*कभी लमान मार्ग हुआ करते आज के नेशनल हाईवे _बंजारो की खोज है @ पार्बती अग्रवाल*
अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत साढ़े चौदह माह से प्रतिदिन आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की श्रंखला में 8 अप्रैल 2022 शुक्रवार को *विश्व बंजारा दिवस,निशा पूजा, कुमार गंधर्व, भारतीय शास्त्रीय गायक, कोफी अन्नान, संयुक्त राष्ट्र के ७वें महासचिव, दिनेश कुमार शुक्ल, हिंदी कवि, अल्लु अर्जुन, तेलुगु चलचित्र अभिनेता जन्म तिथि* और *मंगल पांडेय, प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला सेनानी, बंकिम चंद्र चटोपाध्याय, बाँग्ला साहित्यकार, हेनरी फोर्ड, अमेरिकी उद्योगपति, शरण रानी, हिंदुस्तानी संगीतज्ञ और सरोद वादिक, मारग्रेट थेचर, ब्रिटेन की प्रधानमंत्री, जयकांतन, भारतीय पत्रकार तथा मशहूर लेखक पुण्य तिथि* गुरु अनंग देव पुण्यतिथि, राम राज्योत्सव, निषाद राज जयंती, यमुना षष्ठी, पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।
कार्यक्रम का श्रीगणेश डॉ अनीता अग्रवाल ने अपने निवास स्थान पर मां दुर्गा के दरबार में पुष्प श्रीफल चढ़ा माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया।
*नंदनी * ने गणेश वंदना प्रस्तुत की *तारा बेरी वाल* ने पितरों का भजन, *मधु मित्तल* ने गुरु वंदना प्रस्तुत की।
मुख्य अतिथि *नंदिनी चौधरी* सिंगापुर ने *मंगल पाण्डेय पुण्यतिथि* पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया मंगल पाण्डेय एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1857 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वो ईस्ट इंडिया कंपनी की 34वीं बंगाल इंफेन्ट्री के सिपाही थे। तत्कालीन अंग्रेजी शासन ने उन्हें बागी करार दिया जबकि आम हिंदुस्तानी उन्हें आजादी की लड़ाई के नायक के रूप में सम्मान देता है।
विशिष्ट अतिथि *कमलेश बोंदिया* सिमगेड झारखंड ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया *बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय* बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत का राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रवीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है।
विशिष्ट अतिथि *पार्बती अग्रवाल* लाऊ मुंडा उड़ीसा ने विश्व बंजारा दिवस पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया भारत सहित विदेशों में भी बंजारा समाज निवास करता है । यह समुदाय विश्व में अनेक नामों से जाना जाता है जैसे यूरोप में रोमा बंजारा, जिप्सी बंजारा ,वहीं भारत में गोर बंजारा, बामणिया बंजारा, लदनिया बंजारा, जैसे कई नामों से जाना जाता है। संपूर्ण भारत में बंजारा समाज 6 करोड़ से अधिक है । यह एक व्यापारिक कौम थी जिन्होंने मुग़ल एवं अग्रेंजो के शासनकाल मैं जीवन यापन की सामग्री एवं रसद पहुंचाने का कार्य किया करते थे ।बंजारा समाज जहां से भी गुजरा वहां पर पीने की पानी की व्यवस्था अवश्य करता था। और आज जो नेशनल हाईवे कहलाते हैं वह कभी लमान मार्ग हुआ करते थे , जिसकी खोज बंजारा समाज ने की थी। ईस समाज ने पूरे देश को दिशा दिखाते हुए रसद के माध्यम से मानव जाति की सेवा करने का कार्य किया । विश्व बंजारा दिवस की शुरुआत हमारे पूर्वजों ने जिस तरीके से जगह -जगह कुआ, बावड़ी , तालाब आदि बनाकर जल की जो संरचना बनाई थी उन्ही रचनाओं से मानव पशु-पक्षी आदि अपनी प्यास बुझाते हैं। उस परंपरा को बनाए रखने और जल के महत्व को समझने के लिए *विश्व बंजारा दिवस* की शुरुआत की गई थी ।