अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत पंद्रह माह से प्रतिदिन आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की श्रृंखला में 1/5/2022 रविवार को गूगल मीट पर दोपहर तीन बजे से *मई दिवस, अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारी दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस,विश्व हास्य दिवस, बोरे बासी दिवस, गुजरात दिवस, महाराष्ट्र दिवस, अजीत कुमार, तमिल सिनेमा के एक्टर की जन्म तारीख* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।

*हंसना स्वस्थ रहने का राम बाण उपाय है @ पूजा*

अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत पंद्रह माह से प्रतिदिन आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की श्रृंखला में 1/5/2022 रविवार को गूगल मीट पर दोपहर तीन बजे से *मई दिवस, अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, अंतर्राष्ट्रीय कर्मचारी दिवस, अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस,विश्व हास्य दिवस, बोरे बासी दिवस, गुजरात दिवस, महाराष्ट्र दिवस, अजीत कुमार, तमिल सिनेमा के एक्टर की जन्म तारीख* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।

कार्यक्रम का श्रीगणेश डॉ अनीता अग्रवाल ने अपने निवास स्थान पर भगवान के दरबार में रोली चावल का तिलक लगा श्रीफल चढ़ा माल्यार्पण कर पूजा अर्चना आराधना कर गणेश वंदना पितरों जी की स्तुति और गुरु वंदना से किया।

मुख्य अतिथि *रेखा गुल्ला प्राध्यापक बिलासपुर* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया *बोरे बासी दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया इन दिनों गर्मी और लू ने प्रचंड रुप ले लिया है. जिसकी वजह से हमें बाहर आने जाने में तमाम मुश्किलें आ रही है. गर्मी इस कदर बढ़ गई है कि पंखे और कूलर से भी गरम हवा निकल रही है. लोग गर्मी के बचाव के लिए खाने-पीने वाली चीजों का विशेष ख्याल रखते हैं. ऐसे में हम बात कर रहे हैं, छत्तीसगढ़िया व्यंजन बोरे और बासी की जो न सिर्फ हमें गर्मी और लू से राहत देता है, बल्कि यह खाने में जायकेदार होता है. इसे खाने से डि-हाइड्रेशन और बीपी जैसी समस्या नहीं होती है।

विशिष्ट अतिथि *नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने *अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या श्रम दिवस या मई दिन* मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हे मार्केट में बम धमाका हुआ था। यह बम किस ने फेंका किसी का कोई पता नहीं। इसके निष्कर्ष के तौर पर पुलिस ने मज़दूरों पर गोली चला दी और सात मज़दूर मार दिए। “भरोसेमंद गवाहों ने तस्दीक की कि पिस्तौलों की सभी फलैशें गली के केंद्र की तरफ से आईं जहाँ पुलिस खड़ी थी और भीड़ की तरफ़ से एक भी फ्लैश नहीं आई। इस से भी आगे वाली बात, प्राथमिक अखबारी रिपोर्टों में भीड़ की तरफ से गोलीबारी का कोई ज़िक्र नहीं। मौके पर एक टेलीग्राफ खंबा गोलियों के साथ हुई छेद से पुर हुआ था, जो सभी की सभी पुलिस वाले तरफ़ से आईं थीं।चाहे इन घटनाओं का अमेरिका पर एकदम कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ा था लेकिन कुछ समय के बाद अमेरिका में 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया था। मौजूदा समय भारत और अन्य मुल्कों में मज़दूरों के 8 घंटे काम करने से संबंधित क़ानून लागू है। अंतरराष्ट्रीय मज़दूर आंदोलन, अराजकतावादियों, समाजवादियों, तथा साम्यवादियों द्वारा समर्थित यह दिवस ऐतिहासिक तौर पर केल्त बसंत महोत्सव से भी संबंधित है।इस दिवस का चुनाव हेमार्केट घटनाक्रम की स्मृति में, जो कि 4 मई 1886 को घटित हुआ था, द्वितीय अंतरराष्ट्रीय के दौरान किया गया।

विशिष्ट अतिथि *पार्बती अग्रवाल लाऊ मुंडा उड़ीसा* ने *महाराष्ट्र दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया हर साल 1 मई के दिन महाराष्ट्र के लोग अपने राज्य में महाराष्ट्र दिवस मनाते हैं। इस दिन साल 1960 में महाराष्ट्र राज्य की स्थापना की गई थी और इस राज्य को भारत देश के एक राज्य के रूप में पहचान मिली थी। जिसके बाद से महाराष्ट्र सरकार द्वारा हर साल महाराष्ट्र दिवस मनाया जाने लगा। इस दिन इस राज्य की सरकार द्वारा राज्य के स्कूलों, विश्वविद्यालयों, और सरकार दफ्तरों में छुट्टी दी जाती है।

