आखिर जे पी नड्डा के छत्तीसगढ़ दौरे के मायने क्या है। एक रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ विधानसभा को महज़ 15 महिना बचा हुआ है और बीजेपी विपक्ष मे है बीजेपी 2023 मे सरकार बनाने के लिए जी जान लगाकर मेहनत कर रही हैं पिछले विधानसभा चुनाव 2018 मे केन्द्रीय मंत्री छत्तीसगढ़ दौरा मे रहें थे उन्होंने कहा था कि छत्तीसगढ़ में इस बार 65 प्लस सीट के साथ हमारे विधायक जीतेंगे और सरकार बनायेंगे लेकिन यह बात धरा का धरा रह गया छत्तीसगढ़ मे चुनाव के बाद रिजल्ट कुछ और ही आया जो कोई सोच नहीं सकता था चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी 14 सीट मे सीमट गयी यह परिणाम बीजेपी के लिए टेंशन का विषय बन गया फिर छत्तीसगढ़ में कई जगह उपचुनाव भी हुये जहां छत्तीसगढ़ में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा आखिर क्या बात है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी अपना विधायक बैठाने मे असफल नज़र आ रही है

पिछले कुछ दिनों पहले केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ दौरे मे थे और अब 9 सितंबर को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी छत्तीसगढ़ दौरें पर आ रहे हैं राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्वागत के लिए सभी जिला के कार्यकर्ता मीटिंग लेकर तैयारिया शुरू कर दिये है राष्ट्रीय अध्यक्ष के रोड़ शो मे हजार से अधिक कार्यकता रहेगे और जेपी नड्डा 45 हजार से अधिक कार्यकताओं को संबोधित भी करेंगे

विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा संगठन ने बड़ा फेरबदल किया है। ओबीसी वर्ग से आने वाले अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देकर भाजपा ओबीसी वोटरों को साधने की कोशिश में है। प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद नेता प्रतिपक्ष पद पर रहे धरमलाल कौशिक का पत्ता काटकर ओबीसी वर्ग से भी वरिष्ठ नेता व जांजगीर विधायक नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष का जिम्मा दिया गया है

 अब यह देखना है कि केन्द्र के नेता छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ता को कितना चार्ज कर पाते हैं कि आने वाले विधानसभा मे बीजेपी सरकार बनाने मे कामयाबी हासिल कर पाये नहीं तो फिर 2018 वाला जैसा परिणाम 2023 मे ना आ जाये नहीं तो आने वालें समय में छत्तीसगढ़ में भाजपा को जगह बनाना मुश्किल का विषय बन जाएगा ।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के छत्तीसगढ़ दौरै मे रहने पर भाजपा के नेता अपना अपना समीकरण फिट करने मे जुट गये । हर हारा हुआ विधायक एक बार फिर 2023 में अपनी किस्मत आजमाने की जोर आजमाइश में लगा है वहीं कुछ उभरते नेता स्वयं की दावेदारी दिखाने के प्रयास में रोज फूल माला लिए नेताओ के दरवाजे में माथा टेक रहे हैं , कहीं बिल्ली के भाग्य से छीका टूट गया तो फिर ऐसे नेताओं की बल्ले बल्ले होगी। जीते हुए 14 विधायक अपनी टिकट के लिऐ आश्वस्त नजर आते है और अपने काम में पूरी ताकत से लगे हुए हैं।