अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा 19/10/2021 मंगलवार को **पांडुरंग शास्त्री आठवले के जन्म जयंती, कहानीकार चंद्रकिरण सौनरेक्सा की जन्म तिथि, शरद पूर्णिमा* के पावन पर्व पर गूगल मीट पर वर्चुअल कार्यक्रम।

*अंताक्षरी में प्रथम मधु अग्रवाल रही।दूसरे स्थान पर मीरा अग्रवाल*

अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत आठ माह से चल रहे नित्य आयोजित कार्यक्रम में 19/10/2021 मंगलवार को **पांडुरंग शास्त्री आठवले के जन्म जयंती, कहानीकार चंद्रकिरण सौनरेक्सा की जन्म तिथि, शरद पूर्णिमा* के पावन पर्व पर गूगल मीट पर वर्चुअल कार्यक्रम।

कार्यक्रम का शुभारंभ *अध्यक्ष डॉ अनीता अग्रवाल* ने भगवान सत्यनारायण के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना आरती आराधना कर गणेश वंदना पितरों के भजन से किया गया।
उन्होंने शरद पूर्णिमा के बारे में अपने उद्बोधन में बताया सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को ही कोजागर पूर्णिमा कहा जाता है। मान्‍यता है क‍ि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन चांद की रोशनी में अमृत बरसता है। कहते हैं क‍ि इस द‍िन चंद्रमा की रोशनी में पूरी रात खीर रखकर दूसरे द‍िन उसका सेवन किया जाए तो सेहत अच्‍छी रहती है।

कार्यक्रम की *मुख्य अतिथि बेदेही नंदिनी चौधरी* सिंगापुर ने अपने उद्बोधन में बताया हिन्दू समाज की निर्धन और निर्बल जातियों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिकानिभाने वाले दादा के नाम से प्रसिद्ध *पांडुरंग शास्त्री आठवले* का जन्म 19 अक्तूबर, 1920 को ग्राम रोहा (जिला रायगढ़, महाराष्ट्र) में हुआ था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा तपोवन पद्धति से हुई। इस कारण बचपन से ही उनके मन में निर्बलों के प्रति अतिशय प्रेम था।इन्होंने मुम्बई के पास ठाणे में ‘तत्वज्ञान विद्यापीठ’ स्थापित की। ग्रामीणों के सहयोग से दादा ने हजारों गाँवों में *अमृतालयम्* की स्थापना की। इन्होंने कृषि में क्रान्ति का सूत्रपात किया। गाँव-गाँव में सैकड़ों एकड़ जमीन पर ग्रामीणों ने *योगेश्वर कृषि* शुरू की। इस जमीन पर उस गाँव के सब लोग स्वैच्छिक श्रम करते हैं। इसकी उपज पर किसी का निजी अधिकार नहीं होता। इसे प्रभु की सम्पत्ति मानकर निर्धनों को दे दिया जाता है।एक योजना *वृक्ष मन्दिर* है। वृक्ष में भी भगवान है, यह समझकर उसे उगाना और फिर उसकी रक्षा भी करना चाहिए। स्वाध्याय परिवार वालों ने शासन से हजारों एकड़ बंजर जमीन लम्बे समय के लिए पट्टे पर लेकर वृक्ष लगाये। इससे पर्यावरण के संरक्षण में भी पर्याप्त सहायता मिली है। *पद्म विभूषन रेमन मेग्सेसे तथा टेम्पल्टन अवार्ड* से सम्मानित किया गया था।

*कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि संतोषी चौधरी ओडिसा* ने हिन्दी की प्रख्यात कहानीकार चंद्रकिरण सौनरेक्सा के बारे में बताया ये नये विचारों को सदा सम्मान देने वाली लेखिका थीं। इसीलिए अपने लम्बे और अविराम लेखन से उन्होंने हिन्दी साहित्य की अनेक विधाओं को समृद्ध किया। कुरीतियों और रूढ़ियों की सदा विरोधी में रहीं।उनकी कहानियों में सामाजिक विसंगति, विकृति, विद्रूप, भयावहता, घुटन, संत्रास आदि का सजीव चित्रण हुआ है। निर्धन और मध्यवर्गीय नारी को कैसे तनाव, घुटन और पारिवारिक दबाव झेलने पड़ते हैं, इसका जीवंत और मर्मस्पर्शी वर्णन उन्होंने किया है।