समाज के संत श्री सेवालाल महाराज ने 175 वर्ष पूर्व यह भविष्यवाणी की थी, एक रुपए में एक कटोरी पानी मिलेगा । आज उस संत की बात सार्थक हो रही है । यह दिवस *जल बचाने का संदेश* देता है और भविष्य के लिए जल की उपयोगिता के महत्व को दर्शाता है। यह समुदाय जब से अंग्रेजों के शासन काल में इन्होंने जिस तरह से प्रताड़ित किया और क्रिमिनल एक्ट लागू कर अपराधीक जातियों की सूची में डालकर प्रताड़ना की गई । रसद पहुंचाने का जो कार्य था वह नई टेक्नोलॉजी के कारण रेल मार्ग, वाहनों आदि के कारण इनकी आर्थिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास किया । जिसके कारण इस समुदाय ने अपने पशुओं की रक्षा और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित इस समाज ने जंगलों की तरफ रुख किया और वहीं पर अपना डेरा गांव व शहरों से दूर अपना आशियाना बना लिया ,और इसी कारण इन्होंने अपने धर्म को भी बचाया और अपनी सभ्यता और संस्कृति को भी जीवित रखा रखा है । परंतु जहां देश आज 21वीं सदी की ओर अग्रसर है और देश नई नई टेक्नोलॉजी से सुशोभित हो रहा है वहीं यह समाज आज भी जंगलों के अंदर रहकर अपने जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रहा है ।आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां न जाने के रास्ते हैं और न पीने के पानी की व्यवस्था है । बिजली धीरे धीरे इनके तांडों तक पहुंच रही है । शिक्षा का स्तर धीरे धीरे बढ़ रहा है परंतु पांचवी और आठवीं से आगे शिक्षा पहुंच नहीं पा रही है,कारण परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह अपने बच्चों को आगे तक पढ़ा सकें । गांवो से जो परिवार शहरों की ओर पलायन कर गये थे ,उनकीं स्थिति में अवश्य सुधार हुआ है । गाँवों में पिछड़ेपन का महत्वपूर्ण कारण है , इस समाज को शासन द्वारा विभिन्न केटेगरी में सम्मिलित किया जाना। क्योंकि यह समाज एक वनवासी समाज की तरह जंगलों में निवास करता है और शासन द्वारा इन्हें अलग अलग कैटेगरी में अनेक प्रदेशों में रखा गया है जैसे आन्ध्रप्रदेश ,तेलंगाना में आदिवासी कर्नाटक, दिल्ली, पंजाब हरियाणा में अनुसूचित जाति महाराष्ट्र मैं विमुक्त घुमक्कड़ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात और अनेक हिंदी भाषी राज्यों में इन्हें पिछड़ा वर्ग और विमुक्त घुमक्कड़ दोनों केटेगरी में सम्मिलित कर रखा है। विडंबना यह है इस समाज की जहां बाहुल्यता है ऐसे राज्य जैसे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान जहां पर इस समुदाय की जनसंख्या एक करोड़ के लगभग है।अशिक्षित समुदाय होने के कारण व राजनीतिक दलों की मोटी चमड़ी होने से इस समुदाय के साथ इनका शोषण किया है ।
*सुलोचना धनावत* प्रचार प्रसार प्रभारी ने शुक्रवार महा सप्तमी को आध्यात्मिक बनाने के लिए सामूहिक कीर्तन सत्संग कल के कार्यक्रम का आयोजन किया।
विशिष्ट अतिथि *पूजा अग्रवाल* बैंगलोर ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया आज नवरात्रि का सातवां दिन है और इस दिन दुर्गा माता के सातवें स्वरूप *मां कालरात्रि* की पूजा की जाती है. मां के इस रूप को बहुत भयंकर माना जाता है. इनका रंग काला है और ये तीन नेत्रधारी हैं. मां कालरात्रि के गले में विद्युत् की अद्भुत माला है।
कार्यक्रम के बाद *कार्यकारिणी बैठक* का आयोजन किया गया जिसमे कई निर्णय आगामी कार्य की रूप रेखा को लेकर किए गए। कार्यकारिणी में कई नए सदस्यो को कार्यभार सौपा गया।
कार्यक्रम में शामिल सभी सदस्य भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, पार्बती अग्रवाल, सबिता अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, पुष्पा अग्रवाल, मंजू गोयल, शीतल लाठ, सिया अग्रवाल, कीर्ति अग्रवाल, उमा बंसल, उषा कलानोरिया, नंदिनी चौधरी, ने अपनी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