विशिष्ट अतिथि *सबिता अग्रवाल सन पुर ओडिसा* ने *गुजरात दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया गुजरात स्थापना दिवस 1 मई को मनाया जाता है। भारत के स्वतंत्र होने के समय यह प्रदेश मुम्बई राज्य का अंग था। अलग गुजरात की स्थापना 1 मई, 1960 को हुआ। महाराष्ट्र की स्थापना के पचास साल पूरे हो गये हैं। महाराष्ट्र और गुजरात का स्थापना दिवस 1 मई को मनाया जाता है कभी ये दोनों राज्य मुंबई का हिस्सा थे। जब मुंबई राज्य से महाराष्ट्र और गुजरात के गठन का प्रस्ताव आया तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई को अलग केन्द्रशासित प्रदेश बनाने की वकालत की। उनका तर्क था कि अगर मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी बने रहना है तो यह करना आवश्यक है।

विशिष्ट अतिथि *पूजा अग्रवाल* बैंगलोर ने *विश्व हास्य दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया *विश्व हास्य दिवस* विश्व भर में मई महीने के पहले रविवार को मनाया जाता है। इसका विश्व दिवस के रूप में प्रथम आयोजन ११ जनवरी, १९९८ को मुंबई में किया गया था। विश्व हास्य योग आंदोलन की स्थापना का श्रेय डॉ मदन कटारिया को जाता है। हास्य योग के अनुसार, हास्य सकारात्मक और शक्तिशाली भावना है जिसमें व्यक्ति को ऊर्जावान और संसार को शांतिपर्ण बनाने के सभी तत्व उपस्थित रहते हैं। विश्व हास्य दिवस का आरंभ संसार में शांति की स्थापना और मानवमात्र में भाईचारे और सदभाव के उद्देश्य से हुई। विश्व हास्य दिवस की लोकप्रियता हास्य योग आंदोलन के माध्यम से पूरी दुनिया में फैल गई।] आज पूरे विश्व में छह हजार से भी अधिक हास्य क्लब हैं।इस मौके पर विश्व के बहुत से शहरों में रैलियां, गोष्ठियां एवं सम्मेलन आयोजित किये जाते हैं।

*भगवती अग्रवाल* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया
*बाल श्रमिक*
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अपने छोटे छोटे कदमों से,
अपने नन्हे नन्हे हाथों से,
अपने अच्छे कामों से,
सबका मन लुभाते ये नन्हे मजदूर।
कहीं होटलों में झूठे बर्तन धोते,
कहीं चाय की प्यालियाँ पहुंचाते,
कहीं दुकानों में चीजें सर्व करते,
कहीं सड़कों पर सामान बेचते ,
कहीं लिप्त छोटे छोटे कामों में,
दिखते है ऐसे नन्हे मजदूर।
परिवार की मदद करने को,
पेट की क्षुधा बुझाने को,
गरीब परिवार झोंक देता,
नन्हे बच्चों को इस भट्टी में,
छिन जाता इनका बचपन,
छिन जाती इनकी मासूमियत,
इन्ही सड़कों पर ऐसे ही,
बचपन बिताते मिल जाते है नन्हे मजदूर।
जाने किस लालसा में,
कचरों के ढेर में ,
न जाने क्या ढूंढती इनकी,
सूनी सूनी नन्ही आंखे,
सब कुछ सहते काम करते,
इसी में वे खुश भी रहते,
ये नन्हे श्रमिक बन जाते,
ये नन्हे मजदूर से,
कहलाते है ये
” बाल श्रमिक ” ।

*निमिषा अग्रवाल* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया मैंने मजदूर को हर बार मजबूर होते देखा है.
मजदूर को थक कर चूर चूर होते देखा है.
दास्तां अपनी सुनाएं किसे भला और कौन सुनेगा.
हमने मालिक के आगे हाथ जोड़ ‘हुजूर’ कहते देखा है.
उनके बीमार बच्चों की फिक्र भला कौन करें.
उन्हीं को खुद के लाल पर मगरूर होते देखा है.
मिलती तवज्जो उन्हीं को जिनके पास दौलत है .
उस गरीब को समाज से दूर होते देखा है.
भूख सहकर बच्चों की तालीम उनकी नहीं होती.
इसलिए नन्हे नन्हे बच्चों को मजदूर होते देखा है .
मैंने मजदूर को मजबूर होते देखा है।

*डिंपल अग्रवाल* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया : मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी. हर वो इन्सान जो किसी संस्था के लिए काम करता हैं और बदले में पैसे लेता हैं, वो मजदूर हैं.
हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इन्सान समझा जाता है, धुप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते है. इसके विपरीत मजदूर समाज वह अभिन्न अंग है,
जो समाज को मजबूत व् परिपक्व बनाता है, समाज को सफलता की ओर ले जाता है. मजदूर वर्ग में वे सभी लोग आते है, जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते है और बदले में मेहनतामा लेते है. शारीरिक व् मानसिक रूप से मेहनत करने वाला हर इन्सान मजदूर है, फिर चाहे वह ईट सीमेंट से सना इन्सान हो या एसी ऑफिस में फाइल के बोझ तले बैठा एक कर्मचारी. इन्ही सब मजदूर, श्रमिक को सम्मान देने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है.

