आईएएस द्वारा राज्य के बजट से राज्य सेवा अधिकारियों कर्मचारियों को छोड़कर एरियर सहित 4% डीए लेना अनुचित

आईएएस द्वारा राज्य के बजट से राज्य सेवा अधिकारियों कर्मचारियों को छोड़कर एरियर सहित 4% डीए लेना अनुचित
राज्य सेवा के अधिकारियों कर्मचारियों और पेंशनर्स को भी एरियर सहित जनवरी 24 से 4% डीए डीआर के तुरंत आदेश करे सरकार
कर्मचारियों और पेंशनरों के बाद मिले आईएएस अधिकारियों को महंगाई भत्ता — वीरेन्द्र नामदेव

छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री,वित्तमंत्री और मुख्य सचिव से राज्य कर्मचारी संघ छत्तीसगढ़ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने आग्रह किया है कि केन्द्र सरकार द्वारा जनवरी माह से मूल्य सूचकांक के आधार पर घोषित किए गए 4% महंगाई भत्ता और महंगाई राहत किस्त से अब तक राज्य सरकार राज्य में कर्मचारी और पेंशनर्स के लिए जारी नहीं कर रहे हैं। जबकि प्रदेश में आईएएस अधिकारी जनवरी से एरियर सहित 4% डी ए के आदेश खुद के हस्ताक्षर से माह जून 24 में ही जारी करके केन्द्र के बराबर 50% महंगाई भत्ता का लाभ ले रहे है।
जारी विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से आग्रह किया है कि उत्तर प्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ राज्य में भी आईएएस अधिकारियों अर्थात भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियो को छत्तीसगढ़ राज्य में भी कर्मचारियों और पेंशनरों के बाद महंगाई भत्ता मिले ऐसी व्यवस्था करने की जरूरत बल दिया है।
जारी विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश संयोजक वीरेन्द्र नामदेव ने आगे बताया है कि आई ए एस अधिकारियों को महंगाई भत्ता पहले मिल जाने के बाद वे कर्मचारियों और पेंशनरों को भी शीघ्र महंगाई भत्ता मिले इस पर कोई रुचि नहीं लेते और मंहगाई भत्ता की फाइल को जानबूझकर लटका कर रखते हैं। वित्तीय संकट दिखा बताकर सरकार के मुखिया को निर्णय लेने से रोकने में कामयाब हो जाते है और खुद केन्द्र सरकार के कर्मचारी होने के बहाने लाभ उठाकर अपना आदेश करने में सफल हो जाते हैं।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों विधानसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग से कर्मचारियों को महंगाई भत्ता देने का अनुमति लेकर कर्मचारियों पेंशनरों का डीए डीआर का आदेश रोककर अपने लिए बिना अनुमति खुद का आदेश कर लिए थे।इसलिए राज्य सरकार को कर्मचारियों और पेंशनरों के बाद ही आई ए एस अधिकारियों के लिए आदेश जारी करने का निर्णय केबिनेट से पारित करना चाहिए।