*विश्व ऑटिज्म दिवस पर जागरूकता व्याख्यान अंजली चावड़ा द्वारा*
अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत 14 माह से प्रतिदिन आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की श्रंखला में 2 अप्रैल 2022 शनिवार को *विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस, गुड़ी पड़वा पर्व हिंदू नव वर्ष शुभ आगमन, सम्राट विक्रमादित्य, डा° केशव राव बलीराम हेडगेवार जन्म जयंती, रणजीत सिंह जडेजा निर्वाण दिवस* पर आयोजित रंगारंग भक्ति में कार्यक्रम।
कार्यक्रम का श्रीगणेश *डॉ अनीता अग्रवाल* ने अपने निवास स्थान पर मां दुर्गा की प्रतिमा रोली चावल का तिलक लगा श्रीफल हरि चढ़ा माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया उन्होंने अपने स्वागत उद्बोधन में सभी अतिथियों और सदस्यों का स्वागत किया सभी को हिंदू नव वर्ष की शुभकामनाएं और बधाइयां प्रेषित की प्रथम दिन नवरात्रि के प्रथम दिवस मां शैलपुत्री का आह्वान कर उन्हें सभी को सुख संपत्ति समृद्धि आरोप प्रदान करने की प्रार्थना की।
उन्होंने *डा° केशव राव बलीराम हेडगेवार* (जन्म : 1 अप्रैल 1889 – मृत्यु : 21 जून 1940) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे। इनका जन्म नागपुर के एक ब्राह्मण परिवार में हिन्दू वर्ष प्रतिपदा के दिन हुआ था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक थे।
यहाँ पर उल्लेखनीय है कि इस मिलीशिया का आधार बना – सावरकर का राष्ट्र दर्शन ग्रन्थ (हिंदुत्व) जिसमे हिंदू की परिभाषा यह की गई थी- आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका l पितृभू-पुण्यभू भुश्चेव सा वै हिंदू रीती स्मृता ll
इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं”l इनमे सनातनी, आर्यसमाजी, जैन, बौद्ध, सिख आदि पंथों एवं धर्म विचार को मानने वाले व उनका आचरण करने वाले समस्त जन को हिंदू के व्यापक दायरे में रखा गया था l मुसलमान व ईसाई इस परिभाषा में नहीं आते थे अतः उनको इस मिलीशिया में ना लेने का निर्णय लिया गया और केवल हिंदुओं को ही लिया जाना तय हुआ, मुख्य मन्त्र था “अस्पृश्यता निवारण एवं हिंदुओं का सैनिकी कारण”l
थोड़े समय बाद इस मिलीशिया को नाम दिया गया राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ- जो आर.एस.एस. के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
मुख्य वक्ता *अंजली चावड़ा* ने *विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया विश्व स्तर पर ऑटिज्म / आत्मकेंद्रित जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।विभिन्न प्रकार के ऑटिज्म / आत्मकेंद्रित डिसऑर्डर के प्रति जागरूकता लाने से संबंधित है।उन बच्चों और बड़ों के जीवन में सुधार के कदम उठाए जाते हैं, जो ऑटिज़्म ग्रस्त होते हैं और उन्हें सार्थक जीवन बिताने में सहायता दी जाती है।
ऑटिज़्म ऑटिज़्म या आत्मविमोह एक मानसिक रोग या मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जिसके लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था (प्रथम तीन वर्षों में) में ही नज़र आने लगते है और व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। ऑटिज्म क्या है।विशेषज्ञों की मानें तो यह एक मानसिक रोग है। इस रोग के शिकार बच्चे अधिक होते हैं। एक बार ऑटिज्म के चपेट के आने के बाद बच्चे का मानसिक संतुलन संकुचित हो जाता है। इस वजह से बच्चा परिवार और समाज से दूर रहने लगता है। इसका दुष्प्रभाव बड़े लोगों में अधिक देखने को मिलता है। ऑटिज्म ऑटिस्टिक डिसऑर्डर, सिंड्रोम, और परवेसिव डेवलपमेंटल डिसऑर्डर तीन प्रकार के होते उन्होंने सरल शब्दों में बताया ऑटिज्म क्या होता है, लक्षण, बचाव,इसके पीड़ितों के प्रति कैसा बर्ताव करने की जरूरत है यह जानना बहुत आवश्यक है।
