श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबंधन पर वृक्षाबंधन कर पर्यावरण संरक्षण की ली शपथ
शुक्रवार को सतसंग दिवस के उपलक्ष में बालकांड
अंतराष्ट्रीय अग्रवाल सम्मेलन महिला इकाई छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा विगत सत्रह माह से प्रतिदिन आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम की श्रृंखला में 12/8/2022 शुक्रवार को चतुर्मास,श्रावण मास की पूर्णिमा रक्षाबंधन,विक्रम साराभाई (परमाणु वैज्ञानिक), तेजी बच्चन, इरफान हबीब, ज्ञानेंद्र पांडेय, रोबिन बनर्जी की जन्म तिथि और गुलशन कुमार, भागवत शरण उपाध्याय, काशीनाथ नारायण दीक्षित की पुण्य तिथि पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम।
कार्यक्रम का श्री गणेश डॉ अनीता अग्रवाल अध्यक्ष ने अपने निज निवास पर भगवान सत्यनारायण के छाया चित्र पर रोली अक्षत का तिलक लगा पुष्पार्पण, माल्यार्पण कर मंत्रोचार से दीप प्रज्वलित किया।अपने आतिथ्य उद्बोधन में उन्होंने सभी अतिथियों और सदस्यों का स्वागत किया।
मधु मित्तल ने राष्ट्रगान, पुष्पा अग्रवाल ने गणेश वंदना, उषा कलानोरिया ने पितरों जी की स्तुति, तारा बेरीवाल ने गुरु वंदना प्रस्तुति दी।
लीला देई ने मंत्र पढ़ संपूर्ण विश्व की मंगल कामना की।
पुष्पा अग्रवाल अध्यक्ष रायपुर इकाई और प्रांतीय उपाध्यक्ष ने रक्षाबंधन पर सभी सदस्यो से एक एक अपने स्थान पर पौधारोपण करवा पौधे में मौली का रक्षा सूत्र बंधवा वृक्षाबंदन मनाया। उन्होंने कहा हमे वृहद स्तर पर पौधारोपण कर उसे उगाना चाहिए जिससे बढ़ते हुए प्रदूषण पर रोक लगा संपूर्ण विश्व को स्वस्थ बनाया जा सकता है।
सुलोचना धनावत प्रचार प्रसार प्रभारी और कार्यक्रम संयोजिका संचालिका ने शुक्रवार सतसंग दिवस को बालकांड के पाठ का आयोजन किया। सभी सदस्यो ने बारी बारीसे सुमधुर पाठ द्वारा पूरे मंच को बनाया भक्तिमय।
मीना अग्रवाल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने अपने निवास स्थान पर आरती प्रस्तुति दी, कुसुम ने भोग गया, सभी ने पुष्पांजलि अर्पित कर संपूर्ण विश्व में राम राज्य की परिकल्पना को साकार करने का आहवान कर प्रतिज्ञा ली।
मुख्य अतिथि पूजा अग्रवाल बैंगलोर ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया
विक्रम अंबालाल साराभाई (१२ अगस्त, १९१९- ३० दिसंबर, १९७१) भारत के प्रमुख वैज्ञानिक थे। इन्होंने ८६ वैज्ञानिक शोध पत्र लिखे एवं ४० संस्थान खोले। इनको विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में सन १९६६ में भारत सरकार द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। डॉ॰ विक्रम साराभाई के नाम को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से अलग नहीं किया जा सकता। यह जगप्रसिद्ध है कि वह विक्रम साराभाई ही थे जिन्होंने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थान दिलाया। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने अन्य क्षेत्रों जैसे वस्त्र, भेषज, आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रानिक्स और अन्य अनेक क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया।
