*महिलाओं को दो कूल तारना रहता है अतः मर्यादा में रहना अति अनिवार्य ये रामायण में सीता मां से सीखना चाहिए @ विजया डालमिया हैदराबाद*
*संभागीय अग्रवाल महासभा में कोषाध्यक्ष पद पर मनोनित होने पर डॉ अनीता हुई सम्मानित*
*राष्ट्रीय सचिव और महिला अध्यक्ष बनने पर उमा हुई सम्मानित*
अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत सवा माह से प्रतिदिन आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की श्रृंखला में 13/5/2022 शुक्रवार को दोपहर तीन बजे से गूगल मीट पर *सतसंग* आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।
कार्यक्रम का श्री गणेश डॉ अनीता अग्रवाल ने अपने निवास स्थान पर भगवान गणेश के छाया चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर पूजा अर्चना आराधना से किया।
सर्व प्रथम *राष्ट्र गान* की प्रस्तुति की गई।
उन्होंने अपने आतिथ्य उद्बोधन में सभी अतिथियों और सदस्यों का स्वागत वंदन अभिनंदन किया।
उन्होंने *श्री रवि शंकर* आध्यात्मिक गुरु के अवतरण दिवस पर अपनी अभिव्यक्ति में बताया रवि शंकर सामान्यतः श्री श्री रवि शंकर के रूप में जाने जाते हैं, (जन्म: १३ मई १९५६) विश्व स्तर पर एक आध्यात्मिक नेता एवं मानवतावादी धर्मगुरु हैं। उनके भक्त उन्हें आदर से प्राय: “श्री श्री” के नाम से पुकारते हैं। वे आर्ट ऑफ लिविंग फाउण्डेशन के संस्थापक हैं।
*उषा कलानोरिया* अध्यक्ष बारदवार इकाई, कार्यक्रम संयोजिका संचालिका ने गणेश वंदना *पुष्पा अग्रवाल*, पितरों जी की स्तुति *उषा अग्रवाल*, गुरु वंदना *कुसुम अग्रवाल*, सतसंग भजन *डिंपल अग्रवाल* ने प्रस्तुत किया।
*सुलोचना धनावत* ने सतसंग कार्यक्रम में सतसंग, कीर्तन, अभिव्यक्ति प्रस्तुति का आयोजन किया।उन्होंने अपने सत्सगी विचार में बताया यह शरीर ईश्वर द्वारा निर्मित एक ढाँचा मात्र है जो स्वांसों की डोर से बँधा है ,यह डोरी टुट जाये इसके पहले ज्ञान एवं भक्ति की ज्योती अंदर में धारण हो ईश्वर की सत्ता में समाहित हो जाये तो आनंद की बात है। प्रेम के दिव्य रस में डूबा हुआ व्यक्ति सर्वत्र प्रेम रस की धारा देखता है। उसे कहीं दूसरी वस्तु दिखती ही नहीं। उसके कान में जो कुछ भी ध्वनि आती है, वह केवल प्रेममय प्रेमसंगीत का स्वर ही होता है ।
ऐसा व्यक्ति देह-अभिमान से दुर सृष्टिकर्ता को अपना सर्वस्व समझता है।अपने आपको ईश्वर को पुर्ण समर्पण कर देना ही प्रेम है ,उसी में मिल जाना सही दिशा है।
*निमिषा गोयल* पत्थलगांव ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया निमिशा गोयल= मंथरा पहले एक सुंदर महिला थी जो रानी कैकेयी के देश कैकय में रहती थी। सुंदर होने के साथ-साथ मंथरा को एक बीमारी थी जिसके फलस्वरूप उसे प्यास बहुत ज्यादा लगती थी व पसीना भी बहुत मात्रा में आता था। एक दिन मंथरा ने प्यास लगने पर कुछ शरबत जैसा ऐसा पेय पदार्थ पी लिया जिससे वह मरणासन्न की स्थिति में जा पहुंची। कई दिनों तक उसका उपचार चला व अंत में वह बच गयी किंतु उसके शरीर के कई अंग खराब हो चुके थे। उस पेय पदार्थ के कारण मंथरा की रीढ़ की हड्डी, दोनों कंधे व गर्दन झुक गए थे जिसके बाद उसे कूबड़ मंथरा भी कहा जाने लगा
मंथरा एक गन्धर्व कन्या थी इसलिये रानी कैकेयी का वह बहुत ध्यान रखती थी। कैकेयी के पालन-पोषण में मंथरा का भी बहुत बड़ा योगदान था। जब अयोध्या के राजा दशरथ ने रानी कैकेयी से विवाह रचाया तो वह मंथरा को भी अपने साथ अयोध्या ले आई।
राज दरबार में रानी कैकेयी का सबसे ज्यादा प्रभाव होने के कारण उनकी दासी का भी अन्य सभी दसियों में सबसे ज्यादा प्रभाव था। रानी कौशल्या व सुभद्रा की मुख्य दासियों व अयोध्या के अन्य सभी लोगों में मंथरा का सबसे ज्यादा प्रभाव था। इसी अभिमान में वह सब पर अपना प्रभाव जमाती थी।
राम के राजा बनते ही कैकेयी का प्रभाव कम हो जाता व कौशल्या की दासियों का का प्रभाव बढ़ जाता। इसके फलस्वरूप मंथरा का प्रभाव भी शुन्य हो जाता जो उसे कदापि स्वीकार्य नही था। वह मन ही मन कुटिल योजना बनाने लगी। चूँकि उसे कैकेयी की हर बात पता थी इसलिये उसे महाराज दशरथ के कैकेयी को दिए वह दो वचन याद आ गए व इसी को उसने अपना आधार बनाया!
