अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा 29/12/2021 बुधवार को गूगल मीट पर *धौलाना के अमर बलिदानी बलिदान-दिवस, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष वोमेश चन्‍द्र बनर्जी, प्रसिद्ध साहित्यकार गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी, प्रसिद्ध आलोचक, प्रमुख मीडिया विश्लेषक, साहित्यकार, स्तंभकार और वरिष्ठ मीडिया समीक्षक सुधीर पचौरी, कन्नड़ भाषा के कवि व लेखक कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा, पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।

अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़

प्रांत द्वारा विगत ग्यारह माह से प्रतिदिन आयोजित कार्यक्रम की श्रृंखला में 29/12/2021 बुधवार को गूगल मीट पर *धौलाना के अमर बलिदानी बलिदान-दिवस, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष वोमेश चन्‍द्र बनर्जी, प्रसिद्ध साहित्यकार गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी, प्रसिद्ध आलोचक, प्रमुख मीडिया विश्लेषक, साहित्यकार, स्तंभकार और वरिष्ठ मीडिया समीक्षक सुधीर पचौरी, कन्नड़ भाषा के कवि व लेखक कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा, प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म निर्देशक तथा ख्यातिप्राप्त धारावाहिक ‘रामायण‘ के निर्माता रामानन्द सागर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष, उच्च न्यायालय के प्रमुख वकील डब्लू सी बनर्जी, नेपाल के राजा और दक्षिण एशियाई नेता वीरेन्द्र वीर विक्रम शाह,अभिनेता राजेश खन्ना की जन्म तिथि और राष्ट्रीय विचारधारा के समर्थक और यूनानी पद्धति के प्रसिद्ध चिकित्सक हकीम अजमल ख़ाँ, प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, संगीतज्ञ एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक ओंकारनाथ ठाकुर, विश्व के पहले परमाणु बम बनाने वाले अमेरिकी वैज्ञानिक रेगर सक्रेबर, सम्पर्क के विशेषज्ञ लक्ष्मण सिंह शेखावत, हिन्दू संत और पेजावर मठ के प्रमुख स्वामी विश्वेशतीर्थ , प्रसिद्ध चित्रकार मंजीत बावा, भारतीय वैज्ञानिक शिवराज रामशरण की पुण्य तिथि* पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।

कार्यक्रम की संचालन कर्ता *उमा बंसल* ने कार्यक्रम का श्री गणेश अपने निवास स्थान पर गणेश भगवान के फोटो पर रोली अक्षत का तिलक लगा, माल्यार्पण, दीप प्रज्वलित, पूजा अर्चना आरती आराधना कर गणेश वंदना और पितरों जी की स्तुति से किया। उन्होंने जीवन में सतसंग का महत्व बताया।

सरिया इकाई की अध्यक्षा *डिंपल अग्रवाल* ने बुधवार का महत्व बता गणेश महाराज जी की कथा सुना गणेश वंदना भजन प्रस्तुत किया।

बाराद्वार इकाई की अध्यक्षा *उषा कलानौरिया* ने पितरों की कृपा के बारे में बता पितरों जी महाराज का भजन कर उनका आशीर्वाद की कामना की।

कोरबा इकाई की अध्यक्षा *भगवती अग्रवाल* ने सभी अतिथियों को तिलक लगा श्री फल और तुलसी मां का पौधा भेट कर स्वागत किया।

रायपुर इकाई की अध्यक्षा *पुष्पा अग्रवाल* ने भजन प्रस्तुति के बाद मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का संक्षिप्त जीवन परिचय दे उन्हे उनके उद्बोधन के लिए बारी बारी से डिजिटल मंच पर आमंत्रित किया।