विशिष्ट अतिथि कमलेश बोंदिया सिमगेड़ा झारखंड ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया डॉ॰ साराभाई के व्यक्तित्व का सर्वाधिक उल्लेखनीय पहलू उनकी रूचि की सीमा और विस्तार तथा ऐसे तौर-तरीके थे जिनमें उन्होंने अपने विचारों को संस्थाओं में परिवर्तित किया। सृजनशील वैज्ञानिक, सफल और दूरदर्शी उद्योगपति, उच्च कोटि के प्रवर्तक, महान संस्था निर्माता, अलग किस्म के शिक्षाविद, कला पारखी, सामाजिक परिवर्तन के ठेकेदार, अग्रणी प्रबंध प्रशिक्षक आदि जैसी अनेक विशेषताएं उनके व्यक्तित्व में समाहित थीं। उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि वे एक ऐसे उच्च कोटि के इन्सान थे जिसके मन में दूसरों के प्रति असाधारण सहानुभूति थी। वह एक ऐसे व्यक्ति थे कि जो भी उनके संपर्क में आता, उनसे प्रभावित हुए बिना न रहता। वे जिनके साथ भी बातचीत करते, उनके साथ फौरी तौर पर व्यक्तिगत सौहार्द स्थापित कर लेते थे। ऐसा इसलिए संभव हो पाता था क्योंकि वे लोगों के हृदय में अपने लिए आदर और विश्वास की जगह बना लेते थे और उन पर अपनी ईमानदारी की छाप छोड़ जाते थे।
विशिष्ट अतिथि पार्बती अग्रवाल लाऊ मुंडा उड़ीसा ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया 2009 – भारत के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री सी.रंगराजन को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलहाकार परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने इस पद पर अपनी नियुक्ति के उपरान्त राज्यसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया।
विशिष्ट अतिथि रंजना गर्ग गुजरात ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया इरफ़ान हबीब जन्म- 12 अगस्त, 1931) भारतीय इतिहासकार हैं। वह काफ़ी समय तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं। प्राचीन और मध्यकालीन भारत के इतिहास पर उनका अध्ययन मुख्यत: रहा है। इरफ़ान हबीब ने प्राचीन भारत के ऐतिहासिक भूगोल, भारतीय प्रौद्योगिकी के इतिहास, मध्यकालीन प्रशासनिक और आर्थिक इतिहास, उपनिवेशवाद और भारत पर इसके प्रभाव और इतिहास लेखन पर काम किया है। भारत सरकार द्वारा 2005 में इरफ़ान हबीब को ‘पद्म भूषण’ प्रदान किया गया।
विशिष्ट अतिथि सबिता अग्रवाल सन पुर ओडिसा ने अपनी अभिव्यक्ति में तेजी बच्चन जन्म- 12 अगस्त, 1914 लायलपुर (पाकिस्तान); मृत्यु- 21 दिसम्बर, 2007, मुंबई) प्रसिद्ध साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन की माँ थीं। इनका जन्म एक सिक्ख परिवार में हुआ था। तेजी बच्चन हनुमानजी की परम भक्त थीं। उन्हें अभिनय और गायिकी का भी शौक़ था। कॉलेजों के दिनों में उन्होंने कई नाटकों में अभिनय तथा गायन आदि किया था। अमिताभ बच्चन में अभिनय के गुण अपनी माता तेजी बच्चन से ही आये थे। अपने समय में कवि हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन की जोड़ी भारत की चर्चित और लोकप्रिय जोड़ी मानी जाती थी। 2004 से तेजी बच्चन का अधिकतर समय बीमारी की वजह से अस्पताल में व्यतीत हुआ, और दिसम्बर, 2007 में उनका निधन हो गया।
कुसुम अग्रवाल प्रांतीय सह कोषाध्यक्ष ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया रॉबिन बनर्जी जन्म- 12 अगस्त, 1908; मृत्यु- 6 अगस्त, 2003) असम के गोलघाट के एक प्रसिद्ध वन्यजीव विशेषज्ञ, पर्यावरणविद्, चित्रकार, फोटोग्राफर और दस्तावेजी फिल्म निर्माता थे। उन्होंने कुल 32 डॉक्यूमेंट्री बनायीं। उन्होंने वाइल्ड-लाइफ को बचाने और सहेजने के लिए खुद को इस तरह से समर्पित कर दिया था कि अपने मेडिकल प्रोफेशन को बिल्कुल ही छोड़ दिया। प्रकृति और पर्यावरण के प्रति रॉबिन बनर्जी के इसी समर्पण के लिए उन्हें 1971 में ‘पद्म श्री’ से नवाज़ा गया। उन्हें अपनी वाइल्ड-लाइफ फिल्मों के लिए 14 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाज़ा गया था।
