जब भी कोई नेक कार्य, लोकसेवा का कार्य या दान पुण्य का काम करें तो कभी मन में उसका अभिमान नहीं आना चाहिए – कुलपति प्रो आलोक कुमार
बिलासपुर । रुक जाना नहीं तू कहीं हार के, काँटों में चलकर में चलकर मिलेंगे साए बहार के। गाने की इस पंक्ति को शत प्रतिशत चरितार्थ किया बीजेएस द्वारा आयोजित नि:शुल्क सेवा शिविर के पांचवे दिन पहुंचे कई दिव्यांगों ने। भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति जयपुर एवं रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड के सौजन्य से सकल जैन समाज बिलासपुर एवं श्री गुजराती समाज बिलासपुर के सहयोग आयोजित इस शिविर के पांचवे दिन स्वास्थ्य शिविर के शुभारंभ के मुख्य अतिथि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार एवं विशिष्ट अतिथि बीजेएस के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार जैन रहे।
शिविर के शुभारम्भ में भगवान महावीर स्वामी के छायाचित्र के सामने दीप प्रज्वलन के साथ-साथ बीजेएस के भाई प्रवीण कोचर ने मंगलाचरण के रूप में णमोकार मंत्र की बहुत ही मनमोहक प्रस्तुति दी।
प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि जब भी कोई नेक कार्य, लोकसेवा का कार्य या दान पुण्य का काम करें तो कभी मन में उसका अभिमान नहीं आना चाहिए।
चक्रवाल जी ने कहा कि भारत की आबादी का आधा प्रतिशत से भी कम जैन आबादी है लेकिन लेकिन सेवा भाव का संचार सबसे ज्यादा जैन समाज ही कर रहा है। जैन समाज के त्याग और समर्पण का इतिहास बहुत पुराना है। उन्होंने कहा कि भगवान आदिनाथ से लेकर महावीर स्वामी तक 24 तीर्थंकर में से अधिकांश क्षत्रिय थे, कुछ बहुत बड़े महाराज थे, जिनके पास अकूट सम्पदा थी लेकिन सभी में त्याग, समर्पण और लोक सेवा नारायण सेवा की भावना कूट-कूट कर भरी थी। जैन समाज के तीर्थंकरों और साधु साध्वीयों ने त्याग की जो अद्वितीय मिसाल पेश की है, यह उसी का परिणाम है कि त्याग, समर्पण और जनकल्याण की भावना की जैन समाज के अधिकांश बच्चों में भी पहले से विद्यमान है। भारतीय जैन संघठना को इस उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्होंने अंतर्मन से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं प्रदान की। साथ ही उन्होंने यह आश्वासन दिया कि यदि जैन समाज को इस तरह के किसी भी लोक हितकारी, जनहितकारी, समाज सेवा के कार्य में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की आवश्यकता पड़ती है तो पूरा गुरु घासीदास विश्वविद्यालय उनके साथ खड़ा है।
आज के स्वास्थ्य शिविर में होम्योपैथी के विशेषज्ञ डॉ अंशुमान जैन एवं डॉक्टर सतीश कौशिक तथा आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉक्टर राघवेंद्र सिंह ने स्वास्थ्य जांच कर परामर्श दिया। लगभग 100 लोगों ने इस स्वास्थ्य शिविर का लाभ उठाया। कवर्धा से आज 40 दिव्यांगों को लेकर एक बस शिविर पहुंची। इन सभी विकलांगों को जांच उपरांत आवश्यकतानुसार कृत्रिम अंग, बैसाखी, ट्राईसाईकिल, व्हीलचेयर या श्रवणयंत्र प्रदान किए जाएंगे।
निस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए बीजेएस की टीम द्वारा आज के स्वास्थ्य शिविर में सेवा दे रहे सभी चिकित्सकों का सम्मान किया गया। इसके साथ ही गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की जीजीवी श्रवण लाइन योजना के स्वयंसेवकों उन्नति साहू, गीतिका नेताम, प्रांजली साहू, रागिनी विश्वकर्मा एवं सत्यम शर्मा को भी सम्मानित किया गया। बीजेएस के इस निःशुल्क सेवा शिविर में जीजीवी श्रवण लाइन के जरिए सहयोग प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल जी को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।
शिविर की सफलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि शिविर के बारे में सुनकर न केवल बिलासपुर अपितु आसपास के अंचल के कई समाजसेवी एवं गणमान्य शिविर का जायजा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में आज बिलासपुर सराफा एसोसिएशन के राजू सलूजा एवं पहुंचे। शिविर में दिव्यांगों को देखकर वे भी भावुक हो गए परन्तु शिविर की व्यवस्था को देखकर उन्होंने बीजेएस की पूरी टीम को बहुत-बहुत साधुवाद दिया।
कार्यक्रम में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के जीजीवी श्रवण लाइन योजना की प्रभारी डॉ. अर्चना यादव, जीजीवी श्रवण लाइन योजना के स्वयंसेवक सत्यम शर्मा, रागिनी विश्वकर्मा, प्रांजली साहू, उन्नति साहू, गीतिका नेताम के साथ अमरेश जैन, प्रवीण कोचर, संजय छाजेड़, अजय छाजेड, आंचल जैन, अमित जैन, राजू तेजाणी, महिपाल सुराना, क्षिप्रा जैन, डॉ अंशुमन जैन, विजय जैन, गोपाल वेलानी, अभिनव डाकलिया, ऋतु जैन, सीमा जैन, गौरव जैन, श्वेता जैन, पूर्णिमा सुराणा, सुनीता जैन, विनोद लुनिया, कमल जैन, मनीष जैन, अंकित गेड़िया, स्वप्निल जैन, राकेश तेजानी, रीतेश तेजानी, भावेश गांधी, अर्चना नाहर, जय कुमार जैन, अंशुल जैन, पराग जैन, अनिता जैन एवं नागरिक और दिव्यांग लाभार्थी उपस्थित रहे।
शुक्रवार 30 जून को शिविर के समापन समारोह में छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी उपस्थित रहेंगे। समापन समारोह सायं 3:30 बजे से प्रारंभ होगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा दिव्यांगों को ट्राईसाईकिल, बैसाखी, व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र एवं कृत्रिम अंग प्रदान किए जाएंगे।
