मानचित्र – भौगोलिक अध्ययन का मूल आधार – द्विवेदी

राजनांदगांव. शासकीय कमलादेवी राठी महिला महाविद्यालय, राजनांदगांव के स्नातकोत्तर भूगोल विभाग द्वारा संस्था प्राचार्य डॉ. श्रीमती सुमन सिंह बघेल के प्रमुख निर्देशन में विषयक छात्राओं के लिए मानचित्रांकन कला पर कार्यशाला आयोजित की गई। भौगोलिक अध्ययन में मानचित्रांकन कला एवं विधियों के उपयोग एवं महत्ता के विशिष्ट परिप्रेक्ष्य में आयोजित कार्यशाला में विभागाध्यक्ष प्रो. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने छात्राओं को बताया कि मानचित्र किसी भी स्थान, क्षेत्र, प्रदेश के भौगोलिक अध्ययन का मूल आधार होता है। मानचित्रांकन निर्माण विश्लेषण की विभिन्न विधियों, प्रक्रियाओं और तकनीक पर सचित्र चर्चा करते हुए आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमानुसार निर्धारित त्रिकोणाकार, लघुगणकीय, गोलीय, घनाकार तथा वृत्तीय आरेखों, ग्राफ, वितरण मानचित्रों एवं ढाल विशलेषण विधियों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए क्षेत्रीय सर्वेक्षण में इन विधियों के व्यवहारिक उपयोग और बारीकियों को भी स्पष्ट किया। प्राध्यापक द्विवेदी ने मानचित्र निर्माण में सांख्यिकीय विधियों के उपयोग तथा सांख्यिकी आधारित आरेखन एवं चित्रांकन की महत्ता को भी स्पष्ट करते हुए विशेष रूप से भूगोल में सांख्यिकीय सूत्रों के आधार पर विश्लेषण प्रक्रिया को भी बताया। कार्यशाला के अंतिम सत्र में छात्राओं ने प्रश्नोत्तर, श्रृंखला में सक्रियता से भाग लेकर अपनी शंकाओं का श्रेयष्कर समाधान प्राप्त किया तथा कार्यशाला को सफल बनाया।