कार्यक्रम की अध्यक्ष *डॉ अनीता अग्रवाल* ने *धौलाना के अमर बलिदानी बलिदान-दिवस* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया 29 दिसंबर: धौलाना (हापुड़, UP) के 14 सपूतों को आज ही दी गई थी फाँसी जिन्होंने 1857 में जलाये थे ब्रिटिश ठिकाने.. उनके शव के साथ जो हुआ वो अब तक कहीं न हुआ। हापुड़ जिले उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले धौलाना तहसील में ऐसी बलिदान की गाथा है जिसे अगर दुनिया के आगे लाया जाता तो संसार भारत के पराक्रम के आगे नतमस्तक रहता।अंग्रेज अधिकारी ने देखा कि इनमें एक व्यक्ति वैश्य समाज का भी है। उसने श्री झनकूमल को कहा कि अंग्रेज तो व्यापारियों का बहुत सम्मान करते हैं, तुम इस चक्कर में कैसे आ गये ? इस पर श्री झनकूमल ने गर्वपूर्वक कहा कि यह देश मेरा है और मैं इसे विदेशी व विधर्मियों से मुक्त देखना चाहता हूं।
अंग्रेज अधिकारी ने बौखलाकर सभी क्रांतिवीरों को 29 दिसम्बर, 1857 को पीपल के पेड़ पर फांसी लगवा दी। इसके बाद गांव के 14 कुत्तों को मारकर हर शव के साथ एक कुत्ते को दफना दिया। यह इस बात का संकेत था कि भविष्य में राजद्रोह करने वाले की यही गति होगी।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि ऐसी धमकियों से बलिदान की यह अग्नि बुझने की बजाय और भड़क उठी और अंततः अंग्रेजों को अपना बोरिया बिस्तर समेटना पड़ा। 1857 की क्रांति के शताब्दी वर्ष में 11 मई, 1957 को धौलाना में शहीद स्मारक का उद्घाटन भगतसिंह के सहयोगी पत्रकार रणवीर सिंह द्वारा किया गया। प्रतिवर्ष 29 दिसम्बर को हजारों लोग वहां एकत्र होकर उन क्रांतिवीरों को श्रद्धांजलि देते हैं।आज 29 दिसंबर को धौलाना के उन सभी 14 वीर बलिदानियों बारंबार नमन करते हुए उनकी यशगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प सुदर्शन परिवार लेता है और उनके इतिहास को स्वर्ण अक्षरों से लिखवाने के लिए सतत प्रयास करते रहने का संकल्प भी।

मुख्य अतिथि मुख्य वक्ता *नंदिनी चौधरी सिंगापुर* ने *भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष वोमेश चंद्र बनर्जी जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी ( जन्म- 29 दिसंबर, 1844, कोलकाता; मृत्यु- 21 जुलाई 1906 इंग्लैंड) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष और कोलकाता उच्च न्यायालय के प्रमुख वक़ील थे। ये भारत में अंग्रेज़ी शासन से प्रभावित थे और उसे देश के लिये अच्छा मानते थे।इलाहाबाद में 1892 ई. में हुए कांग्रेस अधिवेशन का अध्यक्ष बनाया गया था।

विशिष्ट अतिथि *विजया डालमिया हैदराबाद* ने *प्रसिद्ध साहित्यकार गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी जन्म जयंती* पर अपने उद्बोधन में बताया गिरिधर शर्मा चतुर्वेदी (जन्म- 29 दिसम्बर, 1881 ई., जयपुर, राजस्थान) पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षा-शास्त्री, जयपुर विश्वविद्यालय में व्याकरणाचार्य तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वाचस्पति थे। गिरिधर जी सन 1951-52 ई. में भारत सरकार की संविधान संस्कृतानुवाद समिति के सदस्य रहे तथा सन 1930 और 1940 ई. में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के दर्शन-परिषद के सभापति रहे थे।गिरधर शर्मा चतुर्वेदी संस्कृत भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक शोध वैदिक विज्ञान और भारतीय संस्कृति के लिये उन्हें सन् 1961 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।महाकाव्य संग्रह’, ‘महर्षि कुलवैभव’, ‘ब्रह्म सिद्धांत’, ‘प्रमेयपारिजात’,’स्मृति विरोध परिहार’भाषा हिन्दी, संस्कृत
पुरस्कार-उपाधि गिरिधर जी की ‘वैदिक विज्ञान’ और ‘भारतीय संस्कृति’ पुस्तक उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों द्वारा पुरस्कृत हुई है।
प्रसिद्धि लेखक, साहित्यकार
विशेष योगदान इनमें भारतीय वैदिक तथा शास्त्रीय परम्पराओं के महत्त्व पर विचार के साथ ही उनका वैज्ञानिक एवं दार्शनिक विवेचन एवं विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।नागरिकता भारतीय संबंधित लेख पंजाब विश्वविद्यालय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, संस्कृत, हिन्दी। ‘गीता व्याख्यान’ तथा ‘पुराण पारिजात’ गिरिधर शर्मा जी की नवीनतम कृतियाँ हैं।

