इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर
की गई है इस याचिका में ताजमहल के बंद 20 कमरों को खोलने का निर्देश देने की मांग की गई है याचिका पर आज यानी 10 मई को सुनवाई होने वाली थी जिसे इलाहाबाद में वकीलों की हड़ताल के बाद फिलहाल टाल दिया गया है ताजमहल के इतिहास जानने के लिए fact-finding कमेटी के गठन की मांग वाली याचिका जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बैंच में सूचीबद्ध थी हालांकि हाईकोर्ट में अवध बार एसोसिएशन ने कार्य न करने का प्रस्ताव पारित कर रखा था लिहाजा सुनवाई को फिलहाल टाल दिया गया है
अयोध्या के भाजपा नेता ने दायर की है याचिका
अयोध्या के डॉक्टर रजनीश सिंह भारतीय जनता पार्टी के जिला प्रवक्ता है उनकी ओर से ही यह याचिका दायर की गई है इसमें ताजमहल को शिव मंदिर तेजो महालय बताते हुए इसके 20 बंद कमरों को खोलने का निर्देश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को देने की मांग की गई है याचिकाकर्ता की ओर से सरकार को एक समिति गठित करने के निर्देश देने की मांग की गई है जो सच्चाई का पता करें
याचिका में कुछ इतिहासकारों का हवाला भी दिया गया
याचिका में कहा गया है कि ताजमहल परिसर का सर्वेक्षण जरूरी है जिससे शिव मंदिर होने या ताजमहल होने की वास्तविकता का पता लगाया जा सके इन कमरों की जांच करें और स्थिति स्पष्ट करें कि वहां हिंदू मूर्तियां या धर्म ग्रंथों से संबंधित सबूत है या नहीं याचिका में कुछ इतिहासकारों का हवाला भी दिया गया है कहा गया है कि ताजमहल की 4 मंजिला इमारत के ऊपरी और निचले हिस्से में 22 कमरे हैं जो स्थाई रूप से बंद है कई इतिहासकारों का मानना है उन कमरों में शिव का मंदिर है
1934 में कमरों को बंद कर दिया गया था
जिन कमरों को खोलने के लिए याचिका दायर की गई है उस पर इतिहासकार राजकिशोर राजे का कहना है कि 1934 में इन्हें बंद कर दिया गया था हालांकि बीच में समय-समय पर इनमें संरक्षण का काम होता रहा है वहीं दूसरी तरह यह तथ्य सामने आया है कि यह कमरे1972 में अंतिम बार खुले थे इसके बाद से इन कमरों को नहीं खोला गया है एएसआई के पूर्व निदेशकडॉक्टर डी दयाल की किताब ताजमहल एंड इट्स कंजरवेशन में बताया गया है कि1976/77 में मुख्य गुंबद के नीचे तलघर में दीवारों पर आई दरारों को भरा गया था कई जगह सीलन आ गई थी इसके बाद 2006 में भी संरक्षण का काम हुआ था