*मंजू गोयल* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया अन्तराष्ट्रीय मजदूर दिवस को अन्तराष्ट्रीय कर्मचारी दिवस व् मई दिवस भी कहते है. इसे पूरी दूनिया में अन्तराष्ट्रीय तौर पर मनाया जाता है, ताकि मजदूर एसोसिएशन को बढ़ावा व् प्रोत्साहित कर सके. मजदूर दिवस 1 मई को पूरी दूनिया में मनाया जाता है, यूरोप में तो इसे पारंपरिक तौर पर बसंत की छुट्टी घोषित किया गया है. दूनिया के लगभग 80 देशों में इस दिन को नेशनल हॉलिडे घोषित किया गया है, कुछ जगह तो इसे मनाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित होते है. अमेरिका व् कनाडा में मजदूर दिवस सितम्बर महीने के पहले सोमवार को होता है. भारत में हम इसे श्रमिक दिवस भी कहते है.: श्रमिक दिवस को ना सिर्फ भारत में बल्कि पुरे विश्व में एक विरोध के रूप में मनाया जाता है. ऐसा तब होता है जब कामकाजी पुरुष व् महिला अपने अधिकारों व् हित की रक्षा के लिए सड़क पर उतरकर जुलुस निकालते है. विभिन्न श्रम संगठन व् ट्रेड यूनियन अपने अपने लोगों के साथ जुलुस, रेली व् परेड निकालते है. जुलुस के अलावा बच्चों के लिए तरह तरह की प्रतियोगितायें होती है, जिससे वे इसमें आगे बढ़कर हिस्सा लें और एकजुटता के सही मतलब को समझ पायें. इस तरह बच्चे एकता की ताकत जो श्रमिक दिवस मनाने का सही मतलब है, समझ सकते है. इस दिन सभी न्यूज़ चैनल, रेडियो व् सोशल नेटवर्किंग साईट पर हैप्पी लेबर डे के मेसेज दिखाए जाते है, कर्मचारी एक दूसरे को ये मेसेज सेंड कर विश भी करते है. ऐसा करने से श्रमिक दिवस के प्रति लोगों की सामाजिक जागरूकता भी बढ़ती है.
यह मेरी भावना है उन लोगों के प्रति जो सेवक को गुलाम समझते है, उनका हक़ मारते है साथ ही उनका शोषण करते है. मजदूर तुच्छ नहीं है, मजदूर समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई है.
: जिसके कंधो पर बोझ बढ़ा वो भारत माँ का बेटा कौन
जिसने पसीने से भूमि को सींचा
वो भारत माँ का बेटा कौन
वह किसी का गुलाम नहीं
अपने दम पर जीता हैं
सफलता का एक कण ही सही
लेकिन हैं अनमोल जो मजदूर कहलाता हैं..
: मैं मजदूर हूँ मजबूर नहीं यह कहने मैं मुझे शर्म नहीं
अपने पसीने की खाता हूँ मैं मिट्टी को सोना बनाता हूँ।

*तारा बेरीवाल* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया मजदूर दिवस पर अपनी अभिव्यक्ति
मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हूं
मेहनत के बदले दो वक्त की रोटी पाना चाह रहा हूं
पढ़ा लिखा कर अपने बच्चों को ऊंचे पदों पर पहुंचाना चाह रहा हूं
मैं मजदूर कुछ इस तरह से जीना चाह रहा हूं
बंगले गाड़ी का शौक नहीं
एक छोटी सी कुटिया और परिवार के साथ जीना चाह रहा हूं
मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हूं
देश की उन्नति, राज्य की प्रगति, और गांव की समृद्धि चाह रहा हूं
मैं मजदूर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हूं
ना हो भारत में कोई निर्धन
ना हो किसी की भुखमरी से मौत
ना हो कोई बेरोजगारी चाह रहा हूं
मैं मजदूर कुछ इस तरह से जीना चाह रहा हूं
एक दबी हुई आवाज में बस कुछ कहना चाह रहा हूं
मैं मजदूर कुछ इस तरह से जीना चाह रहा हूं।

*सुलोचना धनावत* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया : मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं, मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस की फाइल्स के बोझ तले दबा एक कर्मचारी. हर वो इन्सान जो किसी संस्था के लिए काम करता हैं और बदले में पैसे लेता हैं, वो मजदूर हैं.