विशिष्ट अतिथि *सुशीला अग्रवाल शांतिनिकेतन* ने *प्रसिद्ध आलोचक प्रमुख मीडिया विश्लेषक, साहित्यकार, स्तंभकार और वरिष्ठ मीडिया समीक्षक सुधीर पचौरी जन्म तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया सुधीश पचौरी (जन्म १९४८ ; अलीगढ़) हिन्दी साहित्यकार, आलोचक एवं मीडिया विश्लेषक हैं। वे समकालीन साहित्यिक-विमर्श, मीडिया-अध्‍ययन, पॉपुलर संस्‍कृति एवं सांस्‍कृतिक अध्‍ययन के विद्वान के रूप में प्रसिद्ध हैं। सम्प्रति वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक हैं।सुधीश पचौरी प्रसिद्ध आलोचक एवं प्रमुख मीडिया विश्लेषक हैं। साहित्यकार, स्तंभकार और वरिष्ठ मीडिया समीक्षक, सुधीश पचौरी को 2010 में ‘हिंदी सलाहकार समिति’ का सदस्य बनाया गया। दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक, पचौरी को दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘डीन ऑफ कॉलेज’ भी बनाया गया है। दैनिक हिंदी अखबार, ‘जनसत्ता’ में पचौरी का एक कॉलम ‘देखी-सुनी’ पिछले 25 वर्षों से भी अधिक समय से लगातार आ रहा है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह कॉलम वर्ष 1984 से लगातार आ रहा है और यह 26वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। पचौरी को साहित्य जगत में योगदान के लिए कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

*पूजा अग्रवाल* ने *कन्नड़ भाषा के कवि व लेखक कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा जन्म तिथि* पर अपने उद्बोधन में बताया कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा (जन्म- 29 दिसम्बर, 1904, शिवमोगा, कर्नाटक; मृत्यु- 11 नवम्बर, 1994, मैसूर) कन्नड़ भाषा के कवि व लेखक थे। उन्हें 20वीं शताब्दी के महानतम कन्नड़ कवि की उपाधि दी जाती है। कन्नड़ भाषा में ज्ञानपीठ सम्मान पाने वाले सात व्यक्तियों में कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा प्रथम थे। कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा ने अपने सभी साहित्यिक कार्य उपनाम ‘कुवेम्पु’ से किये हैं। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन 1958 में कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को ‘पद्म भूषण’ से भी सम्मानित किया गया था।कर्म-क्षेत्र कन्नड़ लेखक व कवि मुख्य रचनाएँ ‘श्रीरामायण दर्शनम्’, ‘अमलन कथे’, ‘पांचजन्य’, ‘अनिकेतन’, ‘शूद्र तपस्वी’, ‘वाल्मीकीय भाग्य’, ‘तपोनंदन’ आदि। उन्हे जो पुरस्कार-उपाधि प्राप्त हुई वे पद्म भूषण (1958), पद्म विभूषण (1989), साहित्य अकादमी पुरस्कार (1955), ज्ञानपीठ पुरस्कार (1968) आदि।कुप्पाली वेंकटप्पा पुटप्पा को 1956 में मैसूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में चुना गया था, जहां उन्होंने 1960 में सेवानिवृत्ति तक अपनी सेवाएँ दीं।

*कृष्णा अग्रवाल भुवनेश्वर ओडिसा* ने *प्रसिद्ध भारतीय फ़िल्म निर्देशक तथा ख्यातिप्राप्त धारावाहिक ‘रामायण‘ के निर्माता रामानन्द सागर जन्म तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया रामानन्द सागर (29 दिसम्बर 1927 – 12 दिसम्बर 2005) हिन्दी फ़िल्मों के एक निर्देशक थे। दूरदर्शन पर रामायण (टीवी धारावाहिक) और कृष्णा (टीवी धारावाहिक) नामक अति लोकप्रिय धारावाहिक के कारण वे बहुत प्रसिद्ध हुए।कुछ दशक पहले पौराणिक शो की बात करो तो जुबान पर एक ही नाम आता था और वह था ‘रामानंद सागर उन्होंने जिस खूबसूरती से ‘पौराणिक’ कहानियां दर्शकों के सामने पेश की थी वह शायद ही कोई कर पाता।दूरदर्शन के लिए ‘रामायण’ जैसा ऐतिहासिक सीरियल बनाने वाले रामानंद सागर का आज जन्मदिन है। रामानंद सागर भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन हिंदी फिल्म और टीवी जगत में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा. 29 दिसंबर 1917 को जन्मे रामानंद सागर का असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था। कहा जाता हैं कि 90 के दशक में जब टीवी पर ‘रामायण’ का प्रसारण हुआ करता था तब बिना लॉकडाउन सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहता था।लगभग 30 साल बाद कोरोना महामारी के समय टीवी के छोटे पर्दे पर लौटे इस रामायण ने लॉकडाउन के दौरान लोगों में पॉजिटिविटी बनाए रखी. लोगों ने भी इस शो को खूब पसंद किया।जिसका नतीजा यह रहा कि इस बार शो ने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बना लिया. यह कहना भी गलत नहीं होगा कि लॉकडाउन के चलते रामायण ने लोगों के लिए ‘संजीवनी बूटी’ का काम किया जो स्वयं भगवान हनुमान भगवान लक्ष्मण के लिए लेकर आए थे।

*प्रतिमा गुप्ता भाटापारा* ने *भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष, उच्च न्यायालय के प्रमुख वकील डब्लू सी बनर्जी जन्म तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया उमेश चन्द्र बनर्जी (29 दिसम्बर 1844 – 21 जुलाई 1906) भारतीय बैरिस्टर एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष थे। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स के लिये चुनाव लड़ने वाले वे प्रथम भारतीय थे (किन्तु वे जीत नहीं पाये)। ब्रितानी संसद में प्रवेश पाने की उन्होने दो कोशिशें की किन्तु असफल रहे।

*निशा गोयल पत्थलगांव* ने *नेपाल के राजा और दक्षिण एशियाई नेता वीरेन्द्र वीर विक्रम शाह जन्म जयंती* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया वीरेन्द्र वीर विक्रम शाह देव(वि.सं. १५ पौष २००१ – १९ ज्येष्ठ २०५८) नेपालक दशम शाहवंशीय राजा आ दक्षिण एसियाली राजनेता छल । राजा महेन्द्रक ज्येष्ठ पुत्र, जे १९७२ सँ २००१ धरि नेपाली शाही हत्याकाण्डमे अपन मृत्युधरि राज्य करैमे सफल रहल छल ।तीन जना सन्तान युवराज दिपेन्द्र शाह, अधिराजकुमारी श्रुती शाह तथा अधिराजकुमार निराजन शाहक रूपमे जन्मल छल । वीरेन्द्रक दुई भाइ छल धिरेन्द्र शाह आर ज्ञानेन्द्र शाह। धिरेन्द्रक राजदरबार हत्याकाण्डमे मृत्यु भेल छल । राजा बीरेन्द्रके समयमे २०३७ सालमे जनमत संग्रह आर जनआन्दोलन २०४६ सँ नेपालमे प्रजातन्त्रक पुनर्वहाली भेल छल । पहिल बेरी बि.सं. २०३६ सालमे पञ्चायत वा बहुदल के रोजने कहिक जनताक व्यवस्था रोजैल जनमत संग्रहक घोषणा कएल गेल छल। नेपालक शान्ति क्षेत्र बनावे के प्रस्ताव विश्व सामु राखी शान्तिवादी राजाक छवी बनावे के बाद उनकर मृत्यु भेल।

*रेखा गर्ग* ने *राष्ट्रीय विचारधारा के समर्थक और यूनानी पद्धति के प्रसिद्ध चिकित्सक हकीम अजमल ख़ाँ पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया हकीम अजमल ख़ान या अजमल ख़ान एक यूनानी चिकित्सक और भारतीय मुस्लिम राष्ट्रवादी राजनेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में दिल्ली में तिब्बिया कॉलेज की स्थापना करके भारत में यूनानी चिकित्सा का पुनरुत्थान करने के लिए जाना जाता है और साथ ही एक रसायनज्ञ डॉ॰ सलीमुज्ज़मन सिद्दीकी को सामने लाने का श्रेय भी उन्हीं को जाता है जिनके यूनानी चिकित्सा में उपयोग होने वाले महत्वपूर्ण चिकित्सीय पौधों पर किये गए आगामी शोधों ने इसे एक नई दिशा प्रदान की थी।वे गाँधी जी के निकट सहयोगी थे। उन्होने असहयोग आन्दोलन (सत्याग्रह) में भाग लिया था, खिलाफत आन्दोलन का नेतृत्व किया था, साथ ही वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी निर्वाचित हुये थे, तथा 1921 में अहमदाबाद में आयोजित कांग्रेस के सत्र की अध्यक्षता भी की थी।