*संयोजिका उषा कलानौरिया* ने बताया शरद पूर्णिमा के पावन पर्व को खास बनाने के लिए *अंताक्षरी प्रतियोगिता* का आयोजन किया गया जिसमे सभी ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया और अपने गानों से प्रसन्नता का रसपान करवाया सभी सदस्य अपने अपने स्थान पर थिरकने लगे। *सुनीता जयसवाल समाज सेविका ने निर्णायक की भुमिका अदा* कर नतीजे घोषित किए *प्रथम मधु अग्रवाल रही।दूसरे स्थान पर मीरा अग्रवाल रही*। सभी सदस्यों ने चांद के उपर फिल्मी गाने गाए बहुत दिन बाद गली में चांद निकला, ये रात ये चांदनी फिर कहा, चांद सी महबूबा हो जैसा मैंने सोचा था, चांद के पार चलो चलो दिलदार चलो, घूंघट में चांद होगा अंचल में चांदनी, चौदहवी का चांद हो, चांद छुपा बदल में, मैने पूछा चांद से, आजा सनम मधुर चांदनी में हम, गली में आज चांद निकला, खोया खोया चांद धीरे-धीरे चल चांद गगन में’, खोया-खोया चांद, खुला आसमान, चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो, ये चांद सा रोशन चेहरा, जुलफो का रंग सुनहरा, चंदा रे चंदा रे कभी तो जमीन पर आ बैठेंगे बातें करेंगे, चांद ने कुछ कहा, रात ने कुछ कहा, तू भी सुन बेखबर, प्यार कर, चांद छुपा बादल में, शरमा के मेरी जाना, चंदा मामा सो गए, सूरज चाचू जागे आदि फिल्मी गानों से *पूरा डिजिटल माहौल संगीत की ले से झंकृत* हो गया था।

कार्यक्रम का *संचालन उमा बंसल महासचिव* कोरबा ने किया।उन्होंने सत्यनारायण कथा का सार बता सभी को उत्तम विचार रखने को कहा कारण जैसी जारी भावना वैसा फल पावे।

*सुलोचना धनावत* ने भजन प्रस्तुत कर सामूहिक कीर्तन करवाया इस भावना से करवाया की इससे उत्तम दिव्य ऊर्जा से सभी में सद्बुद्धि, ज्ञान आलौकित हो।

*प्रेमलता गोयल उपाध्यक्ष ने आज का इतिहास बताया* 1630 में बोस्टन में पहली बार आम अदालत का आयोजन किया गया।
1970 – भारत में निर्मित पहला मिग – 21 विमान भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया।
2000 – भारत सरकार ने 1834 से 1996 तक सभी केंद्रीय अधिनियमों का इलेक्ट्रॉनिक डाटाबेस तैयार करने की घोषणा की।1870 – प्रसिद्ध महिला क्रांतिकारी मातंगिनी हज़ारा का जन्म हुआ।
1910 – खगोल भौतिक शास्त्री सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर का जन्म हुआ।
1920 – पिंजरे की मैना चंद्रकिरण सोनरेक्सा का जन्म हुआ।
1920 – आध्‍यात्मिक गुरु और फिलॉस्‍फर पाुडुरंग शास्‍त्री आठवले का जन्‍म हुआ था।
1923 – ‘काशी’ (वर्तमान बनारस) के प्रसिद्ध साहित्यकार भोलाशंकर व्यास का जन्म हुआ।
1929 – गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी हुईं प्रसिद्ध महिला सामाजिक कार्यकर्ता निर्मला देशपांडे का जन्म हुआ।
1745 – मशहूर किताब ‘गुलीवर की यात्राएं’ के लेखक जोनाथन स्विफ्ट का निधन हुआ।
1971 – प्रसिद्ध साहित्यकारों में से एक रामअवध द्विवेदी का निधन हुआ।

मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। सभी की उपस्तिथि और अभिव्यक्ति के लिए आभार व्यक्त कर विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा विधिवत कार्यक्रम का समापन किया गया।

कार्यक्रम में उमा बंसल, भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, भावना अग्रवाल, बेदेही नंदिनी चौधरी, मीनू अग्रवाल, मीना अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, गिरिजा गोयल, कविता अग्रवाल,ऋषिका, कुसुम अग्रवाल, मीरा अग्रवाल, मधु अग्रवाल, निमिषा गर्ग, पूनम अग्रवाल, पूनम गोयल, रंजना गर्ग, रेखा गर्ग, सरला लोहिया, सुलोचना धनावत, सरिता अग्रवाल, किरण, शिखा अग्रवाल, सिया अग्रवाल, ममता अग्रवाल, उषा कलानौरिया,संतोषी चौधरी, नानू सिंह राजपूत, विहान अग्रवाल, गिरिजा गोयल ने अपनी अपनी अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाया।