छत्तीसगढ़ में करोड़ों का कौशल विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा पर काम नहीं युवाओं के पास जिम्मेदार कौन? – कोमल हुपेंडी, प्रदेश अध्यक्ष,आप।

छत्तीसगढ़ में करोड़ों का कौशल विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा पर काम नहीं युवाओं के पास जिम्मेदार कौन? – कोमल हुपेंडी, प्रदेश अध्यक्ष,आप।

मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना में हैं 706 कोर्स, इनके प्रशिक्षण के लिए हर साल फूंक रहे हैं 84 करोड़ फिर भी सभी उद्योग क्षेत्रों में कारीगर दूसरे प्रदेश से क्यों? – आप

रायपुर, प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने सरकार को आड़े हाथ लेते हुए सवाल किया है कि कौशल विकास योजना के कार्यक्रम उद्योगों के आधार पर चलाए गए होते तो आज प्रदेश के युवा सिर्फ सर्टिफिकेट लेकर नही घूम रहे होते ।

प्रदेश के अलग-अलग उद्योग में कुशल श्रमिकों में छत्तीसगढ़ और बाहरी राज्यों के श्रमिक कार्यरत हैं। स्टील सेक्टर में कुछ ऐसे काम है जिनके लिए स्थानीय स्तर पर कुशल श्रमिकों की कमी हमेशा बनी रहती हैं। शासन-प्रशासन स्तर पर एक ऐसी नोडल एजेंसी होनी चाहिए, जिसमें हमें अपने उद्योग की जरूरतों के हिसाब से कुशल और अकुशल श्रमिकों की उपलब्धता हो जाए। इससे राज्य के मूल निवासियों को फायदा पहुंचेगा।कांग्रेस सरकार ने भी सरकार बनाने के बाद सिर्फ वादा कर छलावा किया। भाजपा ने 15वर्षो तक युवाओं के लिए कौशल विकास के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति की और अब कांग्रेस भाजपा से और एक कदम आगे निकल गई। आंकड़ों के खेल में गांव से लेकर शहरों तक बेरोजगार है ही नही लेकिन वस्तुस्थिति अनुसार हमारे प्रदेश में भोले भाले पढे लिखे बेरोजगार युवकों की गिनती ही नही है ज्यादातर लोग अपना पुराना थोड़ा बहुत काम देख रहे है या खाली है।

कौशल विकास योजना में प्रदेश में बेरोजगारों के लिए चलाई जा रहीं विभिन्न योजनाओं का जमीन पर बेहतर असर नहीं दिख रहा है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना से युवाओं को नौकरी और स्वरोजगार उस तादात में नही मिल रहा है जैसे राज्य बनाने के 22साल बाद मिलना चाहिए था। प्रशिक्षण करके निकल रहे युवा उतनी संख्या में नियोजित नहीं हो पा रहे हैं, जितनी की जरूरत है। युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए राज्य सरकार मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के नाम पर 84 करोड़ रुपये हर साल फूंक रही है। रोजगार की योजनाओं में सरकार अपना पूरा बजट भी खर्च नहीं कर पा रही है और कितने को रोजगार मिल रहा है, अभी जानकारी नहीं दे पा रही है।

सरकारी नौकरियों के मिले अवसर राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्ष मे सरकारी और निजी क्षेत्र में करीब पाच लाख लोगों को रोजगार देने का दावा किया है। वर्तमान में राज्य में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या करीब 18 लाख है। दिसंबर 2021 तक राज्य लोकसेवा आयोग से 2,885 और व्यापम से 4,530 नौकरिया, 14 हजार 580 शिक्षको की भर्तियां, बिजली कंपनी में तीन हजार, स्वास्थ्य विभाग में चार हजार, पुलिस में करीब आठ हजार, राजस्व विभाग में 392 और वन विभाग में 3,861 [नौकरियां शामिल है। इसी तरह महिला एवं बाल विकास विभाग में आठ सौ नौकरियां दी गई है।बाकी लाखो खाली है।

रोजगार एवं कौशल विकास के नाम पर क्षेत्र में उद्योग आधारित कौशल विकास को प्राथमिकता देना चाहिए था। आज भी अगर हम प्रदेश में रोलिंग मिल और राइस मिल के आंकड़े देखे तो वहां काम करने वाले कौशल कर्मचारी दूसरे प्रदेशों से आकर काम कर रहे है जो कम से कम 22साल बाद तो नही ही होना चाहिए था। हमारे प्रदेश का युवा उन विधाओं में पारंगत बैठा है जिनके आधारित उद्योग ही प्रदेश में नही है।

कांग्रेस सत्ता में आई तब थे 24 लाख पंजीकृत बेरोजगार लेकिन कौशल विकास से मिला काम का अनुपात में संख्या बहुत कम है। सरकारी आकड़े के अनुसार दिसंबर 2018 में कांग्रेस जब सत्ता में आई तब मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजनाओं की सही तरीके से मानिटरिंग करने की जरूरत थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अब तक चार लाख 65 हजार 565 युवाओं के प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र दिया गया है, लेकिन इनमें से आधे युवा ही रोजगार या स्वरोजगार कर पा रहे हैं। प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या लगभग 24 लाख थी। अब घटकर 18 लाख के करीब रह गई है।

कौशल विकास योजना चलाई तो जा रही है जिसमे 705 प्रकार के कोर्स है जो बिल्कुल भी व्यवहारिक नही है । 705 प्रकार के कौशल प्रशिक्षण पा कर खाली बैठना कहा तक तर्क संगत है। हर साल बजट फूकने का कार्य बदस्तूर जारी है और कोई कार्य व्यवहारिक तौर पर नही किया या चलाया जा रहा है। इस विषय पर संज्ञान लेना अधिकारियों और सरकार का ही कार्य है।

जनता को सड़क पर आकर सरकार को जगाना होगा और आम आदमी पार्टी गरीब जनता के अधिकार के लिए प्रदेश के युवाओं को जगरूक करेगी और आने वाले दिनों में मूलभूत परिवर्तन लाने का प्रयास करेगी। बदलबाे छत्तीसगढ़।