*राजकुमारी गुप्ता* ने *प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, संगीतज्ञ एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायक ओंकारनाथ ठाकुर पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया ओंकारनाथ ठाकुर (1897–1967) भारत के शिक्षाशास्त्री, संगीतज्ञ एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार थे। उनका सम्बन्ध ग्वालियर घराने से था।उन्होने वाराणसी में महामना पं॰ मदनमोहन मालवीय के आग्रह पर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में संगीत के आचार्य पद की गरिमा में वृद्धि की। वे तत्कालीन संगीत परिदृष्य के सबसे आकर्षक व्यक्तित्व थे। पचास और साठ के दशक में पण्डितजी की महफ़िलों का जलवा पूरे देश के मंचों पर छाया रहा। पं॰ ओंकारनाथ ठाकुर की गायकी में रंजकता का समावेश तो था ही, वे शास्त्र के अलावा भी अपनी गायकी में ऐसे रंग उड़ेलते थे कि एक सामान्य श्रोता भी उनकी कलाकारी का मुरीद हो जाता। उनका गाया वंदेमातरम या ‘मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो’ सुनने पर एक रूहानी अनुभूति होती है।

*वंदना अग्रवाल* ने *विश्व के पहले परमाणु बम बनाने वाले अमेरिकी वैज्ञानिक रेगर सक्रेबर और सम्पर्क के विशेषज्ञ लक्ष्मण सिंह शेखावत पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया हिन्दुस्तान जिंक के श्री लक्ष्मण सिंह शेखावत को राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार प्राप्त हुआ। वेदान्ता समूह की जस्ता-सीसा एवं चांदी उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य प्रचालन अधिकारी लक्ष्मण सिंह शेखावत को खनन तकनोलॉजी क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों तथा राष्ट्र के विकास में योगदान के लिए वर्ष 2016 का राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार दिया गया। यह प्रतिष्ठत पुरस्कार माननीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन, दिल्ली में भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा आयोजित भव्य समारोह में श्री शेखावत को प्रदान किया।वेदान्ता समूह की जस्ता-सीसा एवं चांदी उत्पादक कंपनी हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य प्रचालन अधिकारी लक्ष्मण सिंह शेखावत को खनन तकनोलॉजी क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों तथा राष्ट्र के विकास में योगदान के लिए वर्ष 2016 का राष्ट्रीय भू-विज्ञान पुरस्कार दिया गया। यह प्रतिष्ठत पुरस्कार माननीय राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन, दिल्ली में भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा आयोजित भव्य समारोह में श्री शेखावत को प्रदान किया। इस अवसर पर माननीय केन्द्रीय कोयला, नवीकरणीय ऊर्जा एवं खान मंत्री श्री पियुष गोयल एवं खान मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी एवं अतिथिगण उपस्थित रहे।

*राखी गोयल* ने *हिन्दू संत और पेजावर मठ के प्रमुख स्वामी विश्वेशतीर्थ की पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया पेजावर मठ के प्रमुख विश्वेश तीर्थ स्वामी का रविवार को निधन हो गया है. उनकी हालत पिछले कई दिनों से गंभीर बनी हुई थी. हालात बिगड़ने के बाद उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर भी रखा गया था. रविवार को ही उन्हें केएमसी अस्पताल से मठ ले जाया गया था और मठ में उनका इलाज जारी रहने की बात कही गई थी।

*पुष्पा अग्रवाल* ने *प्रसिद्ध चित्रकार मंजीत बावा पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया मनजीत बावा (२८ जुलाई १९४० – २९ दिसम्बर २००८) का जन्म भारत में, पंजाब के एक गांव ढुरी में हुआ। दिल्ली के कालेज ऑफ आर्ट्स और लंदन स्कूल ऑफ प्रिंटिंग से शिक्षा प्राप्त बावा पहले ऐसे कलाकार थे, जिन्होंने पाश्चात्य कला में बहुलता रखने वाले धूसर और भूरे रंग के वर्चस्व को तोड़कर चटक भारतीय रंगों (बैंगनी और लाल) को प्रमुखता दी। बांसुरी और गायों के प्रति बावा का आकर्षण बचपन से ही था, जो आजीवन साथ रहा। देशज रंगों और रूपाकारों के कुशल चितेरे बावा की कृतियों में ये आकर्षण विद्यमान है। लाल रंग उन्हें बेहद प्रिय था। वे नीले आकाश को भी लाल रंग से उकेरना चाहते थे। विलक्षण रंग प्रयोग की विशेषता के बावजूद सीमित रंगों का प्रयोग और व्यापक रंगानुभव, सूफीयना तबीयत के कलाकार बावा के कला संसार की पहचान है।कला समीक्षक उमा नायर के अनुसार बावा, कला में नव आंदोलन का हिस्सा थे। रंगों की उनकी समझ अद्भुत थी। उन्होंने भारतीय समकालीन कला को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ख्याति दिलाने का जो काम किया है, उसे कला जगत में हमेशा याद किया जाएगा।