मंथरा ने उसे भविष्य में उसका प्रभाव कम हो जाने की आशंका व्यक्त की। साथ ही उसे इस समस्या से निकलने की युक्ति भी सुझाई। मंथरा के अनुसार यदि वह राजा दशरथ से मिले दो वर आज मांग ले तो यह समस्या समाप्त हो सकती थी। वह दो वर थे राम को 14 वर्ष का वनवास व भरत को अयोध्या का राजा नियुक्त करना।
रानी कैकेयी को मंथरा की यह युक्ति पसंद आई व उन्होंने ऐसा ही किया। मंथरा के कहे अनुसार रानी कैकेयी ने योजना अनुसार राजा दशरथ से दोनों वचन मांगे।
जब भरत व शत्रुघ्न अयोध्या वापस आयें तब उन्हें अपने पिता की मृत्यु, भगवान राम के वनवास व स्वयं के राज्याभिषेक के बारें में पता चला। इस षड़यंत्र के पीछे कैकेयी व मंथरा का हाथ होने पर दोनों अत्यंत क्रोधित हो गए। भरत ने अपनी माँ कैकेयी का परित्याग कर दिया व अयोध्या का राज सिंहासन ठुकरा दिया। शत्रुघ्न भरी सभा में मंथरा को बालों के बल घसीट कर लेकर आयें व उसको प्राणदंड देने की बात करने लगे।
रानी कैकेयी के द्वारा मंथरा का त्याग करने व भरत के द्वारा उन्हें इतना कठोर दंड देने के बाद मंथरा पश्चाताप की अग्नि में जलने लगी। उसे अब अपने किये पर ग्लानि अनुभव हुई व वह 14 वर्षों तक एक अँधेरी काल कोठरी में अपने दिन व्यतीर करती रही। उनकी अपेक्षा थी कि 14 वर्षों के बाद जब भगवान श्रीराम आयेंगे तो उन्हें इससे भी अधिक कठोर दंड मिलेगा।
जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात वापस अयोध्या लौटे तो वे स्वयं मंथरा से मिलने कारावास गए। श्रीराम को अपने सामने देखकर मंथरा उनके चरणों में गिर पड़ी व उनसे अपने कर्मों के लिए क्षमायाचना की। भगवान श्रीराम ने द्रवित होकर उसी समय उन्हें क्षमा कर दिया व कारावास से मुक्ति दिलाई।
*कुसुम अग्रवाल* *शीतल लाठ* *विजया डालमिया* *डिंपल अग्रवाल* ने अपनी अभिव्यक्ति में रामायण के पत्रों के बारे में बताया।
*सभी सदस्यो* ने संभागीय अग्रवाल महासभा में *डॉक्टर अनीता अग्रवाल* को संभागीय कोषाध्यक्ष बनने पर और *उमा बंसल* को अंतर्राष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन में राष्ट्रीय सचिव, संभागीय अग्रवाल महासभा में महिला अध्यक्ष बनने पर शुभ कामनाएं बधाई प्रेषित की।
*डिंपल अग्रवाल* ने सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया।
*भगवती अग्रवाल* ने स्वागत गीत द्वारा स्वागत किया।
*शीतल लाठ* ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया।
*मंजू गोयल* ने सभी अतिथियों और सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
*पुष्पा अग्रवाल* ने शांति पाठ द्वारा कार्यक्रम समापन की घोषणा की।
कार्यक्रम में भगवती अग्रवाल, राजकुमारी गुप्ता, शीतल लाठ, डिंपल अग्रवाल, पार्बती अग्रवाल, सबिता अग्रवाल, अंशु अग्रवाल, कीर्ति अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, रजनी जिंदल, विजया डालमिया, तारा बेरीवाल, पुष्पा अग्रवाल, उषा अग्रवाल, उमा अग्रवाल, वंदना अग्रवाल, उमा बंसल, सुलोचना धनावत, निमिषा गोयल, सुलोचना अग्रवाल ने अपनी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