मुख्य अतिथि *नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने अपने उद्बोधन में *रणजीत सिंह जडेजा निर्वाण दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया रणजीतसिंहजी विभाजी जडेजा (10 सितंबर, 1872 — अप्रैल 1933) नवानगर के १०वें जाम साहब तथा प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी थे। उनके अन्य प्रसिद्ध नाम हैं- ‘नवानगर के जाम साहब’, ‘कुमार रणजीतसिंहजी’, ‘रणजी’ और ‘स्मिथ’। उनका शासन १९०७ से १९३३ तक चला था। वे एक बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ी और बल्लेबाज़ थे जिन्होंने भारतीय क्रिकेट के विकास में अहम भूमिका अदा की थी। वे अंग्रेज़ी क्रिकेट टीम के तरफ़ से खेलने वाले विख्यात क्रिकेट खिलाड़ी थे और इंग्लैंड क्रिकेट टीम के लिए टेस्ट मैच खेला करते थे। इसके अलावा, रणजी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के लिये प्रथम श्रेणी क्रिकेट और काउंटी क्रिकेट में ससेक्स का प्रतिनिधित्व किया करते थे। रणजीतसिंहजी टीम में मूलतः दाएं हाथ के बल्लेबाज की भूमिका निभाया करते थे, तथा वह धीमी गेंदबाजी में भी सिद्धहस्त थे।
विशिष्ट अतिथि *कमलेश बोंदिया सिमगेड़ा* झारखंड ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया *कलयुग में विक्रम संवत प्रारंभ सम्राट विक्रमादित्य* सभा के नवरत्न चिकित्सक धन्वंत्री, नीतिकार बेताल भट्ट, न्याय विद दर्शन शास्त्री क्षपणक, साहित्यकार अमर सिंह, महाकवि कालीदास, शिक्षाशास्त्री शंकु, अंतरिक्ष विज्ञानी वराहमिहिर, कवि घटकर्पर, व्यक्रणाचार्य वररुचि।विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे, जो अपने ज्ञान, वीरता और उदारशीलता के लिए प्रसिद्ध थे ।वे क्षत्रिय (राजपूत)सम्राट थे इनके पिता का नाम राजा गर्दभिल्ल था[1][2]। सम्राट विक्रमादित्य ने शको को पराजित किया था। उनके पराक्रम को देखकर ही उन्हें महान क्षत्रिय सम्राट कहा गया और उनके नाम की उपाधि कुल 14 भारतीय राजाओं को दी गई। “विक्रमादित्य” की उपाधि भारतीय इतिहास में बाद के कई अन्य राजाओं ने प्राप्त की थी, जिनमें गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय और सम्राट हेमचन्द्र विक्रमादित्य (जो हेमु के नाम से प्रसिद्ध थे) उल्लेखनीय हैं। राजा विक्रमादित्य नाम, ‘विक्रम’ और ‘आदित्य’ के समास से बना है जिसका अर्थ ‘पराक्रम का सूर्य’ या ‘सूर्य के समान पराक्रमी’ है।उन्हें विक्रम या विक्रमार्क (विक्रम + अर्क) भी कहा जाता है (संस्कृत में अर्क का अर्थ सूर्य है)।
विशिष्ट अतिथि *पूजा अग्रवाल बैंगलोर* ने *चेटी चंड* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया इस त्यौहार को चेटी चंड भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार संत झूलेलाल वरुण देव के अवतार माने जाते हैं. सिंधी हिंदुओं के लिए झूलेलाल झूलेलाल का मंत्र बिगुल माना जाता है. चंद्र-सौर हिंदू पंचांग के अनुसार, झूलेलाल जयंती की तिथि वर्ष और चेत के हिन्दू महीने की पहली तिथि को मनाया जाता है।छेत्री चंद्र (चैत्र का चंद्रमा) एक त्योहार है जो सिंधी हिंदुओं के लिए चंद्र हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है । त्योहार की तारीख चंद्र-सौर हिंदू कैलेंडर के चंद्र चक्र पर आधारित है , जो साल के पहले दिन, सिंधी महीने चेत ( चैत्र ) में पड़ता है। यह आमतौर पर मार्च के अंत में या अप्रैल की शुरुआत में ग्रेगोरियन कैलेंडर में या लगभग उसी दिन पड़ता है जब महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और भारत के दक्कन क्षेत्र के अन्य हिस्सों में उगादी होता है।
विशिष्ट अतिथि *पार्बती अग्रवाल* लाऊ मुंडा उड़ीसा ने *रोंगाली बिहु* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया रोंगाली बिहु या बोहाग बिहु असम का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बिहु असम के सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो सभी असमियों द्वारा बहुतायत में मस्ती के साथ मनाया जाता है बिना उनके जाति, धर्म और विश्वास में भेद किये। बिहु शब्द दिमासा लोगों की भाषा से ली गई है जो की प्राचीन काल से एक कृषि समुदाय है।