*सुलोचना धनावत* ने *भारतीय वैज्ञानिक शिवराज रामशरण पुण्य तिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया शिवराज रामशरण (जन्म- 10 अक्टूबर, 1923, मद्रास; मृत्यु- 29 दिसंबर, 2003, बेंगलुरु) भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्हें किस्टलोग्राफी के क्षेत्र में उनके काम के लिए जाना जाता था। उन्होंने 1954 से 1955 तक ब्रूकलिन न्यूयॉर्क के पॉलिटेक्निक संस्थान में काम किया।

अंबिकापुर की अध्यक्षा *प्रेमलता गोयल* ने अपने उद्बोधन में एक प्रेरक कथा सुनाई कश्मीर के मंत्री का सचिव कुछ भी टाइप कर के लाता तो अपने पेन से सुधार करते थे सचिव पुनः टाइप कर उनके समक्ष सिग्नेचर के लिए रख देता है। एक दिन सचिव ने कहा आप जो भी करेक्शन रहता है डिक्टेशन के समय क्यों करेक्ट नही करते। टाइप फाइनल स्क्रिप्ट में लिख करेक्शन करते है ।तब सर ने बताया ऐसा इसलिए कार्य हू कि कोई ओपचारिक न समझ इसे आत्मीय समझते है पढ़ने वाले के दिल पर असर करती है।।ये बात की गहराई सचिव को समझ आती है वो दंग रह जाता है। उसकी श्रद्धा बढ़ जाती है।ऐसे ही हम भी आत्मीयता से रहना चाहिए।

*बिलासपुर इकाई की अध्यक्षा शीतल लाठ* ने सभी अतिथियों को स्मृति चिह्न भेट कर सम्मानित किया

*उमा बंसल महासचिव* ने आज के मुख्य समाचार और इतिहास की मुख्य घटना पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया
1845 – टेक्सास अमेरिका का 28वां राज्य बना।
1857 – क्रांतिकारियों का धोलाना मे अमर बलिदान हुआ।
1860 – पहले ब्रिटिश समुद्री लोहा पहने युद्धपोत, एचएमएस योद्धा शुरू की है।
1908 -लन्दन में गुरू गोविन्द सिंह जी जन्म दिन का भव्य आयोजन हुआ।
1911 – सुन यात सेन को नए चीन गणतंत्र का राष्ट्रपति घोषित किया गया।
1911 – मंगोलिया किंग वंश के शासन से आजाद हुआ।
1972 – कलकत्ता मे मेट्रो रेल का काम शुरू हुआ।
1975 – ब्रिटेन में महिलाओं और पुरुषों के समान अधिकारों से जुड़ा क़ानून लागू।
1977 – विश्व का सबसे बड़ा ओपन एयर थियेटर ‘ड्राइव’ बंबई (अब मुम्बई) में खुला।
1985 – श्रीलंका ने 43,000 भारतीयों को नागरिकता प्रदान की।
1988 – ऑस्ट्रेलिया में विक्टोरियाई पोस्ट ऑफिस संग्रहालय बंद हुआ।
2004 – सुनामी लहरों के कारण इंडोनेशिया में मरने वालों की संख्या 60,000 पहुँची।
*उन्होंने सभी सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर विश्व कल्याण की भावना से शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया गया।*

प्रतिमा गुप्ता, कृष्णा अग्रवाल भुवनेश्वर ओरिसा, पुष्पा अग्रवाल, पूजा अग्रवाल, उषा कलानौरिया, सिया अग्रवाल, उमा बंसल, सुलोचना धनावत, प्रेमलता गोयल, नंदिनी चौधरी, निशा गोयल, रेखा गर्ग, शीतल लाठ, राजकुमारी गुप्ता, सुशीला अग्रवाल, विजया डालमिया, ने भजन प्रस्तुति से भक्तिमय वातावरण बना सभी सदस्यों को झूमने गाने के लिए प्रेरित किया। अपनी अपनी अभिव्यक्ति और भजन प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।