राजनांदगांव. भारतीय सनातन संस्कृति के आध्यात्मिक उत्सव परंपरा के परम उत्सव पर्व महाशिवरात्रि के शुभ-मंगल परिप्रेक्ष्य में नगर के संस्कृति विज्ञ प्राध्यापक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने विशेष रूप से बताया कि देवाधिदेव शिव ब्रम्हाण्ड के समग्र गणों के अधिनायक देव है। जो सर्व के लिए सर्वदा कल्याणस्वरूप और कल्याण प्रदाता है। पंचदेवों में प्रधान, अनादि सिद्ध परमेश्वर, सदा शिव को, स्वयंभू, प्रपंचातीत, परात्पर परम तत्व और ईश्वरों के महा ईश अर्थात महेश्वर के रूप में स्तुति गान किया जाता है। उल्लेखनीय है कि देव-दानव, ऋषि-महर्षि, योगीन्द्र-मुनीन्द्र, सिद्ध-गंधर्व, ब्रम्हा-विष्णु सहित महाअवतारी भगवान श्रीराम तथा श्रीकृष्ण के परम आराध्य महादेव की उपासना-आराधना सभी के लिए सरल, सहज रूप में हितकारी, मंगलकारी, कल्याणकारी और परम सिद्धदात्री होती है। आगे प्राध्यापक द्विवेदी ने विशेष रूप से उल्लेखित किया कि पार्थिवदेव महादेव शिव त्रिनेत्री हैं, ये नेत्र सूर्य, चंद्र, अग्नि के रूप में संपूर्ण सृष्टि को प्रकाश, शीतलता और उष्मा प्रदान करते हैं। प्रकृति के कंकर-कंकर में निवासित शंकर प्रकृति, पर्यावरण और पंच महातत्वों के परम संरक्षक और संवर्धक महादेव है। वे एक साथ भूमि, जल, वायु, आकाश और अग्नि तत्व की संरक्षा करते हैं तथा अपने पूजन द्वारा इनके संवर्धन की अभिप्रेरणा भी देते हैं। शिव पूजन का अर्थ ही सभी का कल्याण हैं। भूमि पार्थिव स्वरूप शिवलिंग की पूजा, अभिषेक स्वरूप जल का संरक्षण, बेल पत्र, वन कंदमूल, फल-फूल अर्पण तथा सर्प-नंदी का पूजन वास्तव में प्रकृति तत्वों को देव-स्वरूप मानकर उनके प्रकृति स्वरूप का संरक्षण और संवर्धन के लिए संकल्पित होना है। आईये महाशिवरात्रि के इस महापर्व पर पार्थिव देव महादेव का पूजन प्रकृति पर्यावरण संरक्षण, संवर्धन के संकल्प पर्व के रूप में मनायें। यही महाशिवरात्रि शुभ मंगल पर्व का श्रेष्ठ सार्थक संदेश होगा।
