राजनांदगांव. कैलेण्डर नववर्ष के समसामयिक परिप्रेक्ष्य में नगर के विचार विज्ञ प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने विशेष चिंतन टीप में बताया कि कैलेण्डर नववर्ष संपूर्ण देश-धरती में तिथिवार एकमेव श्रेष्ठ कार्य व्यवस्था का प्रमुख आधार होता है, जिसके माध्यम से सर्व व्यवस्थाओं के संचालन कार्य को साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक, छैमाही एवं वार्षिकीय गणना में निर्धारित कर सुव्यवस्थित करते हैं। विशेषकर कार्य प्रारंभ एवं समाप्ति सीमा, विशेष कार्य तिथियां तथा अवकाश दिवस के साथ-साथ क्षेत्र-प्रदेश, एवं प्रमुख देशों की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक परिस्थितियों के अनुरूप जयंती, दिवसों, पुण्यस्मरण, उत्सव, मेले, खेलों और अन्य समारोहों की सूचनाओं का भी विवरण निर्धारित होता है। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने विशेष रूप से युवा-किशोर-प्रबुद्ध पीढ़ी के लिए कैलेण्डर नववर्ष को सतत् रूप से शिक्षा-प्रशिक्षण और कार्यदक्षता में समृद्धि तथा और अधिक निपुर्ण होने हेतु समय-सीमा एवं समयबद्ध कार्ययोजना बनाकर संकल्पित होने का सुअवसर बताया। उल्लेखनीय है कि कैलेण्डर नववर्ष के शुभारंभ अवसर पर ही सर्वजन -जन निर्धारित तिथि सीमा में कार्य करने, शुल्क जमा करने तथा निर्देशों का परिपालन करने के लिए यदि सहज रूप से संकल्पित होते हैं तो उसका लाभ सर्व सामान्य के साथ-साथ संचालनकर्ता संस्थानों, उपक्रमों को भी मिलता है और सहज रूप से श्रेष्ठ, सार्थक अर्थो में क्षेत्र-प्रदेश, देश की प्रगति और समृद्धि होती है। अत: कैलेण्डर नववर्ष के आयोजनों को आत्मचिंतन का सुअवसर मानकर रचनात्मक वृत्ति के साथ व्यक्तित्व विकास और सर्वहितकारी कार्यो को पूर्ण करने सुअवसर माने और सार्थक राष्ट्र बोधत्व पहल कर कैलेण्डर नववर्ष के आयोजनों के वास्तविक सौद्देध्य को सार्थक करें।
