्माता-निर्देशक चेतन आनंद की जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया चेतन आनंद भारत के एक हिंदी फिल्म निर्माता, पटकथा लेखक और निर्देशक थे, जिनकी पहली फिल्म नीचा नगर को 1946 में पहली बार कान फिल्म समारोह में ग्रांड प्रिक्स पुरस्कार (अब गोल्डन पाम) से सम्मानित किया गया था। बाद में उन्होंने 1949 में अपने छोटे भाई देव आनंद के साथ नवकेतन फिल्म्स की सह-स्थापना की ।वह आनंद परिवार के सबसे बड़े भाई थे क्योंकि वह हिंदी फिल्म अभिनेता-निर्देशकों, देव आनंद और विजय आनंद के बड़े भाई थे । उनकी छोटी बहन, शील कांता कपूर, हिंदी और अंग्रेजी फिल्म निर्देशक शेखर कपूर की मां हैं ।इन्हे फिल्म समारोह में पाल्मे डी’ओर (सर्वश्रेष्ठ फिल्म): नीचा नगर (1946) के लिए पुरस्कृत किया जाता था।

*कुसुम अग्रवाल* ने *केरल के सीरियन कैथॉलिक संत तथा समाज सुधारक कुरिआकोसी इलिआस चावारा की पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया कुरिआकोसी इलिआस चावारा केरल के सीरियन कैथॉलिक संत तथा समाज सुधारक थे। 23 नवम्बर, 2014 को पोप फ़्राँसिस ने सेंट पीटर स्क्वायर पर उन्हें मरणोपरान्त संत की उपाधि दी।
कुरिआकोसी इलिआस चावारा का जन्म केरल के अलप्पुझा ज़िले में 10 फ़रवरी, 1805 ई. में एक साधारण परिवार में हुआ था।
उन्होंने न केवल कैथॉलिक ईसाइयों बल्कि दूसरे समुदायों के वंचित तबकों की शिक्षा के लिए काफ़ी काम किया।
दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने सबसे पहले एक संस्कृत विद्यालय की स्थापना की थी।
फ़ादर कुरिआकोसी इलिआस चावारा को ‘संत’ घोषित करने की प्रक्रिया वर्ष 1984 में शुरू हुई थी।

*गिरिजा गोयल* ने *लेखक व नाटककार मोहन राकेश की पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया मोहन राकेश पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन किया। कुछ वर्षो तक ‘सारिका’ के संपादक भी रहे। ‘आषाढ़ का एक दिन’,’आधे अधूरे’ और लहरों के राजहंस के रचनाकार। ‘संगीत नाटक अकादमी’ से सम्मानित। ३ दिसम्बर १९७२ को नयी दिल्ली में आकस्मिक निधन। मोहन राकेश मूलतः एक सिंधी परिवार से थे। उनके पिता कर्मचन्द बहुत पहले सिंध से पंजाब आ गए थे। वे हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है।

*प्रतिमा गुप्ता भाटापारा* ने *विद्वान् शोधकर्मी समीक्षक परशुराम चतुर्वेदी की पुण्य तिथि* ने पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया आचार्य परशुराम चतुर्वेदी परिश्रमशील विद्वान् शोधकर्मी समीक्षक थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ था। उनकी शिक्षा इलाहाबाद तथा वाराणसी विश्वविद्यालय में हुई। वे पेशे से वकील थे, किंतु आध्यात्मिक साहित्य में उनकी गहरी रुचि थी। संस्कृत तथा हिन्दी की अनेक उपभाषाओं के वे पंडित थे।आचार्य परशुराम चतुर्वेदी परिश्रमशील विद्वान् शोधकर्मी समीक्षक थे। वे संत-परम्परा और सन्त-मत के सबसे अधिकृत और स्वीकृत विद्वान माने हैं। निर्गुण और सगुण, दोनों धाराओं में उन्हें उत्कट रुचि थी, फिर भी कबीर का सधुक्कड़ी साहित्य उनके अध्ययन का खास हिस्सा बना।

*राजकुमारी गुप्ता रायपुर* ने *भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन की पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया सतीश धवन (25 सितंबर 1920 – 3 जनवरी 2002) को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक राज्य में कई वर्ष रहे थे।सतीश धवन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा, सन १९७१ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। ये कर्नाटक राज्य में कई वर्ष रहे थे। ३ जनवरी २००२ को उनका निधन हो गया। इनकी प्रमुख देनों में से एक थी टर्ब्युलेंस में भारतीय शोध का विकास।

वरिष्ट सदस्या *सुलोचना धनावत* ने मॉडल, बॉलीवुड अभिनेत्री गुल पनाग का जन्म 3 जनवरी 1977 में हुआ। विद्वान् शोधकर्मी समीक्षक परशुराम चतुर्वेदी का निधन 3 जनवरी 1979 में हुआ था। इटली के अभिनेता एवं लेखक डारियो फो को आज ही के दिन 1997 में साहित्य का नोबल पुरस्कार दिया गया। भारतीय पार्श्वगायक नरेश अय्यर का जन्म 3 जनवरी 1981 में हुआ था।