विशिष्ट अतिथि *सबिता अग्रवाल* सन पुर ओडिसा ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया *उगादी या युगादि*, जिसे संवत्सरादी ( शाब्दिक ‘वर्ष की शुरुआत’ ) के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार नए साल का दिन है और भारत में आंध्र प्रदेश , तेलंगाना और कर्नाटक राज्यों में मनाया जाता है । यह चैत्र के हिंदू चंद्र कैलेंडर माह के पहले दिन इन क्षेत्रों में उत्सव के रूप में मनाया जाता है । यह आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अप्रैल महीने में आता है। और यह तमिल महीने पंगुनी या चित्राई (कभी-कभी) में 27 वें नक्षत्र रेवती के साथ अमावस्या के बाद आता है। दिलचस्प बात यह है कि उगादि दिवस मार्च विषुव के बाद पहले अमावस्या को मनाया जाता है ।
*भगवती अग्रवाल* अध्यक्ष कोरबा इकाई ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया नवरेह (या कश्मीरी नव वर्ष कश्मीरी हिंदुओं द्वारा कश्मीरी नव वर्ष के पहले दिन का उत्सव है , जिसमें सबसे बड़ा कश्मीरी हिंदू समुदाय कश्मीरी पंडित है । कश्मीरी पंडित अपनी देवी शारिका को नवरेह त्योहार समर्पित करते हैं और त्योहार के दौरान उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। यह कश्मीरी हिंदू कैलेंडर के चैत्र (मार्च-अप्रैल) के महीने में शुक्ल पक्ष (शुक्ल पक्ष) के पहले दिन होता है।
*पुष्पा अग्रवाल* अध्यक्ष रायपुर इकाई ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया पोइला/पोहेला बोइशाख ( बंगाली : পহো ীশাখ ) बंगाली कैलेंडर का पहला दिन है जो बांग्लादेश का आधिकारिक कैलेंडर भी है । यह त्यौहार 14 अप्रैल को बांग्लादेश में और 14/15 अप्रैल को भारतीय राज्यों पश्चिम बंगाल , त्रिपुरा और असम (बराक घाटी) में बंगालियों द्वारा धार्मिक आस्था की परवाह किए बिना मनाया जाता है।
*उषा कलानोरिया* अध्यक्ष बाराद्वार इकाई ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया साजिबू नोंगमा पांबा , जिसे मीतेई चीराओबा या साजिबू चिराओबा भी कहा जाता है, भारतीय राज्य मणिपुर में सनमहवाद के धर्म का पालन करने वाले लोगों का चंद्र नव वर्ष का त्योहार है । साजिबू नोंगमा पांबा नाम मणिपुरी शब्दों से लिया गया है: साजिबू – वर्ष का पहला महीना जो आमतौर पर मैतेई चंद्र कैलेंडर के अनुसार अप्रैल के महीने में आता है , नोंगमा – एक महीने की पहली तारीख, पांबा – से होना। सचमुच, इसका अर्थ है साजिबू महीने का पहला दिन। इसी तरह, हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, चंद्र नव वर्ष उसी दिन मनाया जाता है जैसे कर्नाटक में ,आंध्र प्रदेश , महाराष्ट्र और कई अन्य भारतीय राज्य।
*मंजू गोयल* अध्यक्ष अंबिकापुर इकाई ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया गुड़ी पड़वा एक वसंत-समय का त्योहार है जो मराठी और कोंकणी हिंदुओं के लिए पारंपरिक नए साल का प्रतीक है, लेकिन अन्य हिंदुओं द्वारा भी मनाया जाता है । [2] यह चैत्र महीने के पहले दिन महाराष्ट्र , गोवा , और दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव के केंद्र शासित प्रदेश में मनाया जाता है, नए साल की शुरुआत को चंद्र- सौर पद्धति के अनुसार करने के लिए मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर । पड़वा या पद्व संस्कृत शब्द प्रतिपदा से बना है।
*मधु मित्तल* ने नवरात्रि पर्व पर चंडी पाठ किया।
*डिंपल अग्रवाल* अध्यक्ष सरिया इकाई ने दुर्गा चालीसा का संपूर्ण पाठ कर देवी भजन प्रस्तुत किया। उन्होंने नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के पूजा विधि को विस्तार से बताया।
सभी सदस्यो ने देवी गीत गाए।
*उमा बंसल* महासचिव ने संचालन करते हुए कुसुम अग्रवाल सह कोषाध्यक्ष, पूजा अग्रवाल सनपुर के जन्मदिन पर सभी को शुभ कामनाएं बधाई प्रेषित कर।सभी अतिथियों और सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति और प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया।
कार्यक्रम में शामिल अंजली चावड़ा, नंदिनी चौधरी, कमलेश बोंदिया, पार्वती अग्रवाल, सबिता अग्रवाल, भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, पुष्पा अग्रवाल, मंजू गोयल, उषा कलानोरिया, सुलोचना धनावत, कुसुम अग्रवाल, रेखा गर्ग, रंजना गर्ग, तारा बेरीवाल, सरला लोहिया ने अपनी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
