जैविक कृषि पर्यावरण संरक्षण संवर्धन का श्रेष्ठ प्रक्रम – द्विवेदी
राजनांदगाँव. रासेयो इकाई शासकीय शिवनाथ महाविद्यालय राजनांदगांव के सात दिवसीय विशेष शिविर ग्राम बनहरदी, डोंगरगांव विकासखंड में संस्था प्राचार्य डॉ. सुमन सिंह बघेल के प्रमुख संरक्षण में आयोजित किया गया। ग्रामीण जनजागरूकता को समर्पित शिविर के बौद्धिकचर्चा कार्यक्रम अंतर्गत ग्रामीणजनों को जनजागरूकता प्रकृति – पर्यावरण के साथ अनुकूलन रखने संबंधी महत्तम विचार-चर्चा में नगर के पर्यावरणविज्ञ प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने शिविरार्थी छात्रों और ग्राम के प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित करते हुए बताया कि जैविक कृषि समसामयिक आवश्यकता है और पर्यावरण संरक्षण संवर्धन का श्रेष्ठ प्रक्रम है। विशेषकर बढ़ते जल-वायु-मिट्टी एवं अन्य प्रदूषण पर समग्र नियंत्रण हेतु तथा चतुर्दिक बढ़ रहे खाद्यान्न संकट का सर्वोचित निवारण जैविक कृषि को बढ़ावा देकर ही किया जा सकता है। वर्तमान समय में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिकाधिक हो रहे रासायनिक उर्वरक एवं कीटनाशकों को प्रयोग ने जल-मिट्टी-वायु पर्यातत्वों को बुरी तरह दूषित कर दिया है। बड़े-बड़े क्षेत्र बंजर भूखंड में बदलते जा रहे है जो अत्यधिक चिंतनीय है। वर्तमान समय का गहन संकट, भू-मंडलीय तापन, जलवायु परिवर्तन पर संपूर्ण नियंत्रण के लिए भारतीय सनातन काल से चली आ रही प्राकृतिक-जैविक कृषि परंपरा को पुन: अपनाकर ही विशेषकर गौ पालन बढ़ाकर, गोबर, जैविक वनस्पितिक खाद के द्वारा वृहद बंजर हो चुके खेतों को फिर से उर्वरा कर सात्विक खाद्यान्न दलहन के उत्पादन को न केवल बढ़ाया जा सकेगा वरन् संपूर्ण देश-धरती में प्राकृतिक आपदाओं, पर्यावरण संकट से भी उबारा जा सकेगा। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने विशेषरूप से युवा-किशोर-प्रबुद्ध पीढ़ी एवं जन-जन को इस हेतु जागरूक रहने और प्रदेश में चल रहे नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी योजना को पूर्ण प्राण-प्रण से अपनाने हेतु विशेष बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान समय न केवल जैविक – प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का है बल्कि संपूर्ण देश-धरती में गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों विशेषकर सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा को बढ़ावा देकर उसकी परम उपादेयता महत्ता को स्वीकार करना होगा। तभी हम हरियर वन प्रांतर और घर-घर हरियाली के संदेश को प्रत्यक्ष रूप से समृद्ध कर सकेंगे। श्रेष्ठ सार्थक अर्थो में रासेयो इकाई के ग्रामीण शिविरों का यही सहज-सरल-सार्थक उद्देश्य भी है कि हम फिर से अपने ग्रामीण क्षेत्रों, वन अंचलों को पर्यातत्वों से समृद्ध करें तथा प्रदूषण सुरखित रखें। प्राध्यापक द्विवेदी ने राष्ट्रीय सेवा योजना के युवा आदर्श स्वामी विवेकानंद के अमर उद्घोष सूत्रों और महामंत्रों को आत्मसात करने की भी प्रेरणा दी और इस अवसर पर उपस्थित अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. के.एल. टाण्डेकर, प्रबुद्ध व्यक्तित्व अनिल जी तथा समाजसेवी हरीश गांधी के हस्ते शिविर के सक्रिय श्रेष्ठ स्वयंसेवकों को स्वामीविवेकानंद के सचित्र वाणी संदेश के प्रतीक भी प्रदान किए। उक्त विचारचर्चा कार्यक्रम समाप्ति पर रासेयो प्रभारी प्राध्यापक डॉ. एस.आर. कन्नौजे ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए विचारचर्चा के संदेश के आत्मसात करने का आह्वान किया।