*कुसुम अग्रवाल* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया हमारे समाज में मजदूर वर्ग को हमेशा गरीब इन्सान समझा जाता है, धुप में मजदूरी करने वालों को ही हम मजदूर समझते है. इसके विपरीत मजदूर समाज वह अभिन्न अंग है।
*पुष्पा रातेरिया* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया जो समाज को मजबूत व् परिपक्व बनाता है, समाज को सफलता की ओर ले जाता है. मजदूर वर्ग में वे सभी लोग आते है, जो किसी संस्था या निजी तौर पर किसी के लिए काम करते है और बदले में मेहनतामा लेते है. शारीरिक व् मानसिक रूप से मेहनत करने वाला हर इन्सान मजदूर है, फिर चाहे वह ईट सीमेंट से सना इन्सान हो या एसी ऑफिस में फाइल के बोझ तले बैठा एक कर्मचारी. इन्ही सब मजदूर, श्रमिक को सम्मान देने के लिए मजदूर दिवस मनाया जाता है.

*लक्ष्मी गोयल* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया अन्तराष्ट्रीय मजदूर दिवस को अन्तराष्ट्रीय कर्मचारी दिवस व् मई दिवस भी कहते है. इसे पूरी दूनिया में अन्तराष्ट्रीय तौर पर मनाया जाता है, ताकि मजदूर एसोसिएशन को बढ़ावा व् प्रोत्साहित कर सके. मजदूर दिवस 1 मई को पूरी दूनिया में मनाया जाता है, यूरोप में तो इसे पारंपरिक तौर पर बसंत की छुट्टी घोषित किया गया है. दूनिया के लगभग 80 देशों में इस दिन को नेशनल हॉलिडे घोषित किया गया है, कुछ जगह तो इसे मनाने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित होते है. अमेरिका व् कनाडा में मजदूर दिवस सितम्बर महीने के पहले सोमवार को होता है. भारत में हम इसे श्रमिक दिवस भी कहते है.: श्रमिक दिवस को ना सिर्फ भारत में बल्कि पुरे विश्व में एक विरोध के रूप में मनाया जाता है. ऐसा तब होता है जब कामकाजी पुरुष व् महिला अपने अधिकारों व् हित की रक्षा के लिए सड़क पर उतरकर जुलुस निकालते है. विभिन्न श्रम संगठन व् ट्रेड यूनियन अपने अपने लोगों के साथ जुलुस, रेली व् परेड निकालते है. जुलुस के अलावा बच्चों के लिए तरह तरह की प्रतियोगितायें होती है, जिससे वे इसमें आगे बढ़कर हिस्सा लें और एकजुटता के सही मतलब को समझ पायें. इस तरह बच्चे एकता की ताकत जो श्रमिक दिवस मनाने का सही मतलब है, समझ सकते है. इस दिन सभी न्यूज़ चैनल, रेडियो व् सोशल नेटवर्किंग साईट पर हैप्पी लेबर डे के मेसेज दिखाए जाते है, कर्मचारी एक दूसरे को ये मेसेज सेंड कर विश भी करते है. ऐसा करने से श्रमिक दिवस के प्रति लोगों की सामाजिक जागरूकता भी बढ़ती है।

*निशा गोयल* ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया यह मेरी भावना है उन लोगों के प्रति जो सेवक को गुलाम समझते है, उनका हक़ मारते है साथ ही उनका शोषण करते है. मजदूर तुच्छ नहीं है, मजदूर समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई है.
: जिसके कंधो पर बोझ बढ़ा वो भारत माँ का बेटा कौन
जिसने पसीने से भूमि को सींचा
वो भारत माँ का बेटा कौन
वह किसी का गुलाम नहीं
अपने दम पर जीता हैं
सफलता का एक कण ही सही
लेकिन हैं अनमोल जो मजदूर कहलाता हैं..
: मैं मजदूर हूँ मजबूर नहीं यह कहने मैं मुझे शर्म नहीं
अपने पसीने की खाता हूँ मैं मिट्टी को सोना बनाता हूँ।

*उषा कलानोरिया* अध्यक्ष बराद्वार इकाई कार्यक्रम संयोजिका संचालिका ने सभी की उपस्तिथि अभिव्यक्ति और प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।

कार्यक्रम में भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, गिरिजा गोयल, रेखा गर्ग, रंजना जिंदल, सुलोचना धनावत, पुष्पा रतेरिया, अंशु अग्रवाल, कीर्ति अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, पुष्पा अग्रवाल, उषा अग्रवाल, उषा कलानोरिया, मंजू गोयल, निशा गोयल, निमिषा गोयल, लक्ष्मी अग्रवाल,लक्ष्मी गोयल, रजनी जिंदल, तारा बेरीवाल ने अपनी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।