शीतल लाठ अध्यक्ष बिलासपुर इकाई ने अपनी अभिव्यक्ति में भगवतशरण उपाध्याय ( जन्म: 1910; मृत्यु: 12 अगस्त, 1982) भारतविद् के रूप में देशी-विदेशी अनेक महत्वपूर्ण संस्थाओं से सक्रिय रूप से संबद्ध रहे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मनीषा का प्रतिनिधित्व किया। जीवन के अंतिम समय में वे मॉरीशस में भारत के राजदूत थे। भगवतशरण उपाध्याय का व्यक्तित्व एक पुरातत्वज्ञ, इतिहासवेत्ता, संस्कृति मर्मज्ञ, विचारक, निबंधकार, आलोचक और कथाकार के रूप में जाना-माना जाता है। वे बहुज्ञ और विशेषज्ञ दोनों एक साथ थे। उनकी आलोचना सामाजिक और ऐतिहासिक परिस्थितियों के समन्वय की विशिष्टता के कारण महत्वपूर्ण मानी जाती है। संस्कृति की सामासिकता को उन्होंने अपने ऐतिहासिक ज्ञान द्वारा विशिष्ट अर्थ दिए हैं।
डिंपल अग्रवाल अध्यक्ष सरिया इकाई ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया काशीनाथ नारायण दीक्षित ( जन्म- 21 अक्टूबर, 1889; मृत्यु- 12 अगस्त, 1946) भारतीय पुरातत्व के विद्वान् थे। गुजरात में प्रागैतिहासिक युग सम्बंधी उत्खनन कार्य को प्रारम्भ कराने का श्रेय इन्हें दिया जाता है।
तारा बेरीवाल ने अपनी अभिव्यक्ति में बताया गुलशन कुमार दुआ (जन्म- 5 मई, 1956; मृत्यु- 12 अगस्त, 1997) प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक और व्यवसायी थे। वह ‘टी-सीरीज़’ के संस्थापक थे। गुलशन कुमार का नाम फिल्मी दुनिया की उन हस्तियों में शुमार हैं जिन्होंने काफी कम समय में ही शोहरत की उन बुलंदियों को हासिल कर लिया था, जहां पहुंचना हर किसी का सपना होता है। संघर्षपूर्ण जीवन बिताने के बाद अपने संगीत और उसके प्रति लगन से उन्होंने एक खास मुकाम हासिल किया। गुलशन कुमार के बेटे भूषण कुमार बॉलीवुड के जाने-माने फिल्म निर्माता हैं और अब टी-सीरीज़ उनके द्वारा ही संचालित है। यह कहा जा सकता है कि गुलशन कुमार ने पूरे भारत में भक्ति की लहर ला दी। उन्होंने टी-सीरीज़ कैसेट्स के माध्यम से अधिकांश देवी-देवताओं के भजन व गीत जनता के बीच ला दिये। इनमें से अधिकांश गीत बेहद ही सफल रहे हैं।
उषा कलानोरिया अध्यक्ष बारदवार इकाई ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर आभार प्रदर्शन कर उनके उद्बोधन को ज्ञानवर्धक बताया।
उपमा अग्रवाल प्रांतीय संयोजक बेटी मेरी शान ने सभी अतिथियों और सदस्यों को उनकी उपस्तिथि अभिव्यक्ति और प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
सुलोचना धनावत प्रचार प्रसार प्रभारी ने संपूर्ण विश्व कल्याण की भावना से कल्याण मंत्र द्वारा कार्यक्रम का विधिवत समापन किया।
कार्यक्रम में मीना गोयल, मनीषा मित्तल, पूजा अग्रवाल, कमलेश बोंदिया, रंजना गर्ग, नंदिनी चौधरी, रजनी जिंदल, पूजा अग्रवाल, सबिता अग्रवाल, तारा बेरीवाल, सरला लोहिया, पार्बती अग्रवाल, सपना सराफ, उषा कलानोरिया, प्रतिमा गुप्ता, राजकुमारी गुप्ता, यशोदा गुप्ता, कीर्ति अग्रवाल, कुसुम अग्रवाल, पुष्पा अग्रवाल, मधु मित्तल, निशा गोयल, निमिषा गोयल, लक्ष्मी गोयल, रजनी, किरण अग्रवाल, लक्ष्मी अग्रवाल, वंदना अग्रवाल, पूजा अग्रवाल, उपमा अग्रवाल, हेमलता बंसल, हेमलता मित्तल, शीतल लाठ, भगवती अग्रवाल, डिंपल अग्रवाल, सुलोचना धनावत ने अपनी अभिव्यक्ति और प्रस्तुति से कार्यक्रम को सफल बनाया।