*राखी गर्ग* ने *मोहन राकेश पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया मोहन राकेश पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन किया। कुछ वर्षो तक ‘सारिका’ के संपादक भी रहे। ‘आषाढ़ का एक दिन’,’आधे अधूरे’ और लहरों के राजहंस के रचनाकार। ‘संगीत नाटक अकादमी’ से सम्मानित। ३ दिसम्बर १९७२ को नयी दिल्ली में आकस्मिक निधन। मोहन राकेश मूलतः एक सिंधी परिवार से थे। उनके पिता कर्मचन्द बहुत पहले सिंध से पंजाब आ गए थे। वे हिन्दी के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न नाट्य लेखक और उपन्यासकार हैं। समाज के संवेदनशील व्यक्ति और समय के प्रवाह से एक अनुभूति क्षण चुनकर उन दोनों के सार्थक सम्बन्ध को खोज निकालना, राकेश की कहानियों की विषय-वस्तु है। मोहन राकेश की डायरी हिंदी में इस विधा की सबसे सुंदर कृतियों में एक मानी जाती है।

*उमा बंसल महासचिव कोरबा* ने आज के मुख्य समाचार और इतिहास की मुख्य घटना पर प्रकाश डाला।
महान वैज्ञानिक गैलिलियों ने आज ही के दिन 1621 में दूरबीन की खोज की।
रवीन्द्र नाथ टैगोर ने शांति निकेतन में ‘पौष मेला’ का उद्घाटन आज ही के दिन 1894 में किया।
शांति निकेतन में ब्रह्मचर्य आश्रम 3 जनवरी 1901 में खुला।
अलीगढ़ का एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज 3 जनवरी 1920 में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में रूपांतरित हुई।
महात्मा गांधी लॉर्ड इरविन से आज ही के दिन 1929 में मिले।
बॉलीवुड अभिनेता संजय खान का जन्म 3 जनवरी 1941 को हुआ।
टेलीविजन पर पहली बार गुमशुदा लोगों के बारे में सूचना का प्रसारण 3 जनवरी 1943 में किया गया।
1948 में आज ही के दिन चीन के शरणार्थी जहाज में विस्फोट, 1100 लोगों कि मौत हो गई।
आकाशवाणी व दूरदर्शन की स्वर-परीक्षित एवं मान्यता-प्राप्त कलाकार बागेश्री चक्रधर का 3 जनवरी 1954 में हुआ था।
देश के पहले मौसम विज्ञान राकेट ‘मेनका’ का 3 जनवरी 1968 में प्रक्षेपण किया गया।
आज ही के दिन 1971 में भारत पाकिस्तान युध्द शुरू और राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की।
बर्मा (अब म्यांमार) में संविधान को 3 जनवरी 1974 में अंगीकार किया गया।
इजरायल ने 23 साल बाद सोवियत संघ में वाणिज्य दूतावास को आज ही के दिन 1991 में दोबारा खोला।
भारतीय पार्श्वगायक नरेश अय्यर का जन्म 3 जनवरी 1981 में हुआ था।
‘वर्ष 2002 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के रैमण्ड डेविस और जापान के कोशिबा को संयुक्त रूप से देने की 3 जनवरी 2002 में घोषणा की गई।
भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक सतीश धवन का निधन 3 जनवरी 2002 में हुआ था।
12वें सार्क सम्मेलन में भाग लेने के लिए 3 जनवरी 2004 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस्लामाबाद पहुँचे।
यूरोपीय उपग्रह ‘क्रायोसेट’ का प्रक्षेपण आज ही के दिन 2005 में विफल हुआ।
भारतीय सरकारी अधिकारी जे एन दीक्षित का निधन 3 जनवरी 2005 में हुआ था।
गूगल ने यू-ट्यूब के अधिग्रहण की 3 जनवरी 2006 में घोषणा की।
भारतीय रिज़र्व बैंक के इक्कीसवें गवर्नर रह चुके वॉय. वी. रेड्डी 3 जनवरी 2013 से भारत के चौदहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष रह चुके है ।

*बिलासपुर इकाई की अध्यक्षा शीतल लाठ* ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेट कर सम्मानित किया

*हेमलता बंसल कोषाध्यक्ष* ने सभी सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।

प्रेमलता गोयल, सरला लोहिया, भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, गिरिजा गोयल, उषा कलानौरिया, कुसुम अग्रवाल, उमा बंसल, सुलोचना धनावत, प्रेमलता गोयल, पुष्पा अग्रवाल, नंदिनी चौधरी,कीर्ति अग्रवाल, निशा गोयल, पूजा अग्रवाल, राजबाला गर्ग, रेखा गर्ग, राखी गोयल, राखी गर्ग, निशा गोयल, शीतल लाठ, सुशीला अग्रवाल, विजया डालमिया, हेमलता बंसल, लक्ष्मी सोनी, ने भजन प्रस्तुति से भक्तिमय वातावरण बना सभी सदस्यों को झूमने गाने के लिए प्रेरित किया। अपनी अपनी